लखनऊ : स्थानीय निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन टूटने के कगार पर पहुंच गया था. राष्ट्रीय लोक दल की तरफ से समाजवादी पार्टी से इस बात को लेकर नाराजगी जताई गई कि प्रत्याशी घोषित करते समय समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय लोक दल से कोई बात ही नहीं की. गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया गया. जब बात बढ़ने लगी तो अब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने गठबंधन बचाने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दो सीटों पर समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी न लड़ाने की घोषणा की है. यह भी कहा है कि समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशियों का समर्थन करेगी. इससे अब यह माना जा सकता है कि टूटता हुआ गठबंधन फिर से पहले की तरह ही बरकरार है.
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बड़ौत और बागपत में समाजवादी पार्टी स्थानीय नगर निकाय चुनाव में अध्यक्ष पद हेतु चुनाव नहीं लड़ेगी और राष्ट्रीय लोकदल का समर्थन करेगी।
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समाजवादी पार्टी ने ऐलान किया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बड़ौत और बागपत में समाजवादी पार्टी स्थानीय नगर निकाय चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं लड़ेगी. राष्ट्रीय लोक दल का समर्थन करेगी. यह ट्वीट समाजवादी पार्टी की तरफ से तब आया है जब राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया कि राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी का गठबंधन टूट गया है. चर्चाओं के पीछे वजह थी कि समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय लोक दल से बिना कोई बात किए ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तमाम स्थानीय निकाय चुनाव की सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए. मेरठ और मथुरा के मेयर पद के लिए राष्ट्रीय लोक दल ने दावेदारी पेश की थी, लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय लोक दल मुखिया जयंत चौधरी से कोई बात नहीं की. दोनों ही सीटों पर समाजवादी पार्टी ने महापौर प्रत्याशी उतार दिया. इसके बाद दोनों पार्टियों में नाराजगी का सिलसिला शुरू हो गया. राष्ट्रीय लोकदल की तरफ से तो यहां तक कह दिया गया कि अखिलेश यादव बात ही नहीं करते हैं. प्रत्याशी घोषित करते समय एक बार भी पूछा ही नहीं गया, जबकि सपा मुखिया अखिलेश यादव को राष्ट्रीय लोक दल की तरफ से मेयर की दो सीटें मांगी गई थीं. जब समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय लोक दल से बात नहीं की तो राष्ट्रीय लोक दल ने भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 30 से ज्यादा सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए. इसके बाद अब समाजवादी पार्टी को एहसास हुआ है कि अगर राष्ट्रीय लोक दल समाजवादी पार्टी का उत्तर प्रदेश में गठबंधन टूटता है तो इसका असर आने वाले लोकसभा चुनाव पर जरूर पड़ेगा. लिहाजा, समाजवादी पार्टी ने यू-टर्न लेते हुए पश्चिम उत्तर प्रदेश की दो सीटों पर अध्यक्ष प्रत्याशी उतारने का फैसला न लेकर गठबंधन को बचाने का दांव खेला है.
गौरतलब है कि 2022 का विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी ने साथ मिलकर लड़ा था जिसका दोनों ही पार्टियों को काफी फायदा हुआ था. राष्ट्रीय लोक दल के पश्चिमी उत्तर प्रदेश से 33 सीटों में से आठ सीटों पर प्रत्याशी विजयी हुए थे. नौवीं सीट खतौली विधान सभा पर हुए उपचुनाव में रालोद और समाजवादी पार्टी गठबंधन के हाथ लगी थी.
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