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गंगा नदी के बारे में मजेदार रोचक तथ्य और बातें...

गंगा नदी(Ganga River) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है. आइए जानते हैं मां गंगा के 10 पौराणिक और 10 ऐतिहासिक तथ्य.

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Published : Sep 26, 2021, 11:19 AM IST

गंगा नदी के बारे रोचक बातें
गंगा नदी के बारे रोचक बातें

लखनऊ : गंगा नदी को भारत में सबसे पवित्र नदी माना जाता है. ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है. इस दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था. इस वर्ष यह 20 जून 2021 को मनाया जाएगा. यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर 2525 किलोमीटर की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है.

  1. विष्णु के कमंडल से प्रकट हुई गंगा : यह भी कहा जाता है कि गंगा का जन्म ब्रह्मा के कमंडल से हुआ था. मतलब यह कि गंगा नामक एक नदी का जन्म. एक अन्य कथा के अनुसार ब्रह्माजी ने विष्णुजी के चरणों को आदर सहित धोया और उस जल को अपने कमंडल में एकत्र कर लिया. भगवान विष्णु के अंगूठे से गंगा प्रकट हुई अतः उसे विष्णुपदी कहां जाता है.
  2. हिमवान की पुत्री : एक अन्य कथा के अनुसार गंगा पर्वतों के राजा हिमवान और उनकी पत्नी मीना की पुत्री हैं, इस प्रकार वे देवी पार्वती की बहन भी हैं. कुछ जगहों पर उन्हें ब्रह्मा के कुल का बताया गया है.
  3. जाह्‍नु ऋषि की पुत्री : जैसे राजा दक्ष की पुत्री माता सती ने हिमालय के यहां पार्वती के नाम से जन्म लिया था उसी तरह माता गंगा ने अपने दूसरे जन्म में ऋषि जह्नु के यहां जन्म लिया था.
  4. स्वर्ग से धरती पर उतरी गंगा : पौराणिक शास्त्रों के अनुसार गंगा अवतरण हेतु ऋषि भागीरथ की तपस्या ने घोर तपस्या की. उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने गंगा की धारा को अपने कमंडल से छोड़ा. तब भगवान शंकर ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेटकर जटाएं बांध लीं. बाद में भगीरथ की आराधना के बाद उन्होंने गंगा को अपनी जटाओं से मुक्त कर धरती पर उतार दिया.
  5. गंगा दशहरा के दिन हुआ गंगा अवतरण : पुराणों अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्गलोक से सबसे पहले शिवशंकर की जटाओं में पहुंची और फिर धरती गंगा दशशहरा के दि धरती पर उतरीं.
  6. शिव की गंगा : कहते हैं कि ब्रह्मचारिणी गंगा के द्वारा किए स्पर्श से ही महादेव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. पत्नी पुरुष की सेवा करती है अतः उसका वास पति के हृदय में अथवा चरणों मे होता है किंतु भगवती गंगा शिव के मस्तक पर विराजति है.
  7. गणेश और कार्तिकेय की माता : कहते हैं कि शंकर और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का गर्भ भी देवी गंगा ने धारण किया था. गंगा के पिता भी हिमवान है अतः वो पार्वती की बहन मानी जाती है. स्कंद पुराण के अनुसार, देवी गंगा कार्तिकेय (मुरुगन) की सौतेली माता हैं; कार्तिकेय वास्तव में शंकर और पार्वती के एक पुत्र हैं. पार्वती ने अपने शारीरिक मेल से गणेश की छवि का निर्माण किया, लेकिन गंगा के पवित्र जल में डूबने के बाद गणेश जीवित हो उठे. इसलिए कहा जाता है कि गणेश की दो माताएं हैं-पार्वती और गंगा और इसीलिए उन्हें द्विमातृ तथा गंगेय (गंगा का पुत्र) भी कहा जाता है.
  8. गंगा और शांतनु : जह्नु ऋषि की पुत्री गंगा ने राजा शांतनु से विवाह करते सात पुत्रों को जन्म दिया और सभी को नदी में बहा दिया. तब आठवां पुत्र हुआ तो राजा शांतनु ने पूछ लिया कि तुम ऐसा क्यों कर रही हो. यह सुनकर गंगा ने कहा कि विवाह की शर्त के मुताबीक तुम्हें ऐसा नहीं पूछना था. अब मुझे पुन: स्वर्ग जाना होगा और यह आठवीं संतान अब तुम्हारे हवाले. वही आठवीं संतान आगे चलकर भीष्म पितामह के नाम से विख्‍यात हुई.
  9. गंगा का पानी अमृत क्यों : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा नदी में ही समुद्र मंथन से निकला अमृत कुंभ का अमृत दो जगह गिरा था. पहला प्रयाग और दूसरा हरिद्वार.
  10. ग्रंथों में गंगा : ऋग्वेद, शतपथ ब्राह्मण, पंचविश ब्राह्मण, गौपथ ब्राह्मण, ऐतरेय आरण्यक, कौशितकी आरण्यक, सांख्यायन आरण्यक, वाजसनेयी संहिता, रामायण और महाभारत इत्यादि में गंगा की महिमा का वर्णन मिलता है.

लखनऊ : गंगा नदी को भारत में सबसे पवित्र नदी माना जाता है. ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है. इस दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था. इस वर्ष यह 20 जून 2021 को मनाया जाएगा. यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर 2525 किलोमीटर की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है.

  1. विष्णु के कमंडल से प्रकट हुई गंगा : यह भी कहा जाता है कि गंगा का जन्म ब्रह्मा के कमंडल से हुआ था. मतलब यह कि गंगा नामक एक नदी का जन्म. एक अन्य कथा के अनुसार ब्रह्माजी ने विष्णुजी के चरणों को आदर सहित धोया और उस जल को अपने कमंडल में एकत्र कर लिया. भगवान विष्णु के अंगूठे से गंगा प्रकट हुई अतः उसे विष्णुपदी कहां जाता है.
  2. हिमवान की पुत्री : एक अन्य कथा के अनुसार गंगा पर्वतों के राजा हिमवान और उनकी पत्नी मीना की पुत्री हैं, इस प्रकार वे देवी पार्वती की बहन भी हैं. कुछ जगहों पर उन्हें ब्रह्मा के कुल का बताया गया है.
  3. जाह्‍नु ऋषि की पुत्री : जैसे राजा दक्ष की पुत्री माता सती ने हिमालय के यहां पार्वती के नाम से जन्म लिया था उसी तरह माता गंगा ने अपने दूसरे जन्म में ऋषि जह्नु के यहां जन्म लिया था.
  4. स्वर्ग से धरती पर उतरी गंगा : पौराणिक शास्त्रों के अनुसार गंगा अवतरण हेतु ऋषि भागीरथ की तपस्या ने घोर तपस्या की. उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने गंगा की धारा को अपने कमंडल से छोड़ा. तब भगवान शंकर ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेटकर जटाएं बांध लीं. बाद में भगीरथ की आराधना के बाद उन्होंने गंगा को अपनी जटाओं से मुक्त कर धरती पर उतार दिया.
  5. गंगा दशहरा के दिन हुआ गंगा अवतरण : पुराणों अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्गलोक से सबसे पहले शिवशंकर की जटाओं में पहुंची और फिर धरती गंगा दशशहरा के दि धरती पर उतरीं.
  6. शिव की गंगा : कहते हैं कि ब्रह्मचारिणी गंगा के द्वारा किए स्पर्श से ही महादेव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया. पत्नी पुरुष की सेवा करती है अतः उसका वास पति के हृदय में अथवा चरणों मे होता है किंतु भगवती गंगा शिव के मस्तक पर विराजति है.
  7. गणेश और कार्तिकेय की माता : कहते हैं कि शंकर और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का गर्भ भी देवी गंगा ने धारण किया था. गंगा के पिता भी हिमवान है अतः वो पार्वती की बहन मानी जाती है. स्कंद पुराण के अनुसार, देवी गंगा कार्तिकेय (मुरुगन) की सौतेली माता हैं; कार्तिकेय वास्तव में शंकर और पार्वती के एक पुत्र हैं. पार्वती ने अपने शारीरिक मेल से गणेश की छवि का निर्माण किया, लेकिन गंगा के पवित्र जल में डूबने के बाद गणेश जीवित हो उठे. इसलिए कहा जाता है कि गणेश की दो माताएं हैं-पार्वती और गंगा और इसीलिए उन्हें द्विमातृ तथा गंगेय (गंगा का पुत्र) भी कहा जाता है.
  8. गंगा और शांतनु : जह्नु ऋषि की पुत्री गंगा ने राजा शांतनु से विवाह करते सात पुत्रों को जन्म दिया और सभी को नदी में बहा दिया. तब आठवां पुत्र हुआ तो राजा शांतनु ने पूछ लिया कि तुम ऐसा क्यों कर रही हो. यह सुनकर गंगा ने कहा कि विवाह की शर्त के मुताबीक तुम्हें ऐसा नहीं पूछना था. अब मुझे पुन: स्वर्ग जाना होगा और यह आठवीं संतान अब तुम्हारे हवाले. वही आठवीं संतान आगे चलकर भीष्म पितामह के नाम से विख्‍यात हुई.
  9. गंगा का पानी अमृत क्यों : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गंगा नदी में ही समुद्र मंथन से निकला अमृत कुंभ का अमृत दो जगह गिरा था. पहला प्रयाग और दूसरा हरिद्वार.
  10. ग्रंथों में गंगा : ऋग्वेद, शतपथ ब्राह्मण, पंचविश ब्राह्मण, गौपथ ब्राह्मण, ऐतरेय आरण्यक, कौशितकी आरण्यक, सांख्यायन आरण्यक, वाजसनेयी संहिता, रामायण और महाभारत इत्यादि में गंगा की महिमा का वर्णन मिलता है.
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