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अखिलेश यादव के लिए मुफीद नहीं रही गठबंधन की राजनीति, अब तक हारे सभी चुनाव, फिर गठबंधन पर दांव

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव गठबंधन को मजबूत बनाने में जुटे हुए हैं. हालांकि उनके राजनीतिक सफर में उनके स्तर से की गई गठबंधन राजनीति मुफीद साबित नहीं रही है. देखना होगा कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अखिलेश यादव की गठबंधन वाली राह कितनी सफलता दिलाएगी.

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Published : Jul 27, 2023, 5:32 PM IST

अखिलेश यादव के लिए मुफीद नहीं रही गठबंधन की राजनीति. देखें खबर

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए गठबंधन की राजनीति कभी मुफीद नहीं रही. वर्ष 2017 से लेकर अब तक चाहे विधानसभा चुनाव हो, लोकसभा चुनाव या फिर निकाय चुनाव. हर बार अखिलेश को हार ही मिली है. अखिलेश ने इन सभी चुनावों में विभिन्न दलों के साथ गठबंधन का प्रयोग किया, लेकिन ऐसा एक भी प्रयोग उन्हें सत्ता के शिखर पर नहीं पहुंचा पाया. अब एक बार फिर वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश गठबंधन के साथ जाने को तैयार हैं. देखना होगा कि यह विपक्षी महागठबंधन का दांव कितना सही बैठता है.

सपा की रणनीति.
सपा की रणनीति.

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता को लेकर पूरी ताकत के साथ जुटे हुए हैं. पटना से लेकर बेंगलुरु तक अखिलेश यादव ने महागठबंधन की कवायद को लेकर विपक्षी दलों की बैठक में न सिर्फ़ शामिल हुए, बल्कि बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका का निर्वहन भी किया. अखिलेश की कोशिश है कि भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ चुनावी लड़ाई में सभी दल एक साथ चुनाव मैदान में उतरें. तभी भारतीय जनता पार्टी का सामना मजबूती के साथ किया जा सकता है. गैर भाजपा दलों को एक मंच पर लाकर विपक्षी दलों के नेता एक साथ चुनाव लड़ने की कोशिश में जुटे हुए हैं, लेकिन सवाल यह है कि अखिलेश यादव इस कोशिश में एक तरफ 26 दल एक साथ एक मंच पर आए हैं. उत्तर प्रदेश में दलित वोट बैंक पर एकाधिकार रखने वाली बहुजन समाज पार्टी पूरी तरह से विपक्षी गठबंधन से अलग है.

सपा की रणनीति.
सपा की रणनीति.


बसपा सुप्रीमो मायावती ने घोषणा की है कि बहुजन समाज पार्टी विपक्षी महागठबंधन से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ेगी. ऐसे में उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अखिलेश यादव कांग्रेस राष्ट्रीय लोक दल सहित अन्य छोटे दलों को मिलाकर अगर चुनाव मैदान में उतरते भी हैं तो उन्हें अपेक्षित सफलता मिल पाना आसान नहीं है. खास बात यह भी है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने जिन छोटे दलों को साथ लेकर चुनाव लड़ने का काम किया था उसमें से पूर्वांचल में बड़ी भूमिका का निर्वहन करने वाले ओमप्रकाश राजभर ने भी अखिलेश यादव का साथ छोड़ दिया है. वह भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन में जा चुके हैं.

सपा की रणनीति.
सपा की रणनीति.


वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अपना दल महान दल सहित अन्य कई दलों का गुलदस्ता बनाकर चुनाव लड़ने का काम किया था, लेकिन उन्हें भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जीत दर्ज करने में सफलता नहीं मिली और वह सत्ता की कुर्सी पर काबिज नहीं हो पाए. इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने अपनी विरोधी बहुजन समाज पार्टी के साथ चुनाव लड़ने का काम किया. इसमें बहुजन समाज पार्टी को फायदा हुआ, लेकिन अखिलेश यादव को फायदा नहीं हो पाया. विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस के साथ अखिलेश यादव ने गठबंधन किया. राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने मिलकर उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ा, लेकिन इस गठबंधन में भी सफलता नहीं मिली और उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई.

सपा की रणनीति.
सपा की रणनीति.
सपा की रणनीति.
सपा की रणनीति.


सूत्रों का दावा है कि राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी बीजेपी के संपर्क में हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय लोक दल भाजपा गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरेगा जो अखिलेश यादव के लिए एक बड़ा झटका होगा. एक तरफ अखिलेश यादव गठबंधन की राजनीति को आगे बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं लेकिन उनकी ही पार्टी में तमाम बड़े नेता समाजवादी पार्टी के साइकिल से उतरकर कमल को थामने का काम कर रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि अखिलेश यादव के लिए 2024 का चुनाव कितना मुफीद रहता है.

यह भी पढ़ें : प्रधानमंत्री के कड़े सवालों के सामने होंगे यूपी में भाजपा के सांसद, जानिए कब

अखिलेश यादव के लिए मुफीद नहीं रही गठबंधन की राजनीति. देखें खबर

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए गठबंधन की राजनीति कभी मुफीद नहीं रही. वर्ष 2017 से लेकर अब तक चाहे विधानसभा चुनाव हो, लोकसभा चुनाव या फिर निकाय चुनाव. हर बार अखिलेश को हार ही मिली है. अखिलेश ने इन सभी चुनावों में विभिन्न दलों के साथ गठबंधन का प्रयोग किया, लेकिन ऐसा एक भी प्रयोग उन्हें सत्ता के शिखर पर नहीं पहुंचा पाया. अब एक बार फिर वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश गठबंधन के साथ जाने को तैयार हैं. देखना होगा कि यह विपक्षी महागठबंधन का दांव कितना सही बैठता है.

सपा की रणनीति.
सपा की रणनीति.

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता को लेकर पूरी ताकत के साथ जुटे हुए हैं. पटना से लेकर बेंगलुरु तक अखिलेश यादव ने महागठबंधन की कवायद को लेकर विपक्षी दलों की बैठक में न सिर्फ़ शामिल हुए, बल्कि बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका का निर्वहन भी किया. अखिलेश की कोशिश है कि भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ चुनावी लड़ाई में सभी दल एक साथ चुनाव मैदान में उतरें. तभी भारतीय जनता पार्टी का सामना मजबूती के साथ किया जा सकता है. गैर भाजपा दलों को एक मंच पर लाकर विपक्षी दलों के नेता एक साथ चुनाव लड़ने की कोशिश में जुटे हुए हैं, लेकिन सवाल यह है कि अखिलेश यादव इस कोशिश में एक तरफ 26 दल एक साथ एक मंच पर आए हैं. उत्तर प्रदेश में दलित वोट बैंक पर एकाधिकार रखने वाली बहुजन समाज पार्टी पूरी तरह से विपक्षी गठबंधन से अलग है.

सपा की रणनीति.
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बसपा सुप्रीमो मायावती ने घोषणा की है कि बहुजन समाज पार्टी विपक्षी महागठबंधन से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ेगी. ऐसे में उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में अखिलेश यादव कांग्रेस राष्ट्रीय लोक दल सहित अन्य छोटे दलों को मिलाकर अगर चुनाव मैदान में उतरते भी हैं तो उन्हें अपेक्षित सफलता मिल पाना आसान नहीं है. खास बात यह भी है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने जिन छोटे दलों को साथ लेकर चुनाव लड़ने का काम किया था उसमें से पूर्वांचल में बड़ी भूमिका का निर्वहन करने वाले ओमप्रकाश राजभर ने भी अखिलेश यादव का साथ छोड़ दिया है. वह भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन में जा चुके हैं.

सपा की रणनीति.
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वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अपना दल महान दल सहित अन्य कई दलों का गुलदस्ता बनाकर चुनाव लड़ने का काम किया था, लेकिन उन्हें भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जीत दर्ज करने में सफलता नहीं मिली और वह सत्ता की कुर्सी पर काबिज नहीं हो पाए. इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने अपनी विरोधी बहुजन समाज पार्टी के साथ चुनाव लड़ने का काम किया. इसमें बहुजन समाज पार्टी को फायदा हुआ, लेकिन अखिलेश यादव को फायदा नहीं हो पाया. विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस के साथ अखिलेश यादव ने गठबंधन किया. राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने मिलकर उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ा, लेकिन इस गठबंधन में भी सफलता नहीं मिली और उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई.

सपा की रणनीति.
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सपा की रणनीति.
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सूत्रों का दावा है कि राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी बीजेपी के संपर्क में हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय लोक दल भाजपा गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरेगा जो अखिलेश यादव के लिए एक बड़ा झटका होगा. एक तरफ अखिलेश यादव गठबंधन की राजनीति को आगे बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं लेकिन उनकी ही पार्टी में तमाम बड़े नेता समाजवादी पार्टी के साइकिल से उतरकर कमल को थामने का काम कर रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि अखिलेश यादव के लिए 2024 का चुनाव कितना मुफीद रहता है.

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