लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सपा और कांग्रेस कार्यकर्ता कृषि विधेयकों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. कहीं कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा तो कहीं उपवास रखा. वहीं किसानों और विपक्षी दलों के प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.
सपा सांसद ने सरकार पर साधा निशाना
मुरादाबाद: समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कृषि विधेयकों के विरोध में शांतिपूर्ण तरीके से कलेक्ट्रेट पहुंचकर राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा. इस मौके पर सपा के सांसद एसटी हसन ने कहा कि यह बिल पूरी तरह से किसान विरोधी है. इस बिल के माध्यम से किसान अपनी जमीन गिरवी रखेंगे. किसान अपनी ही जमीन पर बंधुआ मजदूर बनकर काम करेगा. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की जमीन को कॉरपोरेट घरानों को देने की तैयारी कर रही है.
सपा सांसद एसटी हसन ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश सरकारों की नीतियों से किसान और श्रमिकों के हितों को गहरा आघात लगा है. इन नीतियों से कॉरपोरेट घरानों को ही फायदा होगा. जबकि किसानों और श्रमिकों की बदहाली और बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि कृषि और किसान के साथ श्रमिक कठिन समय में देश की अर्थव्यवस्था को संभालता है. पर अब अन्नदाता को ही हर तरह से उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है. यदि समय रहते कृषि विधेयकों को वापस नहीं लिया गया तो प्रदेश में खेती बर्बाद हो जाएगी.
कृषि बिल के विरोध में किसान कांग्रेस का प्रदर्शन
रायबरेली: कृषि बिल के विरोध में पूरे देश में किसान सड़कों के साथ ही रेल पटरियों पर उतर कर पुरजोर तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रही है. वहीं विपक्षी दल भी इस मौके पर कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहते. इसी कड़ी में आज किसान कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के मध्य जोन के अध्यक्ष तरुण पटेल रायबरेली पहुंचे. उन्होंने शहीद स्मारक पर कृषि बिल के विरोध में एक दिन का उपवास रखकर विरोध जताया.
तरुण पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि रायबरेली का शहीद स्मारक किसानों की तपोभूमि है. उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा और उसे किसान विरोधी बताया. साथ ही उन्होंने प्रदेश की योगी सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने गोशाला को सबसे बड़ा नर्क बताया और कहा कि अगर नर्क देखना है तो गोशाला चले जाइए.
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में धरने पर बैठे किसान
वाराणसी: किसान बिल के विरोध में पूरे देश में किसान केंद्र सरकार का विरोध जता रहे हैं. वहीं इस पूरे मामले को राजनीतिक रंग देते हुए कांग्रेस ने भी भारत बंद का आह्वान किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने दुकानों को बंद करवाने के लिए जब सड़कों पर उतरे तो भारी पुलिस बल लगाकर उन्हें रोक दिया गया. इस पर कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए. उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द केंद्र सरकार को यह बिल वापस लेना चाहिए, जिससे अन्नदाता का नुकसान न हो.
कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता राघवेंद्र चौबे का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व की तरफ से भारत बंद का आवाहन किया गया था. हम लोगों ने शहर में बंद कराने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. फिलहाल हम लोगों ने हथुआ मार्केट को बंद कराने की कोशिश की, लेकिन पहले से ही लोगों ने अपनी दुकानें बंद रखी हैं. उन्होंने बताया कि जब हम शहर की ओर बढ़े तो भारी पुलिस बल लगाकर हमें रोक दिया गया. यह पूछे जाने पर कि क्या हम विरोध भी नहीं जता सकते हैं तो पुलिस का कहना है कि बिना अनुमति के कोई भी कार्यक्रम करना असंवैधानिक है, जिसकी वजह से हम लोगों ने रास्ते पर बैठकर ही अपने धरने को जारी रखा है. हम केंद्र सरकार से यह मांग करते हैं कि जल्द से जल्द इस बिल को वापस ले और किसानों के हित के बारे में सोचे.
कृषि विधेयकों के विरोध में सड़क पर हुक्का लेकर बैठे कांग्रेसी
बुलंदशहर: कृषि विधेयकों के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शहर के बीचों बीच स्थित कालाआम चौराहे पर हुक्का लेकर प्रदर्शन किया. साथ ही सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता चौराहे पर हुक्का गुड़गुड़ाते दिखे.
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में मानव श्रृंखला बनाकर कार्यकर्ताओं ने मार्ग को अवरुद्ध करने की कोशिश की. हालांकि जिले के प्रशासनिक अफसरों ने इस दौरान सूझबूझ का परिचय देते हुए प्रदर्शनकारियों को शांत किया. पार्टी के नेता सुशील चौधरी का कहना है कि कांग्रेस पूरी तरह से किसानों के साथ है और वह इस बिल का पूरी तरह से विरोध करती है.
कृषि विधेयक के विरोध में सड़कों पर उतरे किसान, आंदोलन में विपक्षी दल भी हुए शामिल
बदायूं: कृषि बिल के विरोध में आज किसान सड़कों पर उतर आया. जिला मुख्यालय पर किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए कलेक्ट्रेट पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. किसानों के इस आंदोलन में अन्य विपक्षी दलों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया. मालवीय आवास पर एक जनसभा भी हुई, जिसके बाद किसानों ने सिटी मजिस्ट्रेट को एक ज्ञापन सौंपा.
भारतीय किसान दल यानी बीकेडी के जिलाध्यक्ष राजेश सक्सेना ने कहा कि कांग्रेस और किसान सभा सहित तमाम संगठन यहां किसान आंदोलन में शामिल होने आए हुए हैं. यह किसानों का आंदोलन है. किसान यूनियन किसानों का संघर्ष कर रही है. उन्होंने कहा कि यह तीन विधेयक जो लाए गए हैं, वे किसानों को गुलाम बनाने के लिए लाए गए हैं. वहीं कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ठाकुर ओमकार सिंह ने कहा कि यह हमारा राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है. पार्टी के निर्देश पर हम लोग इसमें शामिल हुए हैं. उन्होंने कहा कि किसानों पर जो अत्याचार सरकार द्वारा किया जा रहा है, पूरी कांग्रेस पार्टी उसके विरोध में किसानों के साथ खड़ी है.
भारत बंद के आह्वान पर कांग्रेस का प्रदर्शन, पुलिस से हुई धक्का-मुक्की और झड़प
गोरखपुरः भारत बंद के आह्वान पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने टाउनहाल स्थित नगर निगम के रानी लक्ष्मी बाई पार्क में जमकर प्रदर्शन किया. इस अवसर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सरकार विरोधी नारे लगाते हुए किसान बिल को वापस लेने की मांग की. उन्होंने कहा कि किसान बिल पूरी तरह से किसान विरोधी हैं और वे इसका विरोध करते हैं. कांग्रेस जिलाध्यक्ष निर्मला पासवान के नेतृत्व में हुए इस प्रदर्शन में कांग्रेसियों की पुलिस के साथ धक्का-मुक्की और झड़प भी हुई.
कांग्रेस जिलाध्यक्ष निर्मला पासवान ने कहा कि सरकार किसान विरोधी बिल लेकर आई है. सरकार इस बिल को वापस ले. इस दौरान उन्होंने महिला कार्यकर्ताओं के साथ अभद्र व्यवहार करने का भी आरोप लगाया.
सपा कार्यकर्ताओं ने सिंह गेट पर किया प्रदर्शन
वाराणसी: संसद में कृषि विधेयक पास किए जाने के बाद से लगातार विपक्ष सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है. इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर हाथों में सरकार विरोधी पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया. सपा कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल को संबोधित 5 सूत्रीय मांगों वाला ज्ञापन भी अधिकारियों को सौंपा.
सपा नेता विजय मौर्य ने बताया कि वर्तमान प्रदेश सरकार नीतियों लगातार जन विरोधी साबित हो रही हैं. बुनकर, छात्र, शिक्षक, सरकारी कर्मचारी और देश का अन्नदाता किसान अवसाद में जीवन व्यतीत करने के लिए विवश हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को यह विधेयक वापस लेना होगा. जब तक सरकार ऐसा नहीं करेगी, समाजवादी पार्टी के लोग प्रदर्शन करते रहेंगे.
किसान और मजदूर बिल के विरोध में सपा कार्यकर्ताओं ने दिया ज्ञापन
हमीरपुर: संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि एवं श्रम कानून बिल के विरोध में शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोध जताते हुए जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा. सपा कार्यकर्ताओं ने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए बिल में किसान और मजदूरों के हितों की अनदेखी की गई है. सरकार आम जनता से सब कुछ छीनकर पूंजीपतियों को सौंपना चाहती है, लेकिन समाजवादी पार्टी ऐसा हरगिज नहीं होने देगी. सपा के जिलाध्यक्ष राज बहादुर पाल ने कहा कि सरकार द्वारा लाए गए बिल किसानों और मजदूरों के साथ विश्वासघात हैं. कृषि सुधार विधेयक के नाम पर लाए गए बिल से किसान अपनी जमीन का मालिक न रहकर मजदूर हो जाएगा.
सपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि कृषि उत्पादन मंडी की समाप्ति और विधेयक में न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना सुनिश्चित ना होने से किसान ओने-पौने दामों पर अपनी फसल बेचने को मजबूर होगा. गेहूं व धान की फसल को आवश्यक वस्तु अधिनियम से हटाए जाने से किसान को बड़े आढ़तियां और व्यापारिक घरानों की शर्तों पर अपनी फसल को बेचने की मजबूरी होगी. इतना ही नहीं, सरकार ने संसद में जो श्रम कानून पारित कराया, उसमें भी श्रमिकों के हित बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. अभी तक 100 कर्मचारी वाले उद्योगों को बिना सरकारी अनुमति छंटनी का अधिकार नहीं था लेकिन नया कानून 300 कर्मचारियों वाले उद्योग को भी जब चाहे छंटनी करने का अधिकार दे रहा है. इससे श्रमिकों में असुरक्षा की भावना बढ़ेगी. वह अपनी जायज मांग भी नहीं उठा सकेंगे और उद्योगपतियों के बंधुआ मजदूर बनकर रह जाएंगे.
किसानों के पक्ष में कांग्रेसी उतरे सड़कों पर, बंद कराते नजर आए व्यापारिक प्रतिष्ठान
रायबरेली: मोदी सरकार पर किसान विरोधी नीतियों के तहत कार्य करने का आरोप लगाते हुए सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के कांग्रेसी शुक्रवार को सड़कों पर उतर गए. इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता शहर के व्यापारियों को भारत बंद के पक्ष में अपने-अपने प्रतिष्ठानों को बंद करने का अनुरोध करते हुए दिखे. पुलिस प्रशासन भी इस दौरान सचेत नजर आया और कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर लगातार नजर रखते दिखाई दिया. हालांकि मौके पर ही कांग्रेसियों से पुलिस प्रशासन के बीच तीखी नोंकझोक भी देखने को मिली.
रायबरेली के कांग्रेस जिलाध्यक्ष पंकज तिवारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने अलोकतांत्रिक तरीके से किसान विरोधी बिल को संसद के दोनों सदनों में पास कराया है. इस बिल के पास होने से देशभर के किसानों में भारी रोष है. बावजूद इसके सरकार पूरी तरीके से बेपरवाह नजर आती है. सरकार को किसान के हितों की कोई चिंता नहीं है और यही कारण है कि इस किसान विरोधी बिल को मंजूरी दी जा रही है.
कृषि बिल के विरोध में सपा कार्यकर्ताओं ने किया हल्ला बोल प्रदर्शन
संतकबीरनगर: कृषि बिल के विरोध में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकालकर कलेक्ट्रेट पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मौजूदा भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. कार्यक्रम के दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने सोशल डिस्टेंसिंग की भी सरेआम धज्जियां उड़ाई.
समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कहा कि कृषि बिल से कॉरपोरेट घरानों को ही फायदा होगा, जबकि किसान और श्रमिक की बदहाली और बढ़ेगी. राज्यसभा में जिस तरीके से भाजपा सरकार ने मनमानी तरीके से किसान बिल को पास करा लिया, समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता उसका पुरजोर विरोध करता है और किसान बिल वापस लेने की मांग करता है.
सपा कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन
चंदौली: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिल के विरोध में विपक्षी दलों ने प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया. इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और किसान बिल को वापस लेने की मांग करते हुए सम्बन्धित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा. सकलडीहा विधायक प्रभु नारायण सिंह यादव ने कहा कि यह बिल देश के बड़े उद्योगपतियों के इशारे पर लाया गया है. यह किसी भी हालत में किसानों के हित में नहीं है.
सपा नेताओं ने सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग करते हुए जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा. साथ ही चेतावनी भी दी यदि मोदी सरकार इस बिल को वापस नहीं लेगी तो समाजवादी पार्टी बड़ा आंदोलन करेगी.
कृषि बिल के विरोध के सपा कार्यकर्ताओं ने डीएम को सौंपा ज्ञापन
फिरोजाबाद: कृषि बिल के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया. सपा कार्यकर्ताओं ने कृषि विधेयक को किसानों के खिलाफ बताया और राज्यपाल के नाम सम्बोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा. उन्होंने मांग की, कि इस विधेयक को किसी भी कीमत पर लागू न किया जाए.
सपा जिलाध्यक्ष डीपी यादव ने कहा कि आज केवल सपा ही नहीं, बल्कि देश का हर किसान, मजदूर और बेरोजगार युवा सड़कों पर है. यह सरकार किसान विरोधी है, जो पूंजीपतियों को बढ़ावा दे रही है. उन्होंने कहा कि मौजूद बिल से भी पूजीपतियों को लाभ मिलेगा. किसानों को अपनी फसल का लाभ नहीं मिल पाएगा. इसलिए पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के आह्वान पर यह विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. आज जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंप कर यह मांग उठाई है कि इस किसान विरोधी बिल को लागू न किया जाए.
कृषि विधेयक के खिलाफ सपाइयों ने कलेक्ट्रेट में किया प्रदर्शन
शाहजहांपुर: समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आज कलेक्ट्रेट में किसान बिल के विरोध में केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. सपाइयों ने राज्यपाल के नाम सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा. सपा जिला अध्यक्ष तनवीर खां ने कहा कि भाजपा सरकार किसान विरोधी सरकार है. यह सरकार युवाओं को बेरोजगारी की कगार पर खडा कर दिया है. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार का ये जो कृषि बिल है, वो किसानों के लिए काला कानून साबित होगा.
सपा जिलाध्यक्ष तनवीर खां ने कहा कि जब से ये सरकार बनी है, तब से किसानों और बेरोजगारों को झूठ बोल कर गुमराह किया जा रहा है. केन्द्र सरकार जुमलेबाजों की सरकार है. यह किसान विरोधी बिल लाकर किसानों का शोषण करते हुए पूंजीपतियों को लाभ दिलाने का काम कर रही है. ये किसानों से उनकी जमीनें भी छीन लेगी.
किसान बिल के विरोध में बग्घी से कलेक्ट्रेट पहुंचे किसान
अलीगढ़: कृषि बिल के खिलाफ शुक्रवार को किसानों का आक्रोश देखने को मिला. विभिन्न किसान संगठन ग्रामीणों के साथ कलेक्ट्रेट पर पहुंचे और किसान विधेयक के विरोध में सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. भारतीय किसान यूनियन के एक ग्रुप ने कलेक्ट्रेट के बाहर धरना प्रदर्शन करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें बलपूर्वक हटा दिया. वहीं किसानों का एक ग्रुप बग्घी लेकर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन को पहुंचा और मौजूदा सरकार द्वारा लाई जा रहे किसान विरोधी बिल का विरोध किया. इस दौरान कलेक्ट्रेट पर भारी पुलिस फोर्स तैनात किया गया. इस दौरान कांग्रेस, सपा के लोग भी किसानों के समर्थन में कलेक्ट्रेट पहुंचे.
सपा नेताओं ने कहा कि किसान बिल से कारपोरेट घरानों को फायदा होगा. जबकि किसानों और श्रमिकों की बदहाली और बढ़ेगी. सपा जिलाध्यक्ष गिरीश यादव ने कहा कि कृषि और किसान के साथ श्रमिक कठिन समय में देश की अर्थव्यवस्था को संभालता है. लेकिन वर्तमान सरकार अन्नदाता का उत्पीड़न कर रही है. भारतीय किसान यूनियन के हरपाल सिंह ने कहा कि सरकार खेतों से किसानों का मालिकाना हक छीनना चाहती है. इससे एमएसपी सुनिश्चित करने वाली मंडिया धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगी. किसानों को फसल का लाभ तो दूर निर्धारित उचित दाम भी नहीं मिलेगा. भारतीय किसान यूनियन के प्रेमपाल सिंह घोड़ा गाड़ी से कलेक्ट्रेट पहुंचे और सरकार की नीतियों का विरोध किया. इस दौरान किसान संगठनों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एसीएम रंजीत सिंह को सौंपा.
कृषि बिल के विरोध में उतरे किसान और सपाई
आगरा: ताजनगरी में कृषि बिल के विरोध में किसानों, समाजवादी पार्टी और अन्य संगठनों ने विरोध जताया. भारतीय किसान यूनियन की ओर से फतेहाबाद रोड पर नवां मील पर प्रदर्शन किया गया. मंनसुखपुरा और पिनाहट में राजाखेड़ा मार्ग पर गांव करकौली के पास भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ एक दिवसीय धरना दिया. कृषि बिल के विरोध में सैकड़ों की संख्या में किसान सड़कों पर उतरे. किसान नेताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर की नारेबाजी की. उन्होंने सरकार को किसान विरोधी बताया.
समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष चौधरी वाजिद निसार के नेतृत्व में कृषि और श्रम कानून के विरोध में महामहिम राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी पीएन सिंह को सौंपा. महानगर अध्यक्ष चौधरी वाजिद निसार ने बताया कि किसानों के हितों की अनदेखी करने वाले कृषि विधेयक से किसानों को भारी नुकसान होगा. इस विधेयक को जल्द वापस नहीं लिया गया तो समाजवादी पार्टी सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने को बाध्य होंगी. भारतीय किसान यूनियन और अन्य संगठनों के विरोध को लेकर पुलिस और प्रशासन पहले से सतर्क था. रेलवे स्टेशन, रेलवे लाइन और बस स्टैंड पर आरपीएफ, जीआरपी और पुलिस तैनात रही. इसलिए जिले में शांति पूर्वक विरोध प्रदर्शन रहा.
कृषि बिल के विरोध में विभिन्न दलों ने किया प्रदर्शन
मऊ: कृषि बिल के विरोध में कलेक्ट्रेट परिसर में विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करते हुए सरकार विरोधी नारे लगाए. साथ ही उन्होंने कृषि विधेयक को जल्द से जल्द वापस लेन की मांग की. कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर जिलाधिकारी को राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन दिया.
प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने इस बिल को संघीय ढांचे के खिलाफ और असंवैधानिक करार दिया. कार्यकर्ताओं का कहना है कि जो बिल पारित हुआ है, वह किसान विरोधी है और इससे जमींदारी प्रथा का उद्घाटन किया जा रहा है. आने वाले समय में किसान निजी कंपनियों के गुलाम बन जाएंगे और अपनी उपज का उचित दाम नहीं पाएंगे. जिससे किसानों की बदहाली और बढ़ती जाएगी. वहीं मार्क्सवादी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता राजेंद्र मास्टर ने बताया कि यह हिंदुस्तान का सबसे काला कानून पारित हुआ है. सरकार को यह कानून तत्काल वापस लेना चाहिए, अन्यथा आंदोलन अनवरत चलता रहेगा.
निजीकरण और किसान बिल के विरोध में भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन
संतकबीरनगर: जिले में निजीकरण और किसान बिल के विरोध में भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचकर प्रदर्शन किया. साथ ही जिलाधिकारी को राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन सौंपा. इस दौरान भीम आर्मी कार्यकर्ताओं ने सरकारी क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक लगाए जाने, युवाओं को रोजगार और किसान विरोधी विधेयक को रद्द करने की मांग की.
भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष बृजभान बौद्ध ने कहा कि समाज में कल्याणकारी राज्य की स्थापना सुनिश्चित करने के लिए भारतीय संविधान द्वारा समस्त नागरिकों समान अधिकार दिया जाए. वहीं सरकार द्वारा जिन भी विभागों में निजीकरण का कार्य किया जा रहा है, उसको तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए किसानों का जो बिल पास हुआ है, वह किसान विरोधी है. इसको तत्काल वापस लिया जाए. भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने कहा कि अगर सरकार उनकी मांगे पूरी नहीं करती है तो वह पूरे भारत में आंदोलन करने पर बाध्य होंगे.
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