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चुनावी दौर में सपा की राजनीति में तालिबान का ग्रहण, पार्टी ने साधी चुप्पी

पिछले कई वर्ष से समाजवादी पार्टी सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव मंदिरों में दर्शन करते दिखाई देते हैं. वहीं पार्टी को यह भी डर लगा रहता है कि कहीं उससे मुस्लिम मतदाता छिटक न जाएं. इसके इतर अभी हाल ही में पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान 'बर्क' और इसी जिले के निवासी और युवजन सभा के नेता चौधरी फैजान शाही ने तालिबान के समर्थन में बयान दिया था, हलांकि इसको लेकर पार्टी की किरकिरी जरूर हुई, लेकिन पार्टी नेतृत्व मामले पर एकदम चुप्पी साधे हैं.

अखिलेश यादव
अखिलेश यादव
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Published : Aug 20, 2021, 3:03 PM IST

लखनऊ : आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर समाजवादी पार्टी सत्ता पाने का सपना देख रही है, तो वहीं पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा अफगानिस्तान में काबिज हुए तालिबान के समर्थन में दिए जा रहे बयानों ने पार्टी के सपनों पर ग्रहण सा लगा दिया है. हाल ही में संभल से सपा सांसद शफीकुर्रहमान 'बर्क' और इसी जिले के निवासी और युवजन सभा के नेता चौधरी फैजान शाही ने तालिबान के समर्थन में बयान दिया था, जिसके बाद पार्टी की काफी किरकिरी हुई थी. सांसद शफीकुर्रहमान 'बर्क' पर देशद्रोह का मुकदमा भी लिखा गया, जबकि फैजान के खिलाफ भी अन्य धाराओं में मुकदमा लिखा गया है.

पिछले कई वर्ष से समाजवादी पार्टी सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव मंदिरों में दर्शन करते दिखाई देते हैं. वहीं पार्टी को यह भी डर लगा रहता है कि कहीं उससे मुस्लिम मतदाता छिटक न जाएं. स्वाभाविक है कि दो नावों की सवारी आसान नहीं होती है. अयोध्या में राम मंदिर पर फैसला आने के बाद पार्टी ने बहुत ही सधी प्रतिक्रिया देने की रणनीति बनाई थी. तब से लेकर अब तक पार्टी के नेता किसी भी विवादित धार्मिक मसले पर बोलने से बचते रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि आलाकमान के स्पष्ट निर्देश हैं कि प्रवक्ता भी धार्मिक मामलों पर अत्यावश्यक होने पर ही बयान दें. यही स्थिति मुस्लिम समाज को लेकर भी है. अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद सपा के कुछ नेताओं ने जब उनके समर्थन में प्रतिक्रिया दी, तो पार्टी ने सार्वजनिक रूप से न इसका बचाव किया और न खंडन. सूत्र बताते हैं कि नेतृत्व ने बयान देने वाले नेताओं को चेतावनी देकर माफ कर दिया है और आगे से किसी भी विवादित बयान से बचने के लिए कहा है.

सपा की राजनीति में तालिबान का ग्रहण
जानिए क्या कहते हैं विश्लेषक

राजनीतिक विश्लेषक व वरिष्ठ पत्रकार उदय यादव कहते हैं कि पिछले कुछ वर्षों से समाजवादी पार्टी सॉफ्ट हिंदुत्व की लाइन पर चल रही है. अखिलेश यादव पिछले दो वर्ष में कई मंदिरों में गए और उन्होंने इस बात के संकेत भी दिए. मंदिर मुद्दे पर भी समाजवादी पार्टी बेहद सावधानी के साथ बोलती है. सपा विकास का मुद्दा तो उठाती है, लेकिन धर्म के मुद्दे पर चुप ही रहना चाहती है. पार्टी न हिंदुओं को नाराज करना चाहती है और न ही मुसलमानों को. स्वाभाविक है कि किसी एक वर्ग को लेकर चुनाव नहीं जीता जा सकता. मंदिर निर्माण या लोगों की भगवान के प्रति जो श्रद्धा है, उस पर पार्टी बिल्कुल नहीं बोल रही है. क्योंकि आम भारतीय धर्म पर पूरी श्रद्धा रखता है. उदय यादव तालिबान के मुद्दे पर सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क और युवजन सभा के नेता चौधरी फैजान शाही के बयानों को गैर जरूरी बताते हैं. वह कहते हैं कि पार्टी को ऐसे बयानों की निंदा करनी चाहिए और ऐसे लोगों पर अंकुश भी लगाना चाहिए. जो लोग महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार ढा रहे हों, लोगों की निर्मम हत्याएं कर रहे हों, उनकी विचारधारा को भला कैसे सही ठहराया जा सकता है.


अफगानिस्तान भेजे जाएं तालिबान मानसिकता के लोग : साजिद
वहीं भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री अनस साजिद उस्मानी ने भारत में तालिबानी मानसिकता रखने वाले लोगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. वह कहते हैं कि मैंने प्रधानमंत्री जी से निवेदन किया है कि हिंदुस्तान में जो तालिबान परस्त लोग हैं, जो तालिबान मानसिकता के लोग हैं, जो छिपे हुए तालिबान हैं, उन्हें जल्द से जल्द अफगानिस्तान भेजा जाए. जो विमान अफगानिस्तान हमारे नागरिकों को लेने जा रहे हैं, उन्हीं में इनको ले जाने की व्यवस्था की जाए. ऐसी मानसिकता के लोगों को देश के बाहर भेजकर भारत को स्वच्छ किया जाना जरूरी है.


तालिबान के समर्थकों पर होगी सख्त कार्रवाई : भाजपा
इस विषय में भाजपा के प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव कहते हैं कि सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क, उनके पुत्र सहित जो लोग तालिबान के समर्थन में बयान दे रहे हैं, वह कहीं न कहीं समाजवादी पार्टी की सोच को प्रदर्शित कर रहे हैं. मुख्यमंत्री जी ने कल सदन में सपा के लोगों से पूछा था कि जिस प्रकार तालिबान महिलाओं और बच्चों पर क्रूरता करते हैं, क्या वह इसका समर्थन करते हैं? इसकी हर ओर निंदा हो रही है. मुझे लगता है कि ऐसे लोग तो तालिबान का समर्थन कर रहे हैं, उनकी संसद सदस्यता खत्म होनी चाहिए. जो लोग भी तालिबान का समर्थन कर रहे हैं, उनके खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज होगा और कड़ी से कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित होगी.

पढ़ें- यूपी में ब्राह्मण वोटों की सियासत गर्म, जानें क्या कहते हैं काशी के ब्राह्मण


समाजवादी पार्टी ने साधी चुप्पी
सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री रविदास मेहरोत्रा कहते हैं कि इस विषय में उन्हें जानकारी नहीं है. यदि कोई पार्टी लाइन के खिलाफ कुछ भी बोलता है, तो उसे सही नहीं कहा जा सकता. समाजवादी पार्टी के एक अन्य नेता और पूर्व मंत्री पवन पांडेय भी इस विषय में कोई जानकारी होने से इनकार करते हैं. वह कहते हैं कि उन्हें इन बयानों के विषय में कोई जानकारी नहीं है. गौरतलब है कि इस मामले में पार्टी ने न तो दोनों नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई की है और न ही पार्टी का पक्ष सामने रखा है. साफ है कि पार्टी इस मामले में असहज है और कुछ भी बोलने से बच रही है.

लखनऊ : आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर समाजवादी पार्टी सत्ता पाने का सपना देख रही है, तो वहीं पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा अफगानिस्तान में काबिज हुए तालिबान के समर्थन में दिए जा रहे बयानों ने पार्टी के सपनों पर ग्रहण सा लगा दिया है. हाल ही में संभल से सपा सांसद शफीकुर्रहमान 'बर्क' और इसी जिले के निवासी और युवजन सभा के नेता चौधरी फैजान शाही ने तालिबान के समर्थन में बयान दिया था, जिसके बाद पार्टी की काफी किरकिरी हुई थी. सांसद शफीकुर्रहमान 'बर्क' पर देशद्रोह का मुकदमा भी लिखा गया, जबकि फैजान के खिलाफ भी अन्य धाराओं में मुकदमा लिखा गया है.

पिछले कई वर्ष से समाजवादी पार्टी सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर है. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव मंदिरों में दर्शन करते दिखाई देते हैं. वहीं पार्टी को यह भी डर लगा रहता है कि कहीं उससे मुस्लिम मतदाता छिटक न जाएं. स्वाभाविक है कि दो नावों की सवारी आसान नहीं होती है. अयोध्या में राम मंदिर पर फैसला आने के बाद पार्टी ने बहुत ही सधी प्रतिक्रिया देने की रणनीति बनाई थी. तब से लेकर अब तक पार्टी के नेता किसी भी विवादित धार्मिक मसले पर बोलने से बचते रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि आलाकमान के स्पष्ट निर्देश हैं कि प्रवक्ता भी धार्मिक मामलों पर अत्यावश्यक होने पर ही बयान दें. यही स्थिति मुस्लिम समाज को लेकर भी है. अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद सपा के कुछ नेताओं ने जब उनके समर्थन में प्रतिक्रिया दी, तो पार्टी ने सार्वजनिक रूप से न इसका बचाव किया और न खंडन. सूत्र बताते हैं कि नेतृत्व ने बयान देने वाले नेताओं को चेतावनी देकर माफ कर दिया है और आगे से किसी भी विवादित बयान से बचने के लिए कहा है.

सपा की राजनीति में तालिबान का ग्रहण
जानिए क्या कहते हैं विश्लेषक

राजनीतिक विश्लेषक व वरिष्ठ पत्रकार उदय यादव कहते हैं कि पिछले कुछ वर्षों से समाजवादी पार्टी सॉफ्ट हिंदुत्व की लाइन पर चल रही है. अखिलेश यादव पिछले दो वर्ष में कई मंदिरों में गए और उन्होंने इस बात के संकेत भी दिए. मंदिर मुद्दे पर भी समाजवादी पार्टी बेहद सावधानी के साथ बोलती है. सपा विकास का मुद्दा तो उठाती है, लेकिन धर्म के मुद्दे पर चुप ही रहना चाहती है. पार्टी न हिंदुओं को नाराज करना चाहती है और न ही मुसलमानों को. स्वाभाविक है कि किसी एक वर्ग को लेकर चुनाव नहीं जीता जा सकता. मंदिर निर्माण या लोगों की भगवान के प्रति जो श्रद्धा है, उस पर पार्टी बिल्कुल नहीं बोल रही है. क्योंकि आम भारतीय धर्म पर पूरी श्रद्धा रखता है. उदय यादव तालिबान के मुद्दे पर सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क और युवजन सभा के नेता चौधरी फैजान शाही के बयानों को गैर जरूरी बताते हैं. वह कहते हैं कि पार्टी को ऐसे बयानों की निंदा करनी चाहिए और ऐसे लोगों पर अंकुश भी लगाना चाहिए. जो लोग महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार ढा रहे हों, लोगों की निर्मम हत्याएं कर रहे हों, उनकी विचारधारा को भला कैसे सही ठहराया जा सकता है.


अफगानिस्तान भेजे जाएं तालिबान मानसिकता के लोग : साजिद
वहीं भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री अनस साजिद उस्मानी ने भारत में तालिबानी मानसिकता रखने वाले लोगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. वह कहते हैं कि मैंने प्रधानमंत्री जी से निवेदन किया है कि हिंदुस्तान में जो तालिबान परस्त लोग हैं, जो तालिबान मानसिकता के लोग हैं, जो छिपे हुए तालिबान हैं, उन्हें जल्द से जल्द अफगानिस्तान भेजा जाए. जो विमान अफगानिस्तान हमारे नागरिकों को लेने जा रहे हैं, उन्हीं में इनको ले जाने की व्यवस्था की जाए. ऐसी मानसिकता के लोगों को देश के बाहर भेजकर भारत को स्वच्छ किया जाना जरूरी है.


तालिबान के समर्थकों पर होगी सख्त कार्रवाई : भाजपा
इस विषय में भाजपा के प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव कहते हैं कि सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क, उनके पुत्र सहित जो लोग तालिबान के समर्थन में बयान दे रहे हैं, वह कहीं न कहीं समाजवादी पार्टी की सोच को प्रदर्शित कर रहे हैं. मुख्यमंत्री जी ने कल सदन में सपा के लोगों से पूछा था कि जिस प्रकार तालिबान महिलाओं और बच्चों पर क्रूरता करते हैं, क्या वह इसका समर्थन करते हैं? इसकी हर ओर निंदा हो रही है. मुझे लगता है कि ऐसे लोग तो तालिबान का समर्थन कर रहे हैं, उनकी संसद सदस्यता खत्म होनी चाहिए. जो लोग भी तालिबान का समर्थन कर रहे हैं, उनके खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज होगा और कड़ी से कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित होगी.

पढ़ें- यूपी में ब्राह्मण वोटों की सियासत गर्म, जानें क्या कहते हैं काशी के ब्राह्मण


समाजवादी पार्टी ने साधी चुप्पी
सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री रविदास मेहरोत्रा कहते हैं कि इस विषय में उन्हें जानकारी नहीं है. यदि कोई पार्टी लाइन के खिलाफ कुछ भी बोलता है, तो उसे सही नहीं कहा जा सकता. समाजवादी पार्टी के एक अन्य नेता और पूर्व मंत्री पवन पांडेय भी इस विषय में कोई जानकारी होने से इनकार करते हैं. वह कहते हैं कि उन्हें इन बयानों के विषय में कोई जानकारी नहीं है. गौरतलब है कि इस मामले में पार्टी ने न तो दोनों नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई की है और न ही पार्टी का पक्ष सामने रखा है. साफ है कि पार्टी इस मामले में असहज है और कुछ भी बोलने से बच रही है.

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