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लखनऊ: संस्कृत विभाग ने दो दिवसीय ऑनलाइन संगोष्ठी का शुभारंभ किया - लखनऊ समाचार

लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग ने दो दिवसीय ऑनलाइन संगोष्ठी का शुभारंभ किया. इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक सम्मिलित हुए. मुख्य अतिथि डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने संस्कृत वाङ्मय में विद्यमान अनेक तथ्यों को सर्व समाज को शुलभ करने की आवश्यकता पर बल दिया.

दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन
दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन
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Published : Jul 16, 2020, 9:19 PM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग ने दो दिवसीय ऑनलाइन संगोष्ठी का शुभारंभ किया. इसमें मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक सम्मिलित हुए. इस ऑनलाइन संगोष्ठी के आयोजक पद्म श्री प्रोफेसर बृजेश कुमार शुक्ला ने माननीय मंत्री, कुलपति, विद्वान वक्ताओं एवम अन्य प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए इस संगोष्ठी कि रूप रेखा एवम वैशिष्ट्य को प्रकट किया.

उन्होंने बताया कि संस्कृत वाङ्मय में अनेक वैज्ञानिक रहस्य निहित हैं. वेदों में कोरोना जैसी अन्य संक्रामक बीमारियों के उपाय वर्णित हैं. मुख्य अतिथि डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने संस्कृत वाङ्मय में विद्धमान अनेक तथ्यों को सर्व समाज को शुलभ करने की आवश्यकता पर बल दिया.

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने विभिन्न उदाहरण के माध्यम से संस्कृत भाषा में किस प्रकार विज्ञान ग्रंथों को लिखा गया है, को परिभाषित किया. उन्होंने कहा कि संस्कृत तथा विज्ञान के मध्य सामंजस्य है. संस्कृत न केवल एक भाषा के रुप में अपितु सामग्र ज्ञान के भंडार को खोलने के लिए यह एक साधन है. भारत सरकार को आत्मनिर्भर एवं प्रतिष्ठित करने के लिए संस्कृत की भूमिका महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि संस्कृत वाङ्मय में गणित, भौतिक शास्त्र, रसायन विज्ञान, जंतु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान एवं आयुर्विज्ञान का भी उल्लेख है. इस संगोष्ठी में मुख्य रुप से थाईलैंड स्थित शिल्प कार्न यूनिवर्सिटी, बैंकॉक विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. नरसिंह चरण पंडा, दरभंगा संस्कृति विभाग के प्रोफेसर कामेश्वर सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर सर्व नारायण झा, रांची विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चंद्रकांत शुक्ला आदि मौजूद रहे.

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग ने दो दिवसीय ऑनलाइन संगोष्ठी का शुभारंभ किया. इसमें मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक सम्मिलित हुए. इस ऑनलाइन संगोष्ठी के आयोजक पद्म श्री प्रोफेसर बृजेश कुमार शुक्ला ने माननीय मंत्री, कुलपति, विद्वान वक्ताओं एवम अन्य प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए इस संगोष्ठी कि रूप रेखा एवम वैशिष्ट्य को प्रकट किया.

उन्होंने बताया कि संस्कृत वाङ्मय में अनेक वैज्ञानिक रहस्य निहित हैं. वेदों में कोरोना जैसी अन्य संक्रामक बीमारियों के उपाय वर्णित हैं. मुख्य अतिथि डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने संस्कृत वाङ्मय में विद्धमान अनेक तथ्यों को सर्व समाज को शुलभ करने की आवश्यकता पर बल दिया.

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने विभिन्न उदाहरण के माध्यम से संस्कृत भाषा में किस प्रकार विज्ञान ग्रंथों को लिखा गया है, को परिभाषित किया. उन्होंने कहा कि संस्कृत तथा विज्ञान के मध्य सामंजस्य है. संस्कृत न केवल एक भाषा के रुप में अपितु सामग्र ज्ञान के भंडार को खोलने के लिए यह एक साधन है. भारत सरकार को आत्मनिर्भर एवं प्रतिष्ठित करने के लिए संस्कृत की भूमिका महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि संस्कृत वाङ्मय में गणित, भौतिक शास्त्र, रसायन विज्ञान, जंतु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान एवं आयुर्विज्ञान का भी उल्लेख है. इस संगोष्ठी में मुख्य रुप से थाईलैंड स्थित शिल्प कार्न यूनिवर्सिटी, बैंकॉक विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. नरसिंह चरण पंडा, दरभंगा संस्कृति विभाग के प्रोफेसर कामेश्वर सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर सर्व नारायण झा, रांची विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चंद्रकांत शुक्ला आदि मौजूद रहे.

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