लखनऊ : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव बेंगलुरु बैठक में विपक्षी एकता बनाने के बाद आने वाले कुछ दिनों में प्रदेश टीम के गठन की कवायद तेज करेंगे. सपा के कई नाराज नेताओं को समायोजित करने का भी अखिलेश यादव करेंगे. टीम गठित करने से पहले अखिलेश यादव चाचा शिवपाल सिंह यादव से बातचीत करके नेताओं को समायोजित करने सहित कई अन्य विषयों पर रणनीति बनाने का काम करेंगे.
सूत्रों का कहना है कि बेंगलुरु की बैठक में शामिल होने के बाद लखनऊ वापसी करेंगे और आगे की चुनावी रणनीति तैयार करने का काम करेंगे. इसके साथ ही अखिलेश यादव प्रदेश कार्यकारिणी का गठन करने का काम करेंगे. सपा के कई नेताओं के भी नाराजगी की बात सामने आ रही है. ऐसे में लोकसभा चुनाव में नेताओं की नाराजगी और उनके सपा से दूर होने से बचाने के लिए प्रदेश कार्यकारिणी का गठन करेंगे और फिर उसमें नेताओं का समायोजन किया जाएगा. सपा के नेताओं का कहना है कि अब तक अखिलेश यादव को प्रदेश टीम गठित कर देनी चाहिए, लेकिन पता नहीं क्या कारण है कि वह अपनी टीम को घोषित करने में देरी कर रहे हैं. सपा नेता कहते हैं कि समाजवादी पार्टी के तमाम नेता जो पहले भी प्रदेश टीम में रहे हैं. इस समय काफी निराश हैं उन्हें लग रहा है क्या कि पता नहीं क्या वजह है कि अखिलेश यादव प्रदेश टीम का गठन नहीं कर रहे हैं. इसकी आखिर क्या वजह है. एक तरफ अखिलेश यादव पटना और बेंगलुरु में विपक्षी एकता मजबूत करने के लिए ध्यान दे रहे हैं, लेकिन अपनी कार्यकारिणी घोषित करने में वह पिछले कई महीने से फेल हो रहे हैं.
अखिलेश यादव का पूरा फोकस लोकसभा चुनाव की तैयारी को आगे बढ़ाने पर है, लेकिन प्रदेश टीम का अभी तक पता नहीं है, ऐसे में जो नेता प्रदेश टीम में आना चाहते हैं वह लोग भी पूरी ताकत से संगठन को मजबूत करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. यह भी सवाल खड़ा होता है कि जब समाजवादी पार्टी का प्रदेश संगठन और तमाम जिलों में जिला संगठन नहीं बन पाया है तो फिर कैसे लोकसभा चुनाव के लिए संगठन के कामकाज और तैयारी नीचे बूथ स्तर तक पहुंच पाएंगी.
सपा सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कार्यकारिणी में अनुभवी और जातीय समीकरण के हिसाब से ऊर्जावान व संघर्षशील नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी. लोकसभा चुनाव की तैयारियों को धार देते हुए अखिलेश यादव अपनी कार्यकारिणी में ऊर्जावान नेताओं को जिम्मेदारी देने का काम करेंगे. खास बात यह होगी कि वह नेता जो जातीय समीकरण को पूरी तरह से व्यवस्थित करने में माहिर होंगे, जिनकी उनके ही अपने क्षेत्र में पकड़ व पहुंच होगी. ऐसे प्रमुख नेताओं को प्रदेश कार्यकारिणी में पदाधिकारी बनाने का काम किया जाएगा.
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