लखनऊ: उन्नाव मामले में पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज धरने पर बैठ गए. अखिलेश के साथ विधानसभा के सामने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, पार्टी नेता राजेंद्र चौधरी भी धरने पर बैठे थे.
अखिलेश यादव ने कहा कि आज ये हमारे लिए काला दिवस है. एक बेटी जो न्याय मांग रही थी हम उसे न्याय नहीं दे पा रहे. याद कीजिए जब इस सरकार के मुख्यमंत्री आवास के सामने एक बेटी आकर न्याय मांग रही थी, लेकिन न्याय नहीं मिला उसको. उसे आत्मदाह करने की कोशिश करनी पड़ी. तब जाकर एफआईआर लिखी गई.
सरकार जब तक नहीं जाएगी, प्रदेश को न्याय नहीं मिलेगा
अखिलेश यादव ने कहा कि ये भारतीय जनता पार्टी की सरकार वो है जिसमें न बेटियां सुरक्षित हैं, न सड़क पर उनका सम्मान सड़क पर सुरक्षित है. अगर ये न्याय और सुरक्षा की मांग करने जाएं तो उन्हें सम्मान और सुरक्षा नहीं मिली है. क्या यही भारतीय जनता पार्टी का नारा था. इस प्रदेश दो बार प्रधानमंत्री दिए हैं. इस बार मुख्यमंत्री प्रदेश ने ही दिए हैं. जब तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार यहां से नहीं जाती तब तक प्रदेश को न्याय नहीं मिल सकता.
एक उन्नाव की बेटी ने पूरा परिवार खो दिया
उन्होंने कहा कि उन्नाव की एक बेटी ने तो पूरा परिवार खो दिया. इसमें भारतीय जनता पार्टी की सरकार दोषी थी. इस बेटी की जान गई है आज उसकी भी दोषी है ये भाजपा सरकार. क्योंकि सरकार की जानकारी में था. और, जिन लोगों पर आरोप लगे हैं और जिनपर आरोप हैं वो भारतीय जनता पार्टी से जुड़े लोग हैं.
क्या कोई इस तरह से जिंदा जला देगा?
अखिलेश ने कहा कि क्या आज के युग में इस तरह की घटना होगी कि जिंदा जला देगा कोई? भारतीय जनता पार्टी की सरकार पहले दिन से दावा कर रही है कि कानून व्यवस्था ठीक होगी. कानून व्यवस्था पर लगाम कसी जाएगी. इसी सदन में उन्होंने कहा था कि अपराधियों को ठोक दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि क्या वजह है कि अपराधी उत्तर प्रदेश में हैं. जो बात सदन में कही गई हो, जो बात मंचों से कही गई हो और उस मुख्यमंत्री ने कहा हो जिन्होंने सपथ ली हो संविधान की, इसके बाद भी एक बेटी की जान नहीं बचा पाई सरकार.
उन्नाव की बेटी बहादुर थी
अखिलेश यादव ने कहा कि उन्नाव की घटना बहुत ही निंदनीय है. ऐसी घटना कहीं नहीं हुई होगी. पूरा देश हैदराबाद की घटना को लेकर गुस्से में था. उसके बाद उन्नाव की घटना उसी दिन हुई. ये भाजपा की सरकार में पहली घटना नहीं है. उन्नाव की बेटी बहादुर थी. उसके आखिरी शब्द भी यही थे कि वो जिंदा रहना चाहती थी.