लखनऊ: स्पंदन उत्सव श्रृंखला में उर्दू अकादमी के गोमती नगर स्थित सभागार में रविवार को 'वासंती सुधियां-एक स्मृति वंदन' समारोह का आयोजन किया गया. यह आयोजन नव स्पंदन सांस्कृतिक संस्था की ओर से आयोजित किया गया. इस दौरान दिवंगत सारंगी वादक विनोद कुमार मिश्र की स्मृति को सुर-ताल के बीच नमन किया गया. इस आयोजन में शास्त्रीय-उपशास्त्रीय गायन तथा सारंगी-सितार की जुगलबंदी का मनोहारी कार्यक्रम प्रस्तुत हुआ.
समारोह में नगर के वरिष्ठ संगीतकारों और संगीतप्रेमियों ने विनोद कुमार मिश्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा भी की तथा उनसे जुड़े संस्मरण भी सुनाए. नगर से प्रकाशित कला-संस्कृति की त्रैमासिक पत्रिका 'नादरंग' के नए अंक का इस मौके पर लोकार्पण भी किया गया.
शास्त्रीय गायन से दी गई श्रद्धांजलि
समारोह में प्रमुख युवा शास्त्रीय गायक प्रवीण कश्यप का गायन कार्यक्रम प्रस्तुत किया. उन्होंने एकताल में विलम्बित खयाल-किस विधि गाऊं महिमा प्रभु की, तीनताल में मध्यलय खयाल-स्वरन के साधे. एक ताल में ही द्रुत खयाल-'सजन कासे कहूं अपने मन की बतिया' सुनाया. अपने कार्यक्रम का समापन उन्होंने भक्ति रचना-जगत में झूठी देखी प्रीत सुनाया. गायन के इस कार्यक्रम में नगर के वरिष्ठ तबला वादक पंडित रविनाथ मिश्र ने प्रभावपूर्ण संगत की जबकि हारमोनियम पर पीयूष मिश्र थे.
सारंगी और सितार की हुई जुगलबंदी
समारोह में तार तरंग का भी मनोहारी कार्यक्रम हुआ. इसमें सारंगी और सितार की जुगलबंदी हुई. विनोद कुमार मिश्र को श्रद्धांजलि स्वरूप समारोह में सारंगी का कार्यक्रम विशेष तौर पर रखा गया था. सारंगी पर जीशान अब्बास और मोहम्मद तारिक खान तथा सितार पर नवीन मिश्र ने जुगलबंदी का कार्यक्रम प्रस्तुत किया.
उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, आकाशवाणी की विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके मोहम्मद तारिक खान ने लखनऊ महोत्सव, व्यास महोत्सव, चैती महोत्सव, ताज महोत्सव सहित कई प्रतिष्ठित समारोहों में शिरकत की है और कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं. जुगलबंदी के इस कार्यक्रम में राग-यमन की प्रस्तुति की गई. इस राग में मध्य एवं द्रुत लय की बंदिश के साथ ही झाला और कुछ भक्ति एवं उपशास्त्रीय रचनाओं का मिश्रण प्रस्तुत किया गया. तबले पर उनके साथ विकास मिश्र ने संगत किया.
संस्था के बारे बताया
समारोह के आरंभ में नव स्पंदन संस्था की सचिव डॉक्टर रश्मि चतुर्वेदी ने संस्था की गतिविधियों की जानकारी देते हुए कहा कि संस्था संगीत प्रतिभाओं को मंच देने और दिवंगत कलाकारों का स्मरण करने में प्रयासरत है. इस मौके पर वरिष्ठ गायिका कमला श्रीवास्तव, पखावज वादक राजखुशी राम, शास्त्रीय-उपशास्त्रीय गायक गुलशन भारती, तबला वादक रविनाथ मिश्र ने विनोद मिश्र का स्मरण किया. संचालन उपाध्यक्ष डॉक्टर चारु खरे ने तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था की अध्यक्ष एवं प्रमुख कथक नृत्यांगना कुमकुम धर ने किया.
सारंगी वादक विनोद कुमार मिश्र का बीते वर्ष हुआ था निधन
हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में सारंगी का विशिष्ट महत्व है और इसे कंठ स्वरों के सबसे करीब माना गया है. लेकिन यह दुखद है कि कठिन साधना का मार्ग होने के कारण इसके कलाकारों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. पिछले वर्ष 23 जनवरी को दिवंगत हुए सारंगी वादक विनोद कुमार मिश्र ने अपने परिश्रम और प्रतिभा से सारंगी वादन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई थी.
सारंगी की शिक्षा अल्पायु से ही परिवार में मिली
अपने जीवनकाल में वे जहां संगतकार के रूप में सबके प्रिय थे और सभी महत्वपूर्ण संगीत कार्यक्रमों की आवश्यकता बन गए थे. वहीं एकल वादन के रूप में भी उन्होंने सारंगी को विभिन्न मंचों पर प्रतिष्ठित किया था. 30 दिसंबर 1958 को जन्में विनोद कुमार मिश्र वाराणसी के संगीतकारों के प्रतिष्ठित घराने से सम्बद्ध थे. प्रसिद्ध सारंगी वादक पंडित भगवान दास मिश्र के पुत्र थे. उन्हें सारंगी की शिक्षा अल्पायु से ही परिवार में मिली थी.
वे लंबे समय तक भातखंडे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय में सारंगी वादक के पद पर कार्यरत रहे. देश के प्रतिष्ठित संगीत मंचों और समारोहों में अपने सारंगी वादन का कार्यक्रम प्रस्तुत करने के साथ ही उन्होंने कई विदेश यात्राएं भी की. उन्होंने देश के कई विख्यात कलाकारों के साथ संगत की. इनमें दिवंगत गायक पंडित महादेव प्रसाद मिश्र, प्रसिद्ध कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज, प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक सिंह बंधु, दिवंगत गायिका सविता देवी प्रमुख हैं.
'नादरंग' का हुआ विमोचन
समारोह में नगर से प्रकाशित कला, संगीत एवं रंगमंच की चर्चित पत्रिका 'नादरंग' के नए अंक (अंक-पांच) का विमोचन भी किया गया. वरिष्ठ गायिका कमला श्रीवास्तव, पखावज वादक राजखुशी राम, शास्त्रीय-उपशास्त्रीय गायक गुलशन भारती, लोकसंगीत पर पुस्तकों की लेखिका विद्या बिन्दु सिंह, तबला वादक रविनाथ मिश्र ने अंक का विमोचन किया. पत्रिका के संपादक आलोक पराड़कर ने बताया कि पत्रिका के अंकों को लगातार पसंद किया जाना एक संपादक के तौर पर मेरे लिए संतोष का विषय है. उन्होंने बताया कि पत्रिका के नए अंक में प्रसिद्ध छायाकार अनिल रिसाल सिंह पर विशेष सामग्री का प्रकाशन किया गया है.