लखनऊ: यूपी की समाजवादी पार्टी देश के सभी क्षेत्रीय दलों में सबसे ज्यादा अमीर पार्टी है. इस पार्टी के पास सबसे ज्यादा संपत्ति है. चंदे के नाम पर पार्टी फंड में 500 करोड़ रुपए से ज्यादा जमा है. जितनी सभी क्षेत्रीय दलों की संपत्ति है उसका 46 फिसदी अकेले सपा के ही पास है. लगातार बढ़ रही सपा की संपत्ति का खुलासा एडीआर की रिपोर्ट में हुआ है.
सपा की इतनी संपत्ति पर भाजपा और कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर क्षेत्रीय दलों के पास इतना पैसा आता कहां से है या वे इतना पैसा लाते कहां से हैं.
सभी क्षेत्रीय दलों में सपा सबसे अमीर पार्टी
पैसों के मामले में सभी क्षेत्रीय दलों पर सपा काफी भारी पड़ रही है. कोई भी क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी के अगल-बगल नजर नहीं आ रहे हैं. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट में साल 2016-17 और 2017-18 के जो आंकड़े सामने आए हैं. उनमें क्षेत्रीय दलों की संपत्ति के मामले में उत्तर प्रदेश की सपा सबसे ऊपर है. रिपोर्ट के मुताबिक अखिलेश यादव की पार्टी के पास 583 करोड़ 29 लाख की संपत्ति है. बड़ी बात ये है कि सपा की संपत्ति क्षेत्रीय दलों की टोटल प्रॉपर्टी का 46 प्रतिशत है. यानी क्षेत्रीय दलों की जितनी संपत्ति कुल मिलाकर होती है अकेले समाजवादी पार्टी के पास उसका 46 प्रतिशत मौजूद है.
समाजवादी पार्टी के पास 583.29 करोड़ की संपत्ति
बस 2016- 17 में समाजवादी पार्टी की संपत्ति 571 करोड़ रुपए थी, जो साल 2018 तक 2.13 फीसदी बढ़कर 583.29 करोड़ पहुंच गई है. पार्टी की संपत्ति में सबसे ज्यादा इजाफा सपा सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था. लगभग 200 गुना बढ़ोतरी सपा की संपत्ति में हुई थी. 2011- 12 से लेकर 2015-16 के बीच जब सपा सरकार थी. उस समय 200 गुना इजाफा हुआ था.
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सवाल यह है कि इतना बड़ा चंदा आखिर पार्टियों के पास आता कहां से है. जाहिर सी बात है कि चंदा का फायदा लेने के लिए ही पार्टियां बड़े-बड़े बिजनेसमैन और कारोबारियों से संपर्क रखती हैं. अपना अवैध काम कराने के लिए वही कारोबारी और व्यवसायी पार्टियों को एकमुश्त चंदा देते हैं. संपत्ति के मामले में समाजवादी पार्टी के बाद डीएमके, उसके बाद एडीएमके और चौथे नंबर पर टीडीपी आती है.
क्षेत्रीय दलों की बढ़ी संपत्ति पर कांग्रेस और भाजपा ने खड़े किए सवाल
राजनीतिक दल चंदा किस प्रकार लेंगे उसकी एक नियमावली है उसका पालन होना चाहिए. निश्चित रूप से एक लिमिट से ज्यादा चंदा रहा है तो सवाल तो खड़ा ही होता है, जो इनकम टैक्स के नियम है. राजनीतिक दलों पर लागू है. हमारी केंद्र सरकार आने के बाद राजनीतिक दलों के चंदे की प्रक्रिया को कड़ा किया गया है. उसका पालन सुनिश्चित होना चाहिए.
-मनीष शुक्ला, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव ने बताया कि पार्टियों की संपत्ति पर इलेक्शन कमीशन नजर रखता है और एडीआर अपना काम करता है कि कहां से कौन सा पैसा आ रहा है. हालांकि एडीआर ने अपना स्रोत बताया नहीं, लेकिन सवाल भी है कि क्षेत्रीय दल जो संपत्ति के मामले में नंबर एक पर है. वहीं दिल्ली में बैठी सरकार भाजपा की है और उसने भी 1500 करोड़ रुपए कहां से जुटाए इस पर भी ध्यान देना चाहिए. कांग्रेस पार्टी की सरकार लंबे समय तक रही, लेकिन कभी इस तरह के चार्जेज नहीं लगे और न इस तरह की कोई बात हुई कि हमें एडीआर ने कभी कटघरे में खड़ा किया हो. निश्चित रूप से पार्टियों और नेताओं में पारदर्शिता होना चाहिए और इलेक्शन कमीशन को और थोड़ी सी पारदर्शिता बनाने के लिए लगना चाहिए.
जहां तक क्षेत्रीय दलों के राजनीतिक चंदे की बात है तो समाजवादी पार्टी को सबसे ज्यादा चंदा मिला है. बात साफ है अगर कोई राजनीतिक दल सत्ता में होता है तो निश्चित तौर पर उसे ज्यादा चंदा मिलता है. ये नेक्सेस है जो नंगी आंखों से देखा जा सकता है. राजनीतिक दल और कॉरपोरेट के बीच अलायंस है और वह बहुत मजबूती के साथ दिखाई देता है. उस मजबूत अलायंस में उन दिनों सपा सत्ता में थी तो उसको ज्यादा चंदा मिला. राजनीतिक दलों में समाजवादी पार्टी का चंदा है अब घट गया है. अब दूसरे क्षेत्रीय दलों को ज्यादा चंदा मिल रहा है. नवंबर लास्ट में नई रिपोर्ट आएगी उसमें फिर खुलासा होगा कि किस राजनीतिक दल को कितना चंदा मिला है.
-संजय सिंह, स्टेट हेड, एडीआर यूपी इलेक्शन वॉच