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दिव्यांगों के लिए अलग से चलेंगी कक्षाएं, लैब सहित सारी सुविधाएं मिलेंगी - उत्तर प्रदेश समाचार

उत्तर प्रदेश में दिव्यांगों को रोजगार देने के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास मिशन योजना कितनी कारगर साबित हुई है. इस पूरी जानकारी के लिए ईटीवी भारत के संवाददाता ने कौशल विकास मिशन के निदेशक आईएएस कुनाल सिल्कू से खास बातचीत की.पेश है बातचीत के प्रमुख अंशः-

कुनाल सिल्कू, निदेशक-कौशल विकास मिशन.
कुनाल सिल्कू, निदेशक-कौशल विकास मिशन.
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Published : Feb 4, 2021, 12:38 PM IST

लखनऊः प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत पिछले 4 सालों में प्रदेश के बहुत से युवाओं को रोजगार के लायक बनाया गया है. कौशल विकास योजना के तहत युवाओं को प्रशिक्षण और संबंधित सर्टिफिकेट भी दिया गया है, जिससे उन्हें रोजगार मिले हैं. दिव्यांगों को रोजगार देने के लिए योजना कितनी कारगर साबित हुई है. इस पूरी जानकारी के लिए ईटीवी भारत के संवाददाता ने कौशल विकास मिशन के निदेशक आईएएस कुनाल सिल्कू से खास बातचीत की.

कुनाल सिल्कू, निदेशक-कौशल विकास मिशन.

दो प्रकार के दिए जा रहे प्रशिक्षण
कुनाल सिल्कू ने बताया कि बीते 4 सालों में तमाम लोगों को रोजगार के लायक बनाया है. उन्होंने बताया कि तहत युवाओं को दो तरह की ट्रेनिंग कराई जाती है. एक आईटीआई के माध्यम से और दूसरा कौशल विकास मिशन के तहत शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग कराई जाती है. आईटीआई की तरफ से 1 साल या फिर 2 साल का डिप्लोमा होता है. दूसरा कौशल विकास मिशन के तहत शार्ट टर्म ट्रेनिंग में 3 महीने 6 महीने या फिर 3 दिन की भी ट्रेनिंग दी जाती है.

वोकेशनल एजुकेशन और फॉर्मल एजुकेशन में अंतर
कुनाल कुल्लू ने बताया कि दिव्यांग जनों को लेकर हमेशा यह चैलेंज रहा है कि उन्हें क्लास में कैसे प्रशिक्षण दिया जाए और उन्हें कैसे स्वावलंबी बनाया जाए. अन्य कक्षाओं की अपेक्षा कौशल विकास मिशन के प्रशिक्षण क्लास में बहुत अंतर है, क्योंकि वोकेशनल एजुकेशन और फॉर्मल एजुकेशन में अंतर होता है. फॉर्मल एजुकेशन में क्लास में बैठकर शिक्षा ली जाती है, लेकिन वोकेशनल एजुकेशन में प्रैक्टिकल भी होता है. जिसको लेकर अलग-अलग टूल्स भी होते हैं.

दिव्यांगों के लिए योजना बनाने वाला यूपी पहला राज्य
कुनाल कुल्लू ने बताया कि सामान्य क्लासों में सभी छात्र एक साथ बैठकर क्लास ले लेते हैं. लेकिन टेक्निकली रूप से प्रशिक्षण देते समय क्लास में एक या दो विकलांग जन के लिए हमेशा समस्याएं बनी रहती है. क्योंकि कौशल विकास मिशन योजना के अंतर्गत दिव्यांगों के लिए 3% आरक्षण है. अब ऐसे में 27 लोगों की क्लास में करीब 1 दिव्यांग की सीट होती है. इसको ध्यान में प्रदेश में दिव्यांगों के लिये अलग क्लास कराने का प्लान बनाया है. जिससे दिव्यांगजनों को क्लास में अलग लैब हो और अन्य सारी सुविधाएं उन्हें उपलब्ध हो सकें. इसके साथ ही प्रशिक्षण देने वाली फैकल्टी भी अलग हो, जिससे वह प्रशिक्षण ले सकें. इस योजना को लागू करने वाले उत्तर प्रदेश राज्य पहला राज्य है. जो स्टेट लेवल पर दिव्यांगों के क्लास लगाने की तैयारी कर रहा है. उम्मीद है कि इसमें सफलता भी मिलेगी.

युवा अपना व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं
कुनाल कुल्लू ने बताया कि कौशल विकास मिशन के तहत लोगों को स्वावलंबी बनाने के लिए और किसी संस्थान में नौकरी पाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. इच्छुक युवा किसी संस्थान में जाकर नौकरी भी कर सकते हैं. इसके साथ ही तमाम ऐसी ट्रेड हैं, जिनमें युवा सेल्फ इंप्लीमेंट भी कर सकते हैं. जैसे सिलाई, कढ़ाई ट्रेड में लोग अपना बुटीक या अपनी दुकान खोल सकते हैं. कुछ ट्रेड ऐसी हैं, जो सिर्फ नौकरी करने के योग्य बनाती हैं. जैसे होटल मैनेजमेंट का कोर्स है.

लखनऊः प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत पिछले 4 सालों में प्रदेश के बहुत से युवाओं को रोजगार के लायक बनाया गया है. कौशल विकास योजना के तहत युवाओं को प्रशिक्षण और संबंधित सर्टिफिकेट भी दिया गया है, जिससे उन्हें रोजगार मिले हैं. दिव्यांगों को रोजगार देने के लिए योजना कितनी कारगर साबित हुई है. इस पूरी जानकारी के लिए ईटीवी भारत के संवाददाता ने कौशल विकास मिशन के निदेशक आईएएस कुनाल सिल्कू से खास बातचीत की.

कुनाल सिल्कू, निदेशक-कौशल विकास मिशन.

दो प्रकार के दिए जा रहे प्रशिक्षण
कुनाल सिल्कू ने बताया कि बीते 4 सालों में तमाम लोगों को रोजगार के लायक बनाया है. उन्होंने बताया कि तहत युवाओं को दो तरह की ट्रेनिंग कराई जाती है. एक आईटीआई के माध्यम से और दूसरा कौशल विकास मिशन के तहत शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग कराई जाती है. आईटीआई की तरफ से 1 साल या फिर 2 साल का डिप्लोमा होता है. दूसरा कौशल विकास मिशन के तहत शार्ट टर्म ट्रेनिंग में 3 महीने 6 महीने या फिर 3 दिन की भी ट्रेनिंग दी जाती है.

वोकेशनल एजुकेशन और फॉर्मल एजुकेशन में अंतर
कुनाल कुल्लू ने बताया कि दिव्यांग जनों को लेकर हमेशा यह चैलेंज रहा है कि उन्हें क्लास में कैसे प्रशिक्षण दिया जाए और उन्हें कैसे स्वावलंबी बनाया जाए. अन्य कक्षाओं की अपेक्षा कौशल विकास मिशन के प्रशिक्षण क्लास में बहुत अंतर है, क्योंकि वोकेशनल एजुकेशन और फॉर्मल एजुकेशन में अंतर होता है. फॉर्मल एजुकेशन में क्लास में बैठकर शिक्षा ली जाती है, लेकिन वोकेशनल एजुकेशन में प्रैक्टिकल भी होता है. जिसको लेकर अलग-अलग टूल्स भी होते हैं.

दिव्यांगों के लिए योजना बनाने वाला यूपी पहला राज्य
कुनाल कुल्लू ने बताया कि सामान्य क्लासों में सभी छात्र एक साथ बैठकर क्लास ले लेते हैं. लेकिन टेक्निकली रूप से प्रशिक्षण देते समय क्लास में एक या दो विकलांग जन के लिए हमेशा समस्याएं बनी रहती है. क्योंकि कौशल विकास मिशन योजना के अंतर्गत दिव्यांगों के लिए 3% आरक्षण है. अब ऐसे में 27 लोगों की क्लास में करीब 1 दिव्यांग की सीट होती है. इसको ध्यान में प्रदेश में दिव्यांगों के लिये अलग क्लास कराने का प्लान बनाया है. जिससे दिव्यांगजनों को क्लास में अलग लैब हो और अन्य सारी सुविधाएं उन्हें उपलब्ध हो सकें. इसके साथ ही प्रशिक्षण देने वाली फैकल्टी भी अलग हो, जिससे वह प्रशिक्षण ले सकें. इस योजना को लागू करने वाले उत्तर प्रदेश राज्य पहला राज्य है. जो स्टेट लेवल पर दिव्यांगों के क्लास लगाने की तैयारी कर रहा है. उम्मीद है कि इसमें सफलता भी मिलेगी.

युवा अपना व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं
कुनाल कुल्लू ने बताया कि कौशल विकास मिशन के तहत लोगों को स्वावलंबी बनाने के लिए और किसी संस्थान में नौकरी पाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. इच्छुक युवा किसी संस्थान में जाकर नौकरी भी कर सकते हैं. इसके साथ ही तमाम ऐसी ट्रेड हैं, जिनमें युवा सेल्फ इंप्लीमेंट भी कर सकते हैं. जैसे सिलाई, कढ़ाई ट्रेड में लोग अपना बुटीक या अपनी दुकान खोल सकते हैं. कुछ ट्रेड ऐसी हैं, जो सिर्फ नौकरी करने के योग्य बनाती हैं. जैसे होटल मैनेजमेंट का कोर्स है.

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