लखनऊ: 'मिड डे मील योजना' सरकार द्वारा चलाई जा रही एक महत्वाकांक्षी योजना है. इस योजना का उद्देश्य बच्चों में होने वाली कुपोषण की बीमारी को दूर करना था, लेकिन कार्यदायी संस्थाएं इस योजना के उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रही हैं. इस योजना के अंतर्गत बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा बच्चों की संख्या के हिसाब से भी मिड डे मील नहीं पहुंचाया जा रहा है. स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चे भूखे रह जाते हैं.
- मिड डे मील योजना में बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल पा रहा है.
- यह योजना सरकार की चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना है.
- बच्चों को कुपोषण की बीमारी को दूर रखने के लिए यह योजना चलाई गई थी.
- कार्यदायी संस्थाएं इस योजना के उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रही हैं.
- स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भोजन नहीं मिल पा रहा है.
सरोजिनी नगर क्षेत्र में दो गौरी पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय और प्राइमरी विद्यालय हैं. बच्चों ने मिड डे मील में मिलने वाले खाने की गुणवत्ता को खराब बताया. वहीं कुछ बच्चों ने रोटी न मिलने की बात भी कही है.
इसकी शिकायत कई बार मिड डे मील बांटने वाली संस्था से की गई है, लेकिन अभी तक उन्होंने इस बारे में कोई भी कार्रवाई नहीं की है. हमारे स्कूल के पास में प्राइमरी स्कूल है. खाना कम आने के कारण छोटे बच्चे हमारे स्कूल में आ जाते हैं और हमारे स्कूल के बच्चों का खाना भी उनको देना पड़ता है.
-चंदा पांडे, सहायक अध्यापिका