लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मवेशियों संख्या लगातार जिस तरह से बढ़ रही है. उसके अनुसार प्रदेश में न तो पशु चिकित्सालयों की संख्या बढ़ रही है और न ही पशु चिकित्सकों की. ऐसे में पशुधन विभाग अपने सीमित संसाधनों के साथ इस समस्या से जूझ रहा है.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए पशुधन विभाग के डायरेक्टर डॉ. संतोष कुमार मलिक ने बताया, "निश्चित रूप से प्रदेश में पशु चिकित्सालय में और डॉक्टरों की संख्या में कमी है. बावजूद इसके हम लोग अपने संसाधनों के साथ लगातार इस स्थिति से निपटने के लिए काम कर रहे हैं और कर्मचारियों से अधिक घंटे काम भी कराया जा रहा है. ऐसे में यदि और पद सृजित किए जाएं और जो खाली पद हैं वह भरे जाएं तो निश्चित रूप से इसका लाभ पशुधन विभाग को मिलेगा और हम लोग और बेहतर सेवा कर सकेंगे."
संतोष कुमार मलिक ने बताया कि प्रदेश में मल्टी स्पेशलिस्ट पॉलीक्लिनिक की संख्या 5 है और 12 पॉलीक्लिनिक का निर्माण कराया जा रहा है. निश्चित रूप से इन 12 पॉलीक्लिनिक के निर्माण के बाद पशुओं की समस्याओं के समाधान में मदद मिलेगी. उन्होंने बताया कि द्वितीय श्रेणी पशु चिकित्सा अधिकारियों में कुल पदों की संख्या 1984 है, जिसमें से 1740 पद भरे हुए हैं और 244 पद रिक्त हैं. रिक्त पदों के लिए दो बार विज्ञापन भी प्रकाशित कराया गया है. इसके साथ ही इनकी नियुक्ति आयोग द्वारा की जाती है और इस बारे में आयोग को भी सूचित कर दिया गया है.
क्लास वन के 467 में से 174 पद खाली
डायरेक्टर डॉ. संतोष कुमार मलिक ने बताया कि क्लास वन के प्रदेश भर में 467 पद हैं, जिसमें डिप्टी सीवीओ और अधीक्षक तैनात होते हैं. 467 पदों में से 293 पदों पर अधिकारियों की तैनाती है, जबकि 174 पद अभी तक खाली हैं. रिक्त पद पदोन्नति से भरे जाते हैं, पर इस मामले में लखनऊ हाई कोर्ट में एक वाद विचाराधीन है, जिसके कारण पदोन्नति नहीं हो रही है. उत्तर प्रदेश में जनसंख्या के अनुपात में पशु चिकित्सालय कम है. ऐसे में पशुधन विभाग डाक्टरों और अस्पतालों की कमी से जूझ रहा है.