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यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को घर बैठे मिलेगा न्याय - लखनऊ में महिलाओं को सुविधा

उत्तर प्रदेश में महिलाओं को अब अपनी यौन उत्पीड़न की शिकायत के लिए थाने के चक्कर नहीं लगाने होंगे. सखी सुविधा के तहत अब महिलाओं को घर बैठे ही न्याय मिल जाएगा.

यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को घर बैठे मिलेगा न्याय
यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को घर बैठे मिलेगा न्याय
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Published : Dec 25, 2020, 5:37 PM IST

लखनऊः किसी भी पीड़ित महिला को अब अपने साथ हुए किसी अपराध का मुकदमा दर्ज कराने के बाद उसे बार-बार थाने का चक्कर नहीं लगाना होगा. प्रदेश में अब निर्भया मामले के बाद से ही यह व्यवस्था लागू हो गई है कि महिलाओं के मामले में अब पुलिस उन्हें घर बैठे ही सुविधा उपलब्ध कराएगी. महिलाओं के सम्मान को ध्यान में रखते हुए यह व्यवस्था लागू की गई है. वहीं प्रत्येक जिले में एक महिला थाने की स्थापना महिलाओं की सुनवाई के लिए ही की गई है.

महिलाओं के सम्मान को ध्यान में रखते हुए लागू की गई है व्यवस्था.

छेड़खानी की घटनाओं पर लगेगी पाबंदी
किसी भी महिला के साथ छेड़खानी और दुराचार जैसी घटना के बाद उन्हें एक सखी सुविधा के तहत एक महिला सिपाही उपलब्ध कराई जाती है, जो महिला को न्याय दिलाने में उसकी पूरी मदद करती है. महिला को केवल अपने बयान दर्ज कराने के लिए मजिस्ट्रेट के सामने ही उपस्थित होना पड़ता है. वहीं बाल अधिकार आयोग में भी इस तरह की व्यवस्था जेजे एक्ट में निर्धारित की गई है.

महिलाओं को बार-बार नहीं लगाने होते थाने के चक्कर
यौन अपराध से जुड़े मामलों में मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए अब नई व्यवस्था के तहत काम कर रही है .उत्तर प्रदेश में महिलाओं के सम्मान और निजता की सुरक्षा करने के लिए अब महिलाओं को थाने का बार बार चक्कर नहीं लगाना होगा. निर्भया केस से पहले यह व्यवस्था नहीं थी.

महिलाओं को घर बैठे मिल रही सुविधा
महिलाओं को अपने साथ हुए यौन अपराधों के मामले में काफी पीड़ा झेलनी पड़ती थी. उन्हें बार-बार पुलिस के उल्टे सीधे सवालों का जवाब देना पड़ता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. महिला अपराध दर्ज होने के बाद से ही उन्हें सखी सुविधा के तहत एक महिला पुलिसकर्मी की सहायता मिलेगी. घर बैठे महिलाओं को अपने साथ हुए अपराध के मामले में पूछताछ हो रही है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रगति को जानकारी भी उन्हें घर बैठे मिल रही है.

जेजे एक्ट में है यह प्रावधान
जेजे एक्ट में यह प्रावधान है कि कोई भी नाबालिग बच्ची जिसके साथ यौन उत्पीड़न संबंधित कोई अपराध हुआ है वह न तो थाने जाएगी और न ही उसका नाम उजागर होगा. यहां तक कि उसका फोटोग्राफ भी नहीं लिया जा सकेगा. बच्ची शुरुआती समय में बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत होगी. बाल कल्याण समिति ही सीएमओ को निर्देशित करती है कि इस पीड़िता का मेडिकल कराया जाता है. फिर उसे घर भेज दिया जाता है.

राजधानी में महिलाओं को मिल रहीं विशेष सुविधाएं
किसी भी प्रदेश की राजधानी विकास के पैमाने से लेकर कानून व्यवस्था के मामले में अन्य जिलों के सामने आदर्श प्रस्तुत करना होता है. वहीं महिलाओं के साथ हो रहे अपराध के मामलों में त्वरित न्याय दिलाने के लिए जहां उत्तर प्रदेश सरकार 'मिशन शक्ति' के तहत कार्रवाई कर रही है तो वहीं महिलाओं को राजधानी लखनऊ में विशेष सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं.

राजधानी में बने 100 पिंक बूथ
राजधानी में सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत 100 ऐसे पिंक बूथ बनाए गए हैं. जहां पर महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती है. इन बूथों में महिला पुलिसकर्मी किसी भी महिला जो पीड़ित है उसकी मदद करने के लिए उपलब्ध रहती है. वही यहां महिला अपनी पहचान को छुपाते हुए अपने साथ हुए अपराध के बारे में खुलकर बता सकती है. वहीं महिला पुलिसकर्मी मुकदमा दर्ज कराने से लेकर हर तरह से उसकी मदद करती है.

'मिशन शक्ति' से महिलाओं को मिली शक्ति
प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार इन दिनों पूरे प्रदेश में 'मिशन शक्ति' के तहत महिला से जुड़े हुए मामलों और महिला उत्पीड़न के मामलों को लेकर कार्रवाई कर रही है. वहीं 'मिशन शक्ति' से महिलाओं को विशेष शक्ति मिली है. अब तक 'मिशन शक्ति' के अंतर्गत अभियोजन के विशेष प्रयास के बदौलत 11 मामलों में 14 लोगों को फांसी की सजा हो चुकी है .जबकि 20 को उम्र कैद और 22 लोग जेल भेजे गए हैं.

बच्ची की निजता सर्वोपरि
बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता बताते हैं जेजे एक्ट में स्पष्ट प्रावधान है कि जो भी नाबालिग बच्ची जिसके साथ कोई अपराध हुआ हो उस स्थिति में उसे बाल कल्याण समिति के सामने पेश करना होता है. न कि किसी थाने का चक्कर लगाना होता है. समिति बच्ची का मेडिकल कराती है और उससे पूछताछ भी करती है. यहां पर बच्ची की निजता की सुरक्षा करना सर्वोपरि है.

महिला सिपाही करती है सखी के रूप में काम
राजधानी लखनऊ में महिला अपराध की डीसीपी रुचिता चौधरी बताती हैं कि यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को थाने जाने की जरूरत नहीं है. उन्हें अपने साथ हुए अपराध के मामले में मुकदमा दर्ज कराने से लेकर अपराध की प्रगति की जानकारी सखी सुविधा के माध्यम से दी जाती है. पीड़ित महिला के साथ एक महिला सिपाही सखी के रूप में काम करती है और हर तरह से उसकी मदद करती है.

लखनऊः किसी भी पीड़ित महिला को अब अपने साथ हुए किसी अपराध का मुकदमा दर्ज कराने के बाद उसे बार-बार थाने का चक्कर नहीं लगाना होगा. प्रदेश में अब निर्भया मामले के बाद से ही यह व्यवस्था लागू हो गई है कि महिलाओं के मामले में अब पुलिस उन्हें घर बैठे ही सुविधा उपलब्ध कराएगी. महिलाओं के सम्मान को ध्यान में रखते हुए यह व्यवस्था लागू की गई है. वहीं प्रत्येक जिले में एक महिला थाने की स्थापना महिलाओं की सुनवाई के लिए ही की गई है.

महिलाओं के सम्मान को ध्यान में रखते हुए लागू की गई है व्यवस्था.

छेड़खानी की घटनाओं पर लगेगी पाबंदी
किसी भी महिला के साथ छेड़खानी और दुराचार जैसी घटना के बाद उन्हें एक सखी सुविधा के तहत एक महिला सिपाही उपलब्ध कराई जाती है, जो महिला को न्याय दिलाने में उसकी पूरी मदद करती है. महिला को केवल अपने बयान दर्ज कराने के लिए मजिस्ट्रेट के सामने ही उपस्थित होना पड़ता है. वहीं बाल अधिकार आयोग में भी इस तरह की व्यवस्था जेजे एक्ट में निर्धारित की गई है.

महिलाओं को बार-बार नहीं लगाने होते थाने के चक्कर
यौन अपराध से जुड़े मामलों में मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए अब नई व्यवस्था के तहत काम कर रही है .उत्तर प्रदेश में महिलाओं के सम्मान और निजता की सुरक्षा करने के लिए अब महिलाओं को थाने का बार बार चक्कर नहीं लगाना होगा. निर्भया केस से पहले यह व्यवस्था नहीं थी.

महिलाओं को घर बैठे मिल रही सुविधा
महिलाओं को अपने साथ हुए यौन अपराधों के मामले में काफी पीड़ा झेलनी पड़ती थी. उन्हें बार-बार पुलिस के उल्टे सीधे सवालों का जवाब देना पड़ता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. महिला अपराध दर्ज होने के बाद से ही उन्हें सखी सुविधा के तहत एक महिला पुलिसकर्मी की सहायता मिलेगी. घर बैठे महिलाओं को अपने साथ हुए अपराध के मामले में पूछताछ हो रही है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रगति को जानकारी भी उन्हें घर बैठे मिल रही है.

जेजे एक्ट में है यह प्रावधान
जेजे एक्ट में यह प्रावधान है कि कोई भी नाबालिग बच्ची जिसके साथ यौन उत्पीड़न संबंधित कोई अपराध हुआ है वह न तो थाने जाएगी और न ही उसका नाम उजागर होगा. यहां तक कि उसका फोटोग्राफ भी नहीं लिया जा सकेगा. बच्ची शुरुआती समय में बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत होगी. बाल कल्याण समिति ही सीएमओ को निर्देशित करती है कि इस पीड़िता का मेडिकल कराया जाता है. फिर उसे घर भेज दिया जाता है.

राजधानी में महिलाओं को मिल रहीं विशेष सुविधाएं
किसी भी प्रदेश की राजधानी विकास के पैमाने से लेकर कानून व्यवस्था के मामले में अन्य जिलों के सामने आदर्श प्रस्तुत करना होता है. वहीं महिलाओं के साथ हो रहे अपराध के मामलों में त्वरित न्याय दिलाने के लिए जहां उत्तर प्रदेश सरकार 'मिशन शक्ति' के तहत कार्रवाई कर रही है तो वहीं महिलाओं को राजधानी लखनऊ में विशेष सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं.

राजधानी में बने 100 पिंक बूथ
राजधानी में सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत 100 ऐसे पिंक बूथ बनाए गए हैं. जहां पर महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती है. इन बूथों में महिला पुलिसकर्मी किसी भी महिला जो पीड़ित है उसकी मदद करने के लिए उपलब्ध रहती है. वही यहां महिला अपनी पहचान को छुपाते हुए अपने साथ हुए अपराध के बारे में खुलकर बता सकती है. वहीं महिला पुलिसकर्मी मुकदमा दर्ज कराने से लेकर हर तरह से उसकी मदद करती है.

'मिशन शक्ति' से महिलाओं को मिली शक्ति
प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार इन दिनों पूरे प्रदेश में 'मिशन शक्ति' के तहत महिला से जुड़े हुए मामलों और महिला उत्पीड़न के मामलों को लेकर कार्रवाई कर रही है. वहीं 'मिशन शक्ति' से महिलाओं को विशेष शक्ति मिली है. अब तक 'मिशन शक्ति' के अंतर्गत अभियोजन के विशेष प्रयास के बदौलत 11 मामलों में 14 लोगों को फांसी की सजा हो चुकी है .जबकि 20 को उम्र कैद और 22 लोग जेल भेजे गए हैं.

बच्ची की निजता सर्वोपरि
बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता बताते हैं जेजे एक्ट में स्पष्ट प्रावधान है कि जो भी नाबालिग बच्ची जिसके साथ कोई अपराध हुआ हो उस स्थिति में उसे बाल कल्याण समिति के सामने पेश करना होता है. न कि किसी थाने का चक्कर लगाना होता है. समिति बच्ची का मेडिकल कराती है और उससे पूछताछ भी करती है. यहां पर बच्ची की निजता की सुरक्षा करना सर्वोपरि है.

महिला सिपाही करती है सखी के रूप में काम
राजधानी लखनऊ में महिला अपराध की डीसीपी रुचिता चौधरी बताती हैं कि यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को थाने जाने की जरूरत नहीं है. उन्हें अपने साथ हुए अपराध के मामले में मुकदमा दर्ज कराने से लेकर अपराध की प्रगति की जानकारी सखी सुविधा के माध्यम से दी जाती है. पीड़ित महिला के साथ एक महिला सिपाही सखी के रूप में काम करती है और हर तरह से उसकी मदद करती है.

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