लखनऊ: कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड में एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट पूरी करके शासन को सौंप दी है. करीब पच्चीस सौ पन्ने की इस रिपोर्ट में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को दोषी पाया है और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है, जबकि एसआईटी ने सात सौ पन्ने की रिपोर्ट पहले ही शासन को सौंपी थी.
कानपुर के बिकरु कांड में विकास दुबे ने पुलिसकर्मियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी, जिसमें आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद शासन स्तर से एसआईटी का गठन किया गया था. अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने 3200 पन्नों की रिपोर्ट दी है. वहीं इस रिपोर्ट में जिन 75 अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है, उसमें ज्यादातर पुलिस के अधिकारी और कर्मी शामिल हैं, जबकि प्रशासन के लोग भी में दोषी ठहराए गए हैं. रिपोर्ट में सबसे बड़ी चीज के रूप में विकास दुबे पर मुकदमे दर्ज होने के बाद भी कैसे एक के बाद एक शस्त्र लाइसेंस दिए गए. इस बात पर ज्यादा जोर दिया गया है.
क्या है बिकरु कांड की एसआईटी रिपोर्ट
कानपुर के बिकरु कांड के मामले में गठित एसआईटी ने 3200 पन्नों की अपनी रिपोर्ट को शासन को सौंप दिया. अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित हुई एसआईटी ने यह रिपोर्ट दी है, जिसमें 75 पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों पर सीधे तौर पर कार्रवाई की सिफारिश की गई है. क्योंकि यह अधिकारी विकास दुबे को हथियारों के लाइसेंस उपलब्ध कराने से लेकर अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित करने में मददगार के रूप में दोषी पाए गए हैं. इनमें 60 फ़ीसदी पुलिस कर्मी शामिल हैं वहीं 40 फ़ीसदी प्रशासनिक अधिकारी भी हैं.
अधिकारी भी निकले विकास दुबे के मददगार
सूत्रों की माने तो एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कई तथ्यों को उजागर किया है, जिनमें विकास दुबे को कैसे शस्त्र लाइसेंस दिलाए गए, किस तरह विकास दुबे ने अपना गैंग चलाता रहा और अधिकारी खामोश रहे, वहीं मुकदमा दर्ज होने के बाद भी विकास दुबे को पुलिसकर्मियों ने किस तरह से संरक्षण देते रहे. इन सब मामलों को प्रमुख रूप से उजागर किया गया है, क्योंकि अधिकारी विकास दुबे के गुनाहों पर पर्दा डालते रहे और उसे लाभ पहुंचाते रहे.