लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 2022 के विधानसभा चुनाव में सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रहे हैं. इस को लेकर लगातार प्रदेश की योगी सरकार पर हमले भी कर रहे हैं, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगी समाजवादी पार्टी ने अपने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के लिए प्रदेश मुख्यालय के दरवाजे बंद कर दिए हैं. इससे जमीनी कार्यकर्ताओं में काफी आक्रोश है.
वीआईपी नेताओं को तरजीह दे रही सपा
जनपद संत कबीर नगर से आए रणवीर सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव प्रतिदिन दो से ढाई सौ लोगों से मिलते हैं. वहीं जमीनी कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं दी जा रही है. समाजवादी पार्टी में इस समय वीआईपी और महंगी गाड़ियों वाले नेताओं को ही तरजीह दी जा रही है. जिससे जमीनी कार्यकर्ताओं में काफी असंतोष है. रणवीर सिंह का कहना है कि जहां प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भाजपा से लड़ने की बात करते हैं. ऐसे में जिस तरह से छोटे कार्यकर्ताओं से अखिलेश यादव दूरी बना रहे हैं. निश्चित रूप से हम लोग भाजपा से नहीं लड़ पाएंगे और आने वाले समय में इसका खामियाजा समाजवादी पार्टी को हार के रूप में चुकाना भी पड़ सकता है.
संघर्ष के लिए जमीन पर करना होगा काम
जनपद सोनभद्र से अखिलेश यादव से मिलने आए किशन यादव का कहना है कि निश्चित रूप से जब तक समाजवादी पार्टी जमीनी कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं देगी. तब तक पार्टी आगे नहीं बढ़ पाएगी. मुलायम सिंह यादव कहा करते थे कि समाजवादी पार्टी बख्शीश की राजनीत नहीं करती है. निश्चित रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को इस बारे में सोचना होगा और इसके लिए जमीन पर काम करना होगा. नहीं तो आने वाले 2022 विधान सभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
छोटे कार्यकर्ताओं को मिलेगा सम्मान तभी बढ़ेगी पार्टी
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए वसीम अहमद का कहना है कि निश्चित रूप से समाजवादी पार्टी में इस समय बड़े नेताओं को तरजीह दी जा रही है. हम प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से गुजारिश करते हैं कि वह पार्टी के छोटे कार्यकर्ताओं से मिलकर उनका उत्साहवर्धन करें. तभी 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी आगे बढ़ पाएगी.
सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में मिली एक सीट
2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में सत्ता पर काबिज होने का सपना देखने वाली समाजवादी पार्टी को विगत माह प्रदेश में हुए 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में जौनपुर जनपद की एकमात्र मल्हनी सीट मिली थी. इस सीट से समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता पारस नाथ यादव चुने गए थे. जिनके निधन के बाद उनके बेटे लकी यादव सहानुभूति के बावजूद मात्र 3000 वोट से ही चुनाव जीत पाए थे.