लखनऊः प्रधानमंत्री आत्म निर्भर स्वनिधि योजना के लिए नगर निगम को पटरी दुकानदार खोजे नहीं मिल रहे हैं. नगर निगम अधिकारियों व कर्मचारियों को पटरी दुकानदारों को ढूंढने में पसीना छूट रहा है. इसकी जानकारी होने के बाद नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने स्थिति सम्भाल ली है. उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों को अपने समस्त कामकाज छोड़ कर पटरी दुकानदारों को ढूढ़ने में लगा दिया है.
बता दें कि प्रत्येक जोन और वार्ड स्तर पर कैंप लगाये जा रहे हैं. मौके पर ही पटरी दुकानदारों का फार्म भर आधार को आनॅलाइन किया जा रहा है. व्यापारियों के संगठन से अपील की जा रही है. नगर निगम ने इस काम के लिए अपने 110 चैम्पियन भी मैदान में उतार दिए हैं. एक टीम में दो-दो चैंपियंस, कर निरीक्षक और अनुचर को लगाया गया है. उन्हें लैपटॉप और बायोमैट्रिक मशीन भी दी गई है.
सभी को सप्ताहभर में लक्ष्य पूरा करने का निर्देश दिया गया है. स्थाई पटरी दुकानदारों के साथ साथ ठेले पर घूमकर व्यापार करने वालों को भी इस योजना में शामिल किया जा रहा है. नगर निगम सीमा से बाहर भी पटरी दुकानदारों का पंजीकरण किया जा रहा है. योजना के उद्घाटन की तारीख कभी भी घोषित होने को लेकर अधिकारियों में बेचैनी है.
लखनऊ दूसरे शहरों की तुलना में पिछड़ा
योजना की रैंकिंग में वाराणसी ने लखनऊ और कानपुर को पीछे छोड़ दिया है. देश में भी दूसरे नंबर तक पहुंच गया है. बीते सप्ताह के आंकड़ों के मुताबिक वाराणसी योजना के तहत 35 हजार से अधिक लोगों को ऑनलाइन पंजीकरण कराते हुए लक्ष्य से आगे निकल गया है. लगभग तीन हजार के खाते में लोन भी जारी कर दिया गया है.
योजना में दस हजार का लोन का लाभ
लॉकडाउन के दौरान शहरी क्षेत्र में पटरी दुकानदारों को नुकसान से उबारने के लिए केंद्र सरकार ने इस योजना को लांच किया है. योजना के तहत चयनित वेंडरों को दस हजार रुपये बैंकों से लोन के रूप में मदद दी जानी है. 12 किश्तों में वेंडर को राशि अदा करनी है. समय से पैसा जमा करने पर 7 फीसद की सब्सिडी का लाभ मिलेगा. इसके बाद भी आगे इसी क्रम में दुकानदार को मदद के रूप में राशि मिलती रहेगी.