लखनऊ : सीएसआईआर-सीमैप में 15 जनवरी 2021 से चल रहे 20 दिवसीय किसान मेले के तीसरे व चौथे दिन 18 जनवरी व 19 जनवरी को सीएसआईआर सीमैप के निदेशक डॉक्टर प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने किसान मेला 2021 में विभिन्न राज्यों से आए हुए कृषिकों व अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि 80 के दशक में भारत में मेंथा के तेल का उत्पादन नहीं होता था, लेकिन सीएसआईआर-सीमैप द्वारा विकसित प्रजातियां जो ज्यादा पैदावार देती हैं उसे किसानों को उपलब्ध कराया गया. फलस्वरुप आज भारत मेंथा के तेल के उत्पादन में प्रथम पायदान पर है. यही नहीं निर्यात में भी भारत प्रथम स्थान है.
उन्होंने आगे कहा कि परंपरागत फसलों के फसल चक्र में औषधीय एवं संगघ पौधों को समाहित किया जाना चाहिए ताकि खाद्यान्न के साथ-साथ कैश क्रॉप से आर्थिक मदद भी मिलती रहे. उन्होंने यह भी कहा कि फसल को इस प्रकार उगाया जाए कि बाजार में अधिकता न हो, जिससे किसानों को अच्छा मूल्य मिल सके. उनका कहना था कि आने वाले सालों में खेती जीरेनियम और अन्य संगधीय तेलों के उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनना है, जिसमें किसानों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी.
डॉक्टर प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने आगे कहा कि मोबाइल एप लांच किया जाएगा जिससे किसानों को सूचनाएं समय पर प्राप्त होंगी. आसवन व भंडारण से संबंधित कोई भी जानकारी तुरंत मुहैया हो सकेगी. एरोमा मिशन परियोजना के प्रथम भाग में देश के 25 राज्यों में लगभग 1400 किसान को क्लस्टर बनकर औषधीय एवं संगध पौधों की खेती कराई जा रही है. इस अवसर पर निदेशक महोदय ने किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली मेंथा की प्रजाति किसानों को प्रदान की. किसान गोष्ठी में डॉ विरेंद्र कुमार वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक ने मेंथा पीपरीटा की खेती के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी. साथ ही खस की खेती व वर्मी कंपोस्ट बनाने की तकनीकी को किसानों से साझा किया गया. डॉ संजय कुमार प्रधान वैज्ञानिक ने नींबू घास की खेती के बारे में बताया.
किसान मेले में मेंथा जिरेनियम तुलसी तथा अन्य औषधीय एवं संगधीय पौधों की पौध सामग्री की खरीदी किसानों ने की. सीमैप में लगी सजीव प्रदर्शनी का अनुभव प्राप्त किया. तीसरे और चौथे दिन कार्यक्रम का संचालन तथा आभार प्रदर्शन डॉक्टर ऋषिकेश व डॉक्टर राम सुरेश शर्मा ने किया.