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लखनऊ: वर्षो बाद हज के पाक सफर पर शिया और सुन्नी एक साथ एहराम बांध कर होंगे रवाना

उत्तर प्रदेश के लखनऊ से सात साल बाद शिया और सुन्नी एक साथ हज के पाक सफर पर निकलेंगे. 21 जुलाई को लखनऊ से हज के सफर पर शिया और सुन्नी समुदाय, हज यात्रा के लिए एक साथ अहराम बांधकर हज के मुबारक सफर पर रवाना होंगे.

हज यात्रा पर शिया और सुन्नी होंगे एक साथ
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Published : Jul 20, 2019, 3:17 AM IST

लखनऊ: मुसलमानों में अलग-अलग रीति-रिवाज है, तमाम फिर्के मौजूद है, जो अपनी-अपनी रिवायत के मुताबिक अपने धार्मिक काम को अंजाम देते है. लेकिन हज एक ऐसा पाक और मुकद्दस सफर है, जहां पर ना कोई शिया है और ना कोई सुन्नी.

हज यात्रा पर शिया और सुन्नी होंगे एक साथ

हज का पाक सफर

  • हज का सफर एक ऐसा पाक सफर है, जहां कोई शिया या सुन्नी नही, सिर्फ एक मुस्लमान होता है.
  • इस बार एक बेहतरीन मिसाल हज के सफर के दौरान देखने को मिलेगी.
  • 21 जुलाई को लखनऊ से हज के सफर पर शिया और सुन्नी समुदाय, हज यात्रा के लिए एक साथ अहराम बांधकर हज के मुबारक सफर पर रवाना होंगे.
  • तकरीबन 7 सालों के बाद यह नजारा देखने को मिलेगा.
  • शिया और सुन्नी एक साथ एहराम यानी हज के दौरान पहने जाने वाला पवित्र कपड़ा बांधकर सफर ए हज के लिए रवाना होंगे.

''सुन्नी और शिया समुदाय में एहराम बांधने के शरियत अलग-अलग है, लेकिन इस बार विमान सीधे जद्दा जा रहे है. जिसकी वजह से शिया और सुन्नी एक साथ ही एहराम बांध कर अपने सफर की शुरुआत करेंगे जो बेहद खुशी की बात है.''
-मुफ़्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली, क़ाज़ी ए शहर

लखनऊ: मुसलमानों में अलग-अलग रीति-रिवाज है, तमाम फिर्के मौजूद है, जो अपनी-अपनी रिवायत के मुताबिक अपने धार्मिक काम को अंजाम देते है. लेकिन हज एक ऐसा पाक और मुकद्दस सफर है, जहां पर ना कोई शिया है और ना कोई सुन्नी.

हज यात्रा पर शिया और सुन्नी होंगे एक साथ

हज का पाक सफर

  • हज का सफर एक ऐसा पाक सफर है, जहां कोई शिया या सुन्नी नही, सिर्फ एक मुस्लमान होता है.
  • इस बार एक बेहतरीन मिसाल हज के सफर के दौरान देखने को मिलेगी.
  • 21 जुलाई को लखनऊ से हज के सफर पर शिया और सुन्नी समुदाय, हज यात्रा के लिए एक साथ अहराम बांधकर हज के मुबारक सफर पर रवाना होंगे.
  • तकरीबन 7 सालों के बाद यह नजारा देखने को मिलेगा.
  • शिया और सुन्नी एक साथ एहराम यानी हज के दौरान पहने जाने वाला पवित्र कपड़ा बांधकर सफर ए हज के लिए रवाना होंगे.

''सुन्नी और शिया समुदाय में एहराम बांधने के शरियत अलग-अलग है, लेकिन इस बार विमान सीधे जद्दा जा रहे है. जिसकी वजह से शिया और सुन्नी एक साथ ही एहराम बांध कर अपने सफर की शुरुआत करेंगे जो बेहद खुशी की बात है.''
-मुफ़्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली, क़ाज़ी ए शहर

Intro:मुसलमानों में अलग अलग मसलक और तमाम फ़िर्क़े मौजूद हैं जो अपनी अपनी रिवायत के मुताबिक अपने धार्मिक काम अंजाम देते हैं लेकिन हज एक ऐसा पाक और मुकद्दस सफर है जहां पर ना कोई किया शिया है और ना ही कोई सुन्नी बल्कि यहां पर सब मुसलमान होते हैं। ऐसे ही एक बेहतरीन मिसाल इस बार भी हज के सफर के दौरान देखने को मिलेगी जब 21 जुलाई को लखनऊ से हज के सफर पर शिया और सुन्नी समुदाय के हज यात्री एक साथ अहराम बांधकर हज के मुबारक सफर पर रवाना होंगे।


Body: इस खास मौके पर काजी ए शहर मुफ्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली ने बताया कि सुन्नी और शिया समुदाय में एहराम बांधने के शरियत अलग अलग है लेकिन इस बार विमान सीधे जद्दा जा रहे है जिसकी वजह से शिया और सुन्नी एक साथ ही एहराम बांध कर अपने सफर की शुरुआत करेंगे जो बेहद खुशी की बात है। मुफ़्ती अबुल इरफान मियां ने कहा कि जब एहराम दोनों साथ मे बांधेंगे और हज में एक साथ रहेंगे तो आपसी इत्तेहाद कायम होगा। फरंगी महली का कहना है कि हज और एहराम के अलावा भी दोनों समुदाय को एकजुट होना चाहिए और ज़ुल्म और सितम के खिलाफ एक साथ खन्धे से खंधा मिलाकर खड़े होना चाहिए।

बाइट- मुफ़्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली, क़ाज़ी ए शहर


Conclusion:बताते चलें कि तकरीबन 7 सालों के बाद यह नजारा देखने को मिलेगा जब एक साथ शिया और सुन्नी फिरके के लोग एहराम यानी हज के दौरान पहने जाने वाला पवित्र कपड़ा बांधकर सफर ए हज के लिए रवाना होंगे। हालांकि इससे पहले 2012 में लखनऊ से फ्लाइट जद्दा को उड़ान भरती थी जब यह नजारा देखने को मिलता था।
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