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श्रवण साहू हत्याकांड: SSP के बाद DM भी लापरवाही के दोषी, CBI ने कार्रवाई के लिए की सिफारिश - ईटीवी भारत यूपी न्यूज

बहुचर्चित श्रवण साहू हत्याकांड में लखनऊ के डीएम रहे गौरीशंकर प्रियदर्शी भी सीबीआई की जांच में लापरवाही के दोषी पाए गए हैं.

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श्रवण साहू हत्याकांड
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Published : Apr 28, 2022, 3:29 PM IST

लखनऊ : राजधानी के बहुचर्चित श्रवण साहू हत्याकांड में लखनऊ की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी के साथ उस वक्त लखनऊ के डीएम रहे गौरीशंकर प्रियदर्शी भी सीबीआई की जांच में लापरवाही के दोषी पाए गए हैं. सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने राज्य सरकार से उनके खिलाफ भी विभागी कार्रवाई की सिफारिश की है.

सीबीआई की जांच में सामने आया कि श्रवण साहू ने एसएसपी और डीएम से सुरक्षा की गुहार लगाई थी. एक तरफ तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने श्रवण साहू की मांग को अनदेखा किया था तो तत्कालीन डीएम जीएस प्रियदर्शी ने साहू को सुरक्षा मुहैया कराने की फाइल को लटकाए रखा था. वह अन्य लोगों को सुरक्षा देने से संबंधित फाइल पर अपनी स्वीकृति प्रदान करते रहे थे. सीबीआई ने जीएस प्रियदर्शी से इस मामले में पूछताछ भी की थी लेकिन वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके थे.

इसके बाद सीबीआई ने श्रवण साहू हत्याकांड की जांच करते हुए तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक एलआईयू ए.के सिंह को भी दोषी पाया. उन पर आरोप है कि उन्होंने श्रवण साहू के बेटे की हत्या के बाद उन पर भी जान का खतरा होने के बावजूद सुरक्षा देने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए और फाइल को लटकाए रखा. जांच के दौरान सीबीआई ने उनसे पूछताछ की थी तो उन्होंने पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए वरिष्ठ अधिकारियों पर इल्जाम लगा थे.

यह भी पढ़ें- बड़े सपने दिखाकर लड़कियों को फंसाने वाला रेप का आरोपी गिरफ्तार, नाम बदलकर करता था दोस्ती

जानें क्या था मामला
दरअसल, लखनऊ के सआदतगंज थाना क्षेत्र के रहने वाले तेल व्यवसायी श्रवण साहू की 1 फरवरी 2017 को उनके घर के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थीं. श्रवण अपने बेटे के हत्यारों के खिलाफ अदालत में पैरवी कर रहे थे. श्रवण के बेटे आयुष साहू की हत्या 16 अक्टूबर 2013 में कर दी गई थी, जिसके वह इकलौते गवाह थे. श्रवण साहू को जान का खतरा होने के बावजूद उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराने में लखनऊ के सभी उच्च अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है. श्रवण ने तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी और डीएम जीएस प्रियदर्शी से भी सुरक्षा की गुहार लगाई थी. इसे उन्होंने दरकिनार कर दिया था. बाद में एक फरवरी 2017 को बदमाशों ने श्रवण साहू की उनकी दुकान में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी थी.

आयुष की हत्या के बाद लखनऊ पुलिस ने उसके पिता श्रवण साहू को ही आरोपी बताकर फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया था. इसके बाद तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने एक दारोगा और 2 सिपाहियों को बर्खास्त के साथ ही 6 पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया था. बाद में श्रवण साहू ने मंजिल सैनी से मिलकर खुद की जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई थी जिस पर कोई सुनवाई नहीं हुई थी. वहीं, श्रवण साहू ने डीएम से भी सुरक्षा की गुहार लगाते हुए प्रार्थना पत्र दिया था लेकिन जिलाधिकारी कार्यालय में भी फाइल लटकी ही रही थी.

वहीं, 20 फरवरी 2017 को हाईकोर्ट ने आयुष और श्रवण हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. यहीं नहीं, पुलिस की भूमिका की भी सीबीआई को जांच करने के निर्देश दिए थे और फिर सीबीआई ने श्रवण हत्याकांड मामले में 11 मई 2017 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी.

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लखनऊ : राजधानी के बहुचर्चित श्रवण साहू हत्याकांड में लखनऊ की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी के साथ उस वक्त लखनऊ के डीएम रहे गौरीशंकर प्रियदर्शी भी सीबीआई की जांच में लापरवाही के दोषी पाए गए हैं. सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने राज्य सरकार से उनके खिलाफ भी विभागी कार्रवाई की सिफारिश की है.

सीबीआई की जांच में सामने आया कि श्रवण साहू ने एसएसपी और डीएम से सुरक्षा की गुहार लगाई थी. एक तरफ तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने श्रवण साहू की मांग को अनदेखा किया था तो तत्कालीन डीएम जीएस प्रियदर्शी ने साहू को सुरक्षा मुहैया कराने की फाइल को लटकाए रखा था. वह अन्य लोगों को सुरक्षा देने से संबंधित फाइल पर अपनी स्वीकृति प्रदान करते रहे थे. सीबीआई ने जीएस प्रियदर्शी से इस मामले में पूछताछ भी की थी लेकिन वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके थे.

इसके बाद सीबीआई ने श्रवण साहू हत्याकांड की जांच करते हुए तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक एलआईयू ए.के सिंह को भी दोषी पाया. उन पर आरोप है कि उन्होंने श्रवण साहू के बेटे की हत्या के बाद उन पर भी जान का खतरा होने के बावजूद सुरक्षा देने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए और फाइल को लटकाए रखा. जांच के दौरान सीबीआई ने उनसे पूछताछ की थी तो उन्होंने पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए वरिष्ठ अधिकारियों पर इल्जाम लगा थे.

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जानें क्या था मामला
दरअसल, लखनऊ के सआदतगंज थाना क्षेत्र के रहने वाले तेल व्यवसायी श्रवण साहू की 1 फरवरी 2017 को उनके घर के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थीं. श्रवण अपने बेटे के हत्यारों के खिलाफ अदालत में पैरवी कर रहे थे. श्रवण के बेटे आयुष साहू की हत्या 16 अक्टूबर 2013 में कर दी गई थी, जिसके वह इकलौते गवाह थे. श्रवण साहू को जान का खतरा होने के बावजूद उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराने में लखनऊ के सभी उच्च अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है. श्रवण ने तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी और डीएम जीएस प्रियदर्शी से भी सुरक्षा की गुहार लगाई थी. इसे उन्होंने दरकिनार कर दिया था. बाद में एक फरवरी 2017 को बदमाशों ने श्रवण साहू की उनकी दुकान में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी थी.

आयुष की हत्या के बाद लखनऊ पुलिस ने उसके पिता श्रवण साहू को ही आरोपी बताकर फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया था. इसके बाद तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने एक दारोगा और 2 सिपाहियों को बर्खास्त के साथ ही 6 पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया था. बाद में श्रवण साहू ने मंजिल सैनी से मिलकर खुद की जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई थी जिस पर कोई सुनवाई नहीं हुई थी. वहीं, श्रवण साहू ने डीएम से भी सुरक्षा की गुहार लगाते हुए प्रार्थना पत्र दिया था लेकिन जिलाधिकारी कार्यालय में भी फाइल लटकी ही रही थी.

वहीं, 20 फरवरी 2017 को हाईकोर्ट ने आयुष और श्रवण हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. यहीं नहीं, पुलिस की भूमिका की भी सीबीआई को जांच करने के निर्देश दिए थे और फिर सीबीआई ने श्रवण हत्याकांड मामले में 11 मई 2017 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी.

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