लखनऊः राजधानी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पूरा जोर स्वच्छता पर है. हजारों सफाईकर्मी राजधानी लखनऊ को साफ-सुथरा रखने के लिए तैनात किए गए हैं. लेकिन, कुछ ऐसे भी लोग भी राजधानी में सफाई करते हैं, जिनको सरकार कोई भुगतान नहीं करती. लखनऊ को स्वच्छ रखने वाले ये लोग नारकीय जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं.
आखिर कौन हैं ये सफाई करने वाले लोग
सैंकड़ों की संख्या में असम प्रदेश के लोग राजधानी लखनऊ को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दे रहे हैं. रोजाना सुबह 7 बजे ठेला लेकर निकल पड़ते हैं. इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं हैं. गोमती नगर के विशाल खंड-1 इलाके के करीब 35 घरों का कूड़ा उठाने वाली खजेजा बेगम ने बताया कि उन्हें हर घर से 100 रपये प्रतिमाह मिलता है.
बड़ी संख्या में हैं ऐसे लोग
खजेजा बेगम ने बताया कि कुल तीन से साढ़े तीन हजार रुपये प्रतिमाह मिल जाता है. इसके अलावा कूड़े में कबाड़ ढूंढने का भी काम करती हैं. इससे हर महीने हजार-डेढ़ हजार रुपये मिल जाते हैं. खजेजा ने बताया कि पूरे लखनऊ में असम के लोग बड़ी तादाद में सफाई का काम कर रहे हैं. किसी भी असमिया सफाईकर्मी को सरकार की तरफ से अभी तक किसी भी तरह की मदद नहीं मिली है.
झुग्गियों में रहते हैं महलों का कूड़ा उठाने वाले
असमिया सफाईकर्मी झुग्गियों में रहते हैं. जुगौली गोमतीनगर में 50 से अधिक परिवार खाली प्लॉटों में नारकीय जीवन व्यतीत कर रहे हैं. खजेजा ने बताया कि हमलोग खुद गंदगी में रहते हैं, लेकिन आलीशान मकानों का कूड़ा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ते. उनकी झुग्गियों में न तो शुद्ध पानी की व्यवस्था है न ही शौचालय का उचित प्रबंध.