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लखनऊ: मिड डे मील योजना का बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ - लखनऊ शिक्षा विभाग

राजधानी लखनऊ में सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना मिड डे मील में बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पा रहा है. बच्चों में होने वाली कुपोषण की बीमारी को दूर करने के लिए यह योजना चलाई गई थी.

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मिड डे मील योजना का बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ
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Published : Feb 2, 2020, 12:09 PM IST

Updated : Feb 2, 2020, 12:22 PM IST

लखनऊ: 'मिड डे मील योजना' सरकार द्वारा चलाई जा रही एक महत्वाकांक्षी योजना है. इस योजना का उद्देश्य बच्चों में होने वाली कुपोषण की बीमारी को दूर करना था, लेकिन कार्यदायी संस्थाएं इस योजना के उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रही हैं. इस योजना के अंतर्गत बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा बच्चों की संख्या के हिसाब से भी मिड डे मील नहीं पहुंचाया जा रहा है. स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चे भूखे रह जाते हैं.

मिड डे मील योजना का बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ.
  • मिड डे मील योजना में बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पा रहा है.
  • यह योजना सरकार की चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना है.
  • बच्चों को कुपोषण की बीमारी को दूर रखने के लिए यह योजना चलाई गई थी.
  • कार्यदायी संस्थाएं इस योजना के उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रही हैं.
  • स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भोजन नहीं मिल पा रहा है.

सरोजिनी नगर क्षेत्र में दो गौरी पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय और प्राइमरी विद्यालय हैं. बच्चों ने मिड डे मील में मिलने वाले खाने की गुणवत्ता को खराब बताया. वहीं कुछ बच्चों ने रोटी न मिलने की बात भी कही है.

इसकी शिकायत कई बार मिड डे मील बांटने वाली संस्था से की गई है, लेकिन अभी तक उन्होंने इस बारे में कोई भी कार्रवाई नहीं की है. हमारे स्कूल के पास में प्राइमरी स्कूल है. खाना कम आने के कारण छोटे बच्चे हमारे स्कूल में आ जाते हैं और हमारे स्कूल के बच्चों का खाना भी उनको देना पड़ता है.
-चंदा पांडे, सहायक अध्यापिका

लखनऊ: 'मिड डे मील योजना' सरकार द्वारा चलाई जा रही एक महत्वाकांक्षी योजना है. इस योजना का उद्देश्य बच्चों में होने वाली कुपोषण की बीमारी को दूर करना था, लेकिन कार्यदायी संस्थाएं इस योजना के उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रही हैं. इस योजना के अंतर्गत बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा बच्चों की संख्या के हिसाब से भी मिड डे मील नहीं पहुंचाया जा रहा है. स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चे भूखे रह जाते हैं.

मिड डे मील योजना का बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ.
  • मिड डे मील योजना में बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पा रहा है.
  • यह योजना सरकार की चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना है.
  • बच्चों को कुपोषण की बीमारी को दूर रखने के लिए यह योजना चलाई गई थी.
  • कार्यदायी संस्थाएं इस योजना के उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रही हैं.
  • स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भोजन नहीं मिल पा रहा है.

सरोजिनी नगर क्षेत्र में दो गौरी पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय और प्राइमरी विद्यालय हैं. बच्चों ने मिड डे मील में मिलने वाले खाने की गुणवत्ता को खराब बताया. वहीं कुछ बच्चों ने रोटी न मिलने की बात भी कही है.

इसकी शिकायत कई बार मिड डे मील बांटने वाली संस्था से की गई है, लेकिन अभी तक उन्होंने इस बारे में कोई भी कार्रवाई नहीं की है. हमारे स्कूल के पास में प्राइमरी स्कूल है. खाना कम आने के कारण छोटे बच्चे हमारे स्कूल में आ जाते हैं और हमारे स्कूल के बच्चों का खाना भी उनको देना पड़ता है.
-चंदा पांडे, सहायक अध्यापिका

Intro:मिड डे मील योजना सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना है यह योजना बच्चों में होने वाली कुपोषण की बीमारी को दूर करने के लिए चलाई गई थी लेकिन कार्यदाई संस्थाएं इस योजना के उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रही हैं


Body:लखनऊ मिड डे मील योजना के अंतर्गत बच्चों को पोस्टिक भोजन नहीं मिल पा रहा है । इसके अलावा बच्चों की संख्या के हिसाब से भी मिड डे मील नहीं पहुंचाया जा रहा है। स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चे जो मिड डे मील के सहारे ही स्कूल आते हैं। उनको भूखा रहना पड़ रहा है। राजधानी के सरोजिनी नगर क्षेत्र में स्थित गौरी पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय व प्राइमरी विद्यालय का है जहां पर बच्चों ने मिड डे मील में आने वाला खाने की गुणवत्ता को खराब बताया। वहीं कुछ बच्चों ने रोटी ना मिलने की बात भी कही। इस बारे में जब स्कूल की अध्यापिका से बात की तो उन्होंने बताया कि इसकी शिकायत भी कई बार मिड डे मील बांटने वाली संस्था से की गई है । लेकिन अभी तक उन्होंने इस बारे में कोई भी कार्यवाही नहीं की है । सहायक अध्यापिका चंदा पांडे ने बताया की हमारे स्कूल के बगल में प्राइमरी स्कूल है खाना कम आने के कारण छोटे बच्चे हमारे स्कूल में आ जाते हैं और हमारे स्कूल के बच्चों का खाना भी उनको देना पड़ता है ।


Conclusion:मिड डे मील बांटने में लापरवाही सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना को फेल करती दिख रही है । सरकार जहां मिड डे मील के लिए भारी-भरकम बजट संस्थाओं को आवंटित करती है वही संस्थाएं अपनी जेब भरने में लगी हुई है और बच्चों को ना तो पौष्टिक भोजन ही उपलब्ध करा रही है ना ही संख्या के हिसाब से मिड डे मील उपलब्ध करा रही है।

बाइट सहायक अध्यापिका चंदा पांडे

पवन तिवारी मोबाइल नंबर 79 8516 9872
Last Updated : Feb 2, 2020, 12:22 PM IST
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