लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन दिवसीय श्री अन्न महोत्सव व श्री अन्न राज्य प्रदर्शनी का उद्घाटन किया. प्रदेश के कई मंडलों से आए किसानों के स्टॉल का मुख्यमंत्री ने निरीक्षण किया और मिलेट्स के बारे में जानकारी हासिल की. उन्होंने किसानों की मिलेट्स से संबंधित योजनाओं के बारे में भी कृषि विभाग के अधिकारियों से जानकारी ली. मुख्यमंत्री ने उत्कृष्ट किसानों को सम्मानित किया. कई संस्थाओं को अनुदान राशि भी प्रदान की गई.
मोटे अनाज का उत्पादन प्राचीन परंपरा : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश के अंदर छठे सातवें दशक तक देश और प्रदेश के अंदर मोटे अनाज का उत्पादन होता था. हमारे दैनिक जीवन का लगभग आधा हिस्सा श्री अन्न के रूप में होता था. आज से नहीं प्राचीन काल से ही वैदिक काल से ही श्री अन्न का महत्व रहा है. नाम अलग रहे होंगे, लेकिन इसकी उपयोगिता रही है. इसमें बहुत सारे तो ऐसे हैं कि जब हम व्रत रखते हैं तो केवल उसी श्री अन्न का ही भोजन वह व्यक्ति कर सकता है. इसकी महिमा का वर्णन हमारे वेद भी करते हैं, लेकिन समय के अनुरूप बढ़ती हुई आबादी की आवश्यकता के अनुरूप खाद्यान्न आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करना था. बढ़ती हुई आबादी की आवश्यकता के लिए कम खेती में अधिक उत्पादन करना लक्ष्य था जिसे पूरा किया जा चुका है. इस दिशा में हमारे वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों ने अनुसंधान और उत्पादन की क्षमता को कई गुना तक बढ़ा दिया है. खाद्यान्न आत्मनिर्भरता में आज हमारा देश आगे बढ़ चुका है, बहुत आगे बढ़ चुका है, लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट भी पड़े हैं.
ऑर्गेनिक है श्री अन्न : मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के अंदर कैंसर ट्रेन के रूप में ट्रेन ही चल गई है. केमिकल, फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड का अत्यधिक उपयोग किया गया जबकि ज्यादातर श्री अन्न ऑर्गेनिक हैं. कम पानी की आवश्यकता है. इसमें शोध करके बहुत कुछ आगे कर सकते हैं. कैसे कम क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, कैसे ज्यादा लंबी फसल है तो उसको थोड़ा सा छोटा करके उत्पादकता को बढ़ाने में हम सफल हो सकते हैं. फसल को तैयार होने में लगने वाला समय कैसे कम किया जा सकता है इस पर भी हमें ध्यान देना है. नए शोध करने हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पक्ष ये दिया कि आज काम से कम पिछले तीन वर्ष के अंदर लगभग हर परिवार में एक आइटम श्री अन्न का बनना शुरू हो चुका है. वह किसी न किसी रूप में इसे स्वीकार कर रहे हैं. दूसरी तरफ मैं उन संस्थाओं का हृदय से आभारी हूं जिन्होंने इसमें भी नए-नए आइटम बनाने शुरू किए हैं.
मिलेट्स से बने उत्पादों की सराहना : मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदर्शनी में मैंने देखा कि मिलेटस से बने बिस्किट, नमकीन, लड्डू और भी तमाम उत्पाद बने हुए थे. पहले जब लोग बनाते थे तो बड़े बेतरतीब तरीके से बनाते थे तो खाने का मन नहीं होता था, लेकिन अब जो बन रहा है तो वह आकर्षण का केंद्र है. अब जैसा प्रोडक्ट परोसेंगे जैसा प्रचार प्रसार करेंगे लोग इस प्रकार उसे स्वीकार भी करेंगे. अब इस दिशा में जो प्रयास प्रारंभ हुआ है उसी को ध्यान में रखकर इस फील्ड में काम करने वाले बहुत सारे संस्थान, कृषक उत्पादक संगठन काम कर रहे हैं. मिलेट्स के प्रमाणीकरण और बीज के उत्पादन को प्रोत्साहित किया है, इसलिए उन्हें चार लाख रुपये की सहायता प्रदेश सरकार की ओर से दी गई है. कृषि विज्ञान केंद्रों ने भी प्रसंस्करण के लिए कुछ कार्य प्रारंभ किए हैं. 95 लाख रुपए प्रति किसान विज्ञान केंद्र को दिए जा रहे हैं. पांच कृषि विज्ञान केंद्रों को यह अनुदान राशि उपलब्ध कराई गई है. इससे भी मिलेट्स के प्रसंस्करण केंद्र स्थापित करेंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कृषि वैज्ञानिक आगे आ सकें इसके लिए लैब की स्थापना की जाए. कम पैसे में ही लैब की स्थापना हो सकती है और इससे हमारा बड़ा फायदा होगा यहां पर नए शोध हो सकेंगे.
विश्व पटल पर स्थापित हो रहा मिलेट्स : उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री डॉ. सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि श्री अन्न की अनादिकाल से भारत में खेती होती रही है. जब कभी भी हम किसी भी धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं तो सप्तधान्य की जरूर पूजा होती रही है. अब भी पूजा होती है. कहीं भी पूजन होता है वहां सप्तधान्य रखा जाता है. हरित क्रांति के दौर में गेहूं और चावल के उत्पादन पर ज्यादा ध्यान दिया गया. हालांकि यह भी देश की जरूरत थी, लेकिन मोटे अनाजों से मुंह मोड़ लिया गया. जिसका नुकसान भी हुआ है. वर्ष 2018 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से मिलेट्स को विश्व पटल पर स्थापित करने का काम किया है. इससे किसानों को बहुत फायदा हो रहा है. उत्तर प्रदेश में अब 12 लाख हेक्टेयर पर अब मोटे अनाजों की खेती की जा रही है. ज्वार, बाजरा और कोदो की खेती अब किसान कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के 30 जिलों में इस बार केंद्रों से श्री अन्न की खरीदारी होगी. किसान श्री अन्न की पैदावार करेंगे तो उन्हें बेहतर कीमत दी जाएगी. इसकी हमारी सरकार गारंटी देती है. किसानों को शोध के जरिए अच्छे उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिससे उनकी फसलों का उत्पादन बढ़े और उन्हें लाभ मिल सके. अब धान, गेहूं की तुलना में अगर हम मोटे अनाज की खेती करेंगे तो उसकी कीमत बहुत तेजी से बढ़ने वाली है.
मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं : कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख ने कहा कि पुराने जमाने में मिलेट्स की खेती उत्तर प्रदेश में बहुत बड़े पैमाने पर की जाती थी, लेकिन हरित क्रांति आने के बाद गेहूं, धान, गन्ना जैसी फसलों की तरफ किसानों का रुझान बढ़ गया. हम देश में आत्मनिर्भर तो हुए, लेकिन बहुत सारे हमारे पुराने व्यंजन थे वह हमसे धीरे-धीरे दूर होते चले गए. हमारे भोजन की थाली पोषण की दृष्टि से अधूरी है, साथ ही गेहूं और धान जैसी फसलों का निरंतर उत्पादन किया जाने के बाद हमारी मिट्टी में भी परिवर्तन आ गया है. जो हमारी मिट्टी थी उसमें बहुत सारे खरपतवार और कई बीमारियां खेती में आ गई हैं. आज इस मिलेट्स के कम खर्च के माध्यम से अधिक लाभ वाली फसलें प्रदेश के छोटे-छोटे किसानों के लिए अधिक बेहतर हैं, इसलिए ज्यादा ज्वार, बाजरा और काकून जैसी फसलों को भी पैदा करने की आवश्यकता है. मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों के साथ खड़ी है. भारत सरकार की योजनाओं के साथ उत्तर प्रदेश की सरकार पांच साल लगातार इस मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए किसानों के लिए बेहतर योजनाएं बना रही है. प्रदेश में श्री अन्न को बढ़ावा देने के लिए सभी की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है. चटोरी गली में मिलेट्स उत्सव का आयोजन किया गया है जिसमें आम जनता भी हिस्सा ले सकती है और मिलेट्स से बने भोजन का लुत्फ उठा सकती है.