लखनऊ : उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन कार्यक्रम के तहत लाखों युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार से जोड़ा जा रहा है. इसके तहत प्रदेश में मिशन के साथ नौ सौ से ज्यादा प्रशिक्षण भागीदार (ट्रेनिंग पार्टनर्स) काम कर रहे हैं. इन ट्रेनिंग पार्टनर्स में दो तरह की कंपनियां जुड़ी होती हैं. पहली छोटी कंपनियां अथवा संस्थाएं जिला स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाती हैं. दूसरी नंबर पर ऐसी कंपनियां होती हैं, जिनका सालाना टर्नओवर सौ करोड़ से अधिक होता है. ऐसी कंपनियों को मिशन से कुछ सहूलियतें भी होती हैं और यह प्रदेशभर में कहीं भी लक्ष्य मांगकर प्रशिक्षण प्रारंभ कर सकते हैं. बताते हैं कि पिछले दिनों वर्तमान वित्तीय वर्ष में अनुबंध के विपरीत अचानक नियमों में बदलाव कर दिया गया, जिसके तहत ट्रेनिंग पार्टनर्स को मिलने वाली 30 फीसद अग्रिम राशि रोक दी गई, जिसकी वजह से कई ट्रेनिंग पार्टनर्स का प्रशिक्षण कार्यक्रम रुक गया है.
गौरतलब है कि कौशल विकास मिशन के तहत 14 से 35 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं को उनकी पसंद के विषयों या क्षेत्रों में प्रशिक्षित कर रोजगार अथवा स्व व्यवसाय करने योग्य बनाया जाता है. मिशन द्वारा अप्रशिक्षित युवाओं के कौशल ग्रहण और उन्नयन के लिए सुविधाएं प्रदान की जाती हैं. मिशन के पोर्टल के अनुसार प्रदेश में 910 प्रशिक्षण भागीदार कार्यक्रम का हिस्सा बने हैं, जबकि 8669 प्रशिक्षण केंद्रों में 39 सेक्टर्स में पौने चार लाख से अधिक युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा दी जा रही है. वहीं साढ़े छह लाख से अधिक युवाओं को मिशन द्वारा प्रशिक्षित भी किया जा चुका है. प्रशिक्षण कार्यक्रम में साढ़े दस लाख से अधिक युवा प्रशिक्षण ले चुके हैं.
फ्लेक्स ट्रेनिंग पार्टनर्स के अनुबंध में बताया गया था कि उन्हें प्रशिक्षण कार्यक्रम की कुल लागत का 30 फीसद भुगतान अग्रिम किया जाएगा, किंतु अचानक इस नियम को बदल कर अग्रिम भुगतान रोक दिया गया. इसका प्रभाव यह रहा कि कई फ्लेक्स ट्रेनिंग पार्टनर्स अपनी कंपनी को मिले लक्ष्य का काफी हिस्सा पूरा नहीं कर पा रहे हैं. कुछ फ्लेक्स ट्रेनिंग पार्टनर्स ने मिशन निदेशक आंद्रा वामसी और विभाग के प्रमुख सचिव एमके शनमुगा सुंदरम से सेवा-शर्तें पूर्वत करने का आग्रह किया है, ताकि प्रशिक्षण कार्यक्रम सुचारु रूप से संचालित हो सके. फ्लेक्स ट्रेनिंग पार्टनर्स ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में काफी बड़ी धनराशि व्यय करनी होती है. इसलिए बिना सरकार के सहयोग के यह कार्यक्रम चला पाना कठिन है.
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