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राजधानी में दम तोड़ रही सरकार की महत्वाकांक्षी 'अमृत योजना'

केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से आमजन तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए शुरू की गई अमृत योजना का कार्य अधिकारियों की लापरवाही और अनदेखी के कारण धीमी गति से हो रहा है, जिससे राजधानी लखनऊ के निवासियों में गुस्सा है. लोगों का कहना है कि जगह-जगह गड्ढे खोदे जाने के कारण आए दिन हादसे हो रहे हैं.

राजधानी लखनऊ में अमृत योजना का बुरा हाल.
राजधानी लखनऊ में अमृत योजना का बुरा हाल.
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Published : Dec 9, 2020, 4:45 PM IST

लखनऊ: योगी सरकार द्वारा प्रदेश के एक लाख से अधिक आबादी वाले नगरों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति व सुव्यवस्थित सिविल लाइन की व्यवस्था के लिए 'अमृत योजना' शुरू की गई. इसका मकसद प्रदेश के 60 जनपदों में पेयजल व सीवर लाइन की व्यवस्था को दुरुस्त रखना है. दिसंबर में इस योजना को पूरा हो जाना था, लेकिन अभी तक इस योजना में 45 प्रतिशत ही काम हो पाया है.

राजधानी लखनऊ में अमृत योजना का बुरा हाल.

प्रदेश के 60 जनपदों में चलाई जा रही 'अमृत योजना' प्रदेश के अन्य जनपदों में किस तरह चल रही इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राजधानी लखनऊ के कई मोहल्लों और गलियों में आज भी सीवर लाइन व पेयजल की आपूर्ति की पाइप लाइन नहीं बिछाई गई, जिसके कारण लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए स्थानीय निवासी मोहम्मद अख्तर खान का कहना है कि निश्चित रूप से जिस तरह से जल निगम व नगर निगम ने स्मार्ट सिटी के नाम पर पूरे शहर को खोद दिया है, इससे राजधानी निवासियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इन नालियों में कभी गाड़ियां तो कभी जानवर गिर रहे हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी
जल निगम के अधिशासी अभियंता आरके अग्रवाल का कहना है कि निश्चित रूप से प्रदेश में कोरोना के संक्रमण के कारण सरकार की यह महत्वाकांक्षी 'अमृत योजना' भी प्रभावित हुई है. इस योजना के तहत 260 काम चल रहे हैं, जिसमें से 86 काम पूरे हो चुके हैं और जून महीने तक इसे पूरा कर लिया जाएगा. अधिशासी अभियंता ने स्वीकार किया कि निश्चित रूप से राजधानी के पुराने लखनऊ, आलमबाग और कालिदास मार्ग सहित कई ऐसे मोहल्ले हैं, जहां पर इस योजना के तहत अभी कार्य शुरू भी नहीं हो पाया है, लेकिन जल्दी से पूरा करा लिया जाएगा.

बताते चलें कि सरकार द्वारा लोगों के जनहित में चलाई गई इस योजना को लेकर अधिकारी कतई गंभीर नहीं हैं. ऐसे में जहां स्थानीय लोगों का गुस्सा है तो वहीं अधिकारी कोरोना की संक्रमण की दुहाई दे रहे हैं.

लखनऊ: योगी सरकार द्वारा प्रदेश के एक लाख से अधिक आबादी वाले नगरों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति व सुव्यवस्थित सिविल लाइन की व्यवस्था के लिए 'अमृत योजना' शुरू की गई. इसका मकसद प्रदेश के 60 जनपदों में पेयजल व सीवर लाइन की व्यवस्था को दुरुस्त रखना है. दिसंबर में इस योजना को पूरा हो जाना था, लेकिन अभी तक इस योजना में 45 प्रतिशत ही काम हो पाया है.

राजधानी लखनऊ में अमृत योजना का बुरा हाल.

प्रदेश के 60 जनपदों में चलाई जा रही 'अमृत योजना' प्रदेश के अन्य जनपदों में किस तरह चल रही इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राजधानी लखनऊ के कई मोहल्लों और गलियों में आज भी सीवर लाइन व पेयजल की आपूर्ति की पाइप लाइन नहीं बिछाई गई, जिसके कारण लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए स्थानीय निवासी मोहम्मद अख्तर खान का कहना है कि निश्चित रूप से जिस तरह से जल निगम व नगर निगम ने स्मार्ट सिटी के नाम पर पूरे शहर को खोद दिया है, इससे राजधानी निवासियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इन नालियों में कभी गाड़ियां तो कभी जानवर गिर रहे हैं.

क्या कहते हैं अधिकारी
जल निगम के अधिशासी अभियंता आरके अग्रवाल का कहना है कि निश्चित रूप से प्रदेश में कोरोना के संक्रमण के कारण सरकार की यह महत्वाकांक्षी 'अमृत योजना' भी प्रभावित हुई है. इस योजना के तहत 260 काम चल रहे हैं, जिसमें से 86 काम पूरे हो चुके हैं और जून महीने तक इसे पूरा कर लिया जाएगा. अधिशासी अभियंता ने स्वीकार किया कि निश्चित रूप से राजधानी के पुराने लखनऊ, आलमबाग और कालिदास मार्ग सहित कई ऐसे मोहल्ले हैं, जहां पर इस योजना के तहत अभी कार्य शुरू भी नहीं हो पाया है, लेकिन जल्दी से पूरा करा लिया जाएगा.

बताते चलें कि सरकार द्वारा लोगों के जनहित में चलाई गई इस योजना को लेकर अधिकारी कतई गंभीर नहीं हैं. ऐसे में जहां स्थानीय लोगों का गुस्सा है तो वहीं अधिकारी कोरोना की संक्रमण की दुहाई दे रहे हैं.

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