लखनऊ : उत्तर प्रदेश के गांव में आधुनिक सुविधाओं और जीवनशैली में बदलाव लाने के लिए पंचायती राज विभाग ने जो कायाकल्प योजना शुरू की है, उसके शुरूआती परिणाम बेहद शानदार कहे जा सकते हैं, लेकिन पंचायत भवन हों या सरकारी स्कूल. पंचायती राज विभाग ने आधारभूत ढांचे में बदलाव का प्रबंध तो किया, लेकिन रख-रखाव के बारे में विचार नहीं किया गया. लिहाजा समस्याएं स्थायी तौर पर दूर नहीं हो सकी हैं.
कायाकल्प योजना से बदल रही गांव की तस्वीर
- प्रदेश सरकार ने पंचायती राज विभाग के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक सुविधाओं के विकास का खाका खींचा है.
- गांव में स्थित सरकारी स्कूल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्र और अंत्येष्टि स्थलों का विकास बड़े पैमाने पर कराया जा रहा है.
- इन कार्यों में आधुनिक जीवन शैली वाली सुविधाओं और संसाधनों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है.
पंचायती राज विभाग की ओर से जहां बड़े पैमाने पर ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं का विकास किया जा रहा है. इससे स्कूलों और पंचायत भवनों की हालत में सुधार भी दिख रहा हैं, लेकिन दूसरी समस्या सुविधाओं के ढांचागत सुधार के बाद रखरखाव के तौर पर उभर कर सामने आ रही है. पंचायतों में इन सुविधाओं के रखरखाव का कोई फंड नहीं है. इस वजह से तमाम सुविधाएं छोटी-छोटी खामियों की वजह से लोगों के उपयोग से दूर होती जा रही हैं.
- पंचायती राज विभाग के कायाकल्प योजना का मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी जीवन शैली वाली सुविधाओं का विकास करना है.
- इसके तहत प्रदेश के 12020 पंचायत भवनों के मरम्मत करा कर उन्हें पुस्तकालय या सेवा केंद्र केंद्र का रूप दिया गया है.
- इसी तरह 73763 प्राइमरी स्कूलों में टाइल्स लगाकर फर्श को सुंदर किया गया है और रंगाई-पुताई भी कराई गई है.
- 40166 आंगनबाड़ी केंद्रों का भी सुंदरीकरण कराया गया है, 88407 आंगनबाड़ी केंद्रों में नए शौचालय बनाए गए हैं.