लखनऊः वरिष्ठ और फेमस रंगकर्मी, नाट्स निर्देशक, लेखक और व्यंग्यकार उर्मिल कुमार थपलियाल का पार्थिव शरीर बुधवार को 21 जुलाई को पंततत्व में विलीन हो गया. राजधानी के भैसाकुंड घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ. आखिरी विदाई के समय उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इस मौके पर उपस्थिति रंगकर्मियों और साहित्यकारों ने अंतिम विदाई दी.
आपको बता दें कि बीते मंगलवार शाम को उनका निधन हो गया था. उनके निधन से रंगकर्मियों और साहित्यकारों में शोक की लहर व्याप्त है. बुधवार भैसाकुंड घाट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. प्रसिद्ध रंगकर्मी की अंतिम विदाई पर गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया.
मिली जानकारी के मुताबिक वो पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे. अस्पताल में भी भर्ती हो चुके थे. मंगलवार को उन्होंने अपने घर पर ही आखिरी सांस ली. प्रसिद्ध रंगकर्मी की विदाई के समय रंगकर्मी ललित सिंह पोखरिया, संगम बहुगुणा, राकेश, वयोवृद्ध रंगकर्मी आतमजात सिंह, सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ, अलका विवेक, गोपाल सिन्हा, संध्या दीप, अजय शर्मा, मधु बाबा, आकाशवाणी के प्रतुल जोशी शामिल हुए. वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी और पर्वतीय महापरिषद के अध्यक्ष गणेश जोशी और महामंत्री सहित अन्य गणमान्य लोग और कलाकारों ने बड़े दुखी मन से विदाई दी.
नाट्य संस्था 'मंचकृति' के निदेशक संगम बहुगुणा ने कहा कि थपलियाल जैसा कलाकाल न था और न ही कोई और है. वे कलाकार, निर्देशक, लेखक और व्यंग्यकार के अलावा अच्छे संगीतकार भी थे. उनके नाटकों में संगीत पक्ष बहुत ही मजबूत होता था. अखबारों में लिखे उनके काम भी बहुत लोकप्रिय हुए.
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नाट्य संस्था 'निसर्ग' के निदेशक ललित सिंह पोखरिया ने कहा कि सौभाग्य से उनके साथ गोष्ठियों और परिचर्चाओं में हिस्सा लेने का अवसर मिला. एक बार एत्तेफाक से उनके एक नाटक में आगरा में रोल करने का भी मौका मिला और उसी नाटक में हमने जयपुर में लाइट भी की, जो मेरा पहला और आखिरी अनुभव था.