लखनऊ: मुसलमानों में अलग-अलग रीति-रिवाज है, तमाम फिर्के मौजूद है, जो अपनी-अपनी रिवायत के मुताबिक अपने धार्मिक काम को अंजाम देते है. लेकिन हज एक ऐसा पाक और मुकद्दस सफर है, जहां पर ना कोई शिया है और ना कोई सुन्नी.
हज का पाक सफर
- हज का सफर एक ऐसा पाक सफर है, जहां कोई शिया या सुन्नी नही, सिर्फ एक मुस्लमान होता है.
- इस बार एक बेहतरीन मिसाल हज के सफर के दौरान देखने को मिलेगी.
- 21 जुलाई को लखनऊ से हज के सफर पर शिया और सुन्नी समुदाय, हज यात्रा के लिए एक साथ अहराम बांधकर हज के मुबारक सफर पर रवाना होंगे.
- तकरीबन 7 सालों के बाद यह नजारा देखने को मिलेगा.
- शिया और सुन्नी एक साथ एहराम यानी हज के दौरान पहने जाने वाला पवित्र कपड़ा बांधकर सफर ए हज के लिए रवाना होंगे.
''सुन्नी और शिया समुदाय में एहराम बांधने के शरियत अलग-अलग है, लेकिन इस बार विमान सीधे जद्दा जा रहे है. जिसकी वजह से शिया और सुन्नी एक साथ ही एहराम बांध कर अपने सफर की शुरुआत करेंगे जो बेहद खुशी की बात है.''
-मुफ़्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली, क़ाज़ी ए शहर