लखनऊ : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी को आगे बढ़ने पर ध्यान दे रहे हैं. इंडिया गठबंधन से समझौता करते हुए चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी है. संगठन को भी मजबूत करने पर अखिलेश यादव ध्यान दे रहे हैं. जाति समीकरण को बेहतर बनाने की कवायद भी अखिलेश यादव कर रहे हैं. साथ ही दलित पिछले अल्पसंख्यक समाज से जुड़े सम्मेलन करने की तैयारी बनाई गई है. समाजवादी पार्टी अपने एक दर्जन से अधिक विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. जिससे मजबूती के साथ चुनाव लड़ सकेगी.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी के उन विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए संकेत किया है और अपने-अपने क्षेत्र में चुनावी तैयारी को मंडल स्तर से लेकर बूथ स्तर तक मजबूती से आगे बढ़ाने के दिशा निर्देश दिए हैं. सपा नेतृत्व की कोशिश है कि जिन पार्टी विधायकों की स्थिति उनके क्षेत्र में उनके समाज के बीच में बेहतर है. इसका फायदा लोकसभा चुनाव में उठाया जाए. इन्हीं तमाम परिस्थितियों को देखते हुए अखिलेश यादव ने पार्टी के कद्दावर वरिष्ठ विधायकों को चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति बनाई है.
सपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार अखिलेश यादव नवरात्र में कुछ टिकटों की घोषणा भी कर देंगे. कुछ प्रमुख सीटों पर वह उम्मीदवार उतारने को लेकर इंडिया गठबंधन के स्तर पर भी बातचीत कर रहे हैं. जिससे समय रहते समाजवादी पार्टी करीब दो दर्जन लोकसभा क्षेत्र में अपनी उम्मीदवार घोषित कर सके और वह लोग अपने क्षेत्र में तैयारी करें. अखिलेश यादव जाति समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन को देखते हुए पार्टी के विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही कुछ विधान परिषद सदस्यों को भी लोकसभा चुनाव लड़ा कर अपनी स्थिति को इंडिया गठबंधन में मजबूती प्रदान करना चाहते हैं. यही कारण है कि अखिलेश यादव पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को फतेहपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है. नरेश उत्तम पटेल सदस्य विधान परिषद भी हैं और कुर्मी बिरादरी से आते हैं उनकी उनके क्षेत्र में अच्छी पकड़ और पहुंच भी बताई जाती है. इसके अलावा अपना दल की कोटे से समाजवादी पार्टी की विधायक पल्लवी पटेल को भी लोकसभा चुनाव फूलपुर से से लड़ाये जाने की चर्चा की जा रही है. समाजवादी पार्टी के दूसरे विधायक इंद्रजीत सरोज को कौशांबी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी है और अखिलेश यादव ने उन्हें चुनावी तैयारी को आगे बढ़ाने के दिशा निर्देश भी दिए हैं.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव को आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी है. सुपौल के बहाने आजमगढ़ के आसपास की तमाम सीटों पर जाति समीकरण और शिवपाल सिंह यादव के नाम और कद का फायदा उठाने की सपा नेतृत्व कोशिश कर रहा है. आजमगढ़ से जब शिवपाल सिंह यादव चुनाव लड़ेंगे तो आसपास की सीटों पर जाति समीकरण को बेहतर करते हुए चुनाव लड़ा जाएगा. इसका फायदा समाजवादी पार्टी को काफी हो सकेगा. इस रणनीति के साथ शिवपाल को आजमगढ़ से चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई गई है और शिवपाल सिंह यादव क्षेत्र में आना-जाना शुरू करते हुए लोगों से संवाद की प्रक्रिया को तेज कर दिए हैं. गाजीपुर से समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ विधायक राष्ट्रीय सचिव ओम प्रकाश सिंह को भी चुनाव लड़ने की तैयारी है. इसी तरह अवधेश प्रसाद को अयोध्या से और रामप्रसाद चौधरी को बस्ती से चुनाव लड़ने की तैयारी की जा रही है. राजधानी लखनऊ से समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री लखनऊ मध्य से विधायक रविदास मेहरोत्रा को भी चुनाव लड़ाकर एनडीए गठबंधन को चुनौती देने की कोशिश की जाएगी.
समाजवादी पार्टी के विधायक व प्रवक्ता रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि लखनऊ संसदीय क्षेत्र में समाजवादी पार्टी ने उन्हें चुनाव लड़ने के संकेत किए हैं. इसके अलावा अन्य तमाम सीटों पर पार्टी के वरिष्ठ विधायकों को भी चुनाव लड़ने की बात कही गई है. समाजवादी पार्टी मजबूती के साथ लोकसभा चुनाव लड़ने जा रही है. जहां जिस सीट पर जिस दल के नेता की बेहतर स्थिति होगी क्षेत्र में अच्छी पकड़ और पहुंच होगी. उन नेताओं को चुनाव लड़ने की बात हो रही है और जल्द ही टिकटों का ऐलान भी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से किया जाएगा.
पिछड़े समाज की बैठक में भाजपा को हराने का आह्वान
समाजवादी पार्टी मुख्यालय में समाजवादी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित कश्यप, निषाद, बिन्द धीमर, मल्लाह, कहार, केवट, गोडिया, रैबार, तुरैहा, मांझी, मझवार, गोंड और मछुआ समाज की बैठक में अखिलेश यादव ने भाजपा को हराने का आह्वान किया. कहा कि भाजपा सरकार की गलत नीतियों के चलते पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय हो रहा है. भाजपा इन वर्गों को धोखा देती आ रही है. 2024 के लोकसभा चुनाव में पीडीए भाजपा के एनडीए को हराने का काम करेगा. ऐसे में इस वर्ग को सजग रहने की जरूरत है.
अखिलेश यादव ने कहा कि जातीय जनगणना की मांग नई नहीं है. सभी इसके पक्ष में है जो विरोध कर रहे थे वे भी अब जातीय जनगणना की मांग करने लगे हैं. हो सकता है कि चुनाव आते-आते भाजपा भी जातीय जनगणना की बात करने लगे. सामाजिक न्याय और समानता तभी आएगी जब जातीय जनगणना होगी. जातीय जनगणना से सभी पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों को अधिकार के साथ सम्मान भी मिलेगा. जातीय जनगणना से सभी को समानुपातिक भागीदारी मिल सकेगी. हम आज पिछड़े, दलित समाज को अपना हक और सम्मान दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, हम सब एक हैं. समाज में विसंगति और असमानता को दूर करने के लिए नेताजी ने फूलन देवी को संसद पहुंचाया था. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा से सावधान रहना है. भाजपा के षडयंत्र से बचना है. लोगों के पुश्तैनी काम छिन रहे हैं. हमारी लड़ाई लंबी है, हर बूथ पर लड़ाई है. 2024 के लोकसभा चुनाव में हम सभी मिलकर भाजपा को सत्ता से बाहर करेंगे.
पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय हुआ
बैठक में मौजूद अन्य समाजों के प्रतिनिधियों ने कहा कि भाजपा सरकार में हमारे जातीय महापुरुषों महाराजा कश्यप तथा निषादाज गृह्य के नाम पर अवकाश रद्द कर दिए गए जबकि समाजवादी सरकार में ये मिल रहे थे. लोहिया आवास की तरह मछुआ आवास पर तीन लाख पांच हजार का अनुदान मिलना बंद हो गया. 17 जातियों को मिलने वाला आरक्षण भाजपाई साजिश से अदालत से खत्म करा दिया गया. बालू खनन, सिंघाडा, मछली पालने का पट्टा मिलना बंद हो गया. नौका चला कर जीवन यापन करने वाले केवट मल्लाह की रोजी बंद कर पूंजीपतियों के क्रूज चला दिए गए हैं.
इस अवसर पर अखिलेश यादव ने चौधरी लोटन राम निषाद द्वारा लिखित ‘निषाद समाज का बृहत इतिहास‘ पुस्तक का विमोचन किया. बैठक का संचालन डॉ. राजपाल कश्यप पूर्व एमएलसी एवं प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ और अध्यक्षता पूर्व विधायक लालता प्रसाद निषाद ने किया. पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल प्रमुख रूप से शामिल रहे. इस अवसर पर विशम्भर प्रसाद निषाद, पूर्व सांसद फूलन देवी की बहन रुक्मिणी देवी, पूर्व राज्यमंत्री किरन पाल कश्यप, हाकिम लाल बिंद विधायक, भीम निषाद, गोरखपुर से समाजवादी पार्टी की मेयर प्रत्याशी एवं फिल्म अभिनेत्री काजल निषाद, अमरेन्द्र निषाद, रामरति बिन्द, मांगेराम कश्यप, राम नारायण बिन्द, राम किशोर बिन्द आदि प्रमुख नेता और कार्यकर्ता शामिल रहे.
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