लखनऊः इटौंजा रेलवे स्टेशन बचाओ समिति ने इटौंजा स्टेशन को पुनः रेलवे स्टेशन न बनाए जाने पर 18 जून को सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी दी है.
समिति के अध्यक्ष मदन मोहन मिश्रा ने बताया कि इटौंजा पहले स्टेशन के रूप में स्थापित था लेकिन बाद में इसको हार्ड स्टेशन का दर्जा दे दिया गया. इससे एमएसटी की सुविधाएं बंद कर दी गई. स्टेशन भी ट्रेन आने पर ही खुलता है. कई लोगों की रोजी-रोटी खत्म हो गई. मांग है कि इसे फिर से रेलवे स्टेशन घोषित किया जाए.
उन्होंने कहा कि इन सभी मांगों को लेकर समिति व क्षेत्रीय लोगों ने हजारों की तादाद में 18 जून 2018 को आमरण अनशन किया था. इसके बाद डीआरएम विजय कौशिक, क्षेत्रीय विधायक व वर्तमान सांसद कौशल किशोर दीक्षित को ज्ञापन दिया था.
इसके बाद अपर मंडल रेल प्रबंधक पूर्वोत्तर रेलवे गौरव गोबिल ने लिखित आश्वासन दिया था. 4 साल बीतने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई. मनमोहन मिश्रा ने कहा कि कई बार हम लोग अधिकारियों को लिखित में प्रार्थना पत्र भी दे चुके हैं. बावजूद इसके अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है. अब हम सभी लोगों ने तय किया है कि आने वाली 18 जून को सब लोग सामूहिक आत्मदाह करेंगे. इसके जिम्मेदार रेलवे अफसर होंगे.
उन्होंने बताया कि इटौंजा राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक अंडरपास और कोई कट न होने की वजह से आए दिन ट्रैफिक जाम लगता है. अटरिया में दो और बख्शी का तालाब पर पांच कट पहले से हैं लेकिन इटौंजा में एक भी कट न होने की वजह से आए दिन ट्रैफिक जाम लगता है. इस समस्या को लेकर भी उप जिलाधिकारी बीकेटी को प्रार्थना पत्र दिया था. आश्वासन मिला था कि कम से कम एक कट बनवा दिया जाएगा. उनका आरोप है कि इटौंजा के साथ संबंधित अधिकारियों द्वारा लगातार सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, इससे जनता में आक्रोश है.
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