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आशुलिपिकों के वेतन पुनरीक्षण पर नहीं हुआ फैसला, CM के आदेश भी नहीं माने

उत्तर प्रदेश में वेतन समिति निकायों के आशुलिपिकों के वेतन पुनरीक्षण का फैसला अभी तक लंबित है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव स्तर पर एक समिति गठित कर वेतन पुनरीक्षण करने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद दो साल से यह मामला फाइलों में ही अटका है.

आशुलिपिक वेतन पुनरीक्षण का कार्य लंबित.
आशुलिपिक वेतन पुनरीक्षण का कार्य लंबित.
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Published : Apr 8, 2021, 9:20 AM IST

लखनऊ: नगर निकायों में तैनात आशुलिपिकों वैयक्तिक सहायकों (पर्सनल असिस्टेंट) के वेतन पुनरीक्षण का मामला अभी भी लटका हुआ है. यह हाल तब है, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मुख्य सचिव स्तर पर एक वेतन समिति गठित कर कार्रवाई करने की बात कही गई थी. इसके बावजूद दो साल से यह कवायद सिर्फ फाइलों तक ही सीमित है. ऐसे में नगर विकास विभाग के आशुलिपिक वैयक्तिक सहायकों का वेतन पुनरीक्षण राज्य कर्मचारियों की तरह नहीं हो सका है. हजारों कर्मचारियों का सैलरी स्‍ट्रक्‍चर व्यवस्थित नहीं हुआ है, जिससे ये सभी परेशान हैं.


नहीं मिल पा रहा वेतन वृद्धि और प्रमोशन का लाभ
नगर विकास विभाग के अंतर्गत नगर निकायों में आशुलिपिक कऔर वैयक्तिक सहायकों (पर्सनल असिस्टेंट) के पद पर काम करने वाले कर्मचारियों का संवर्ग नहीं होने से वेतन बढ़ोतरी और पदोन्नति का लाभ हजारों कर्मचारियों को नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में इन पदों पर नियुक्त होने वाला कर्मचारी इसी पद पर सेवा करते-करते रिटायर हो जाता है.


पांच साल से घूम रही हैं फाइलें
यह विसंगति नगर विकास और वित्त विभाग की खींचतान के चलते पिछले पांच साल से यह मामला लटका हुआ है. पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार में भी इसे दूर करने की कवायद शुरू हुई थी, लेकिन यह सिर्फ फाइलों तक ही सीमित रही. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद कर्मचारियों के हित को लेकर ध्यान दिया गया. मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद यह मामला सिर्फ नगर विकास और वित्त विभाग के बीच फाइलों तक ही सीमित है. आशुलिपिक और वैयक्तिक सहायक के पद पर नियुक्त होने से लेकर सेवानिवृत्त होने तक कर्मचारियों के वेतन में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हो पाती है.

कर्मचारी संगठनों की मांग को देखते हुए पिछली सरकार में भी इनके वेतन पुनरीक्षण कराने का प्रस्ताव तैयार किया गया था. अब तक इस पर कोई प्रगति नहीं हुई है. भाजपा सरकार में भी इसे दूर करने की बात हुई थी.

इसे भी पढ़ें-लखनऊ: वेतन पुनरीक्षण की मांगों को लेकर बैंक कर्मियों ने किया प्रदर्शन


राज्य कर्मचारियों की तरह होना था सैलरी स्ट्रक्चर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव को दिशा निर्देश दिए थे. वेतन समिति गठित की गई थी. इसके बावजूद अभी तक यह मामला फाइलों तक ही सीमित है. यह प्रस्ताव बनाया गया था कि आशु लिपिक और वैयक्तिक सहायकों का वेतन स्ट्रक्चर राज्य कर्मचारियों की तरह किया जाएगा. इससे उन्हें भी वेतन वृद्धि और प्रमोशन का लाभ समय-समय पर मिलता रहेगा. लेकिन, इस पर कोई नीतिगत निर्णय अभी तक नहीं लिया जा सका है.

इसे भी पढ़ें-श्रम संहिताओं का क्रियान्वयन टला: वेतन, कंपनियों की भविष्य निधि देनदारी में बदलाव नहीं


कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों ने की थी मुख्यमंत्री से मुलाकात
उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा का कहना है कि कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों से मुख्यमंत्री की मुलाकात हुई थी. इस पर मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि राज्य वेतन समिति में लंबित कर्मचारियों के वेतन से संबंधित सभी मामलों का निस्तारण शीघ्र कराया जाए. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में वेतन समिति गठित करने के निर्देश दिए थे. इसके बाद भी मामले का निस्तारण अभी तक नहीं हो पाया है. ऐसे में कर्मचारियों में इसको लेकर काफी नाराजगी है.

लखनऊ: नगर निकायों में तैनात आशुलिपिकों वैयक्तिक सहायकों (पर्सनल असिस्टेंट) के वेतन पुनरीक्षण का मामला अभी भी लटका हुआ है. यह हाल तब है, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मुख्य सचिव स्तर पर एक वेतन समिति गठित कर कार्रवाई करने की बात कही गई थी. इसके बावजूद दो साल से यह कवायद सिर्फ फाइलों तक ही सीमित है. ऐसे में नगर विकास विभाग के आशुलिपिक वैयक्तिक सहायकों का वेतन पुनरीक्षण राज्य कर्मचारियों की तरह नहीं हो सका है. हजारों कर्मचारियों का सैलरी स्‍ट्रक्‍चर व्यवस्थित नहीं हुआ है, जिससे ये सभी परेशान हैं.


नहीं मिल पा रहा वेतन वृद्धि और प्रमोशन का लाभ
नगर विकास विभाग के अंतर्गत नगर निकायों में आशुलिपिक कऔर वैयक्तिक सहायकों (पर्सनल असिस्टेंट) के पद पर काम करने वाले कर्मचारियों का संवर्ग नहीं होने से वेतन बढ़ोतरी और पदोन्नति का लाभ हजारों कर्मचारियों को नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में इन पदों पर नियुक्त होने वाला कर्मचारी इसी पद पर सेवा करते-करते रिटायर हो जाता है.


पांच साल से घूम रही हैं फाइलें
यह विसंगति नगर विकास और वित्त विभाग की खींचतान के चलते पिछले पांच साल से यह मामला लटका हुआ है. पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार में भी इसे दूर करने की कवायद शुरू हुई थी, लेकिन यह सिर्फ फाइलों तक ही सीमित रही. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद कर्मचारियों के हित को लेकर ध्यान दिया गया. मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद यह मामला सिर्फ नगर विकास और वित्त विभाग के बीच फाइलों तक ही सीमित है. आशुलिपिक और वैयक्तिक सहायक के पद पर नियुक्त होने से लेकर सेवानिवृत्त होने तक कर्मचारियों के वेतन में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हो पाती है.

कर्मचारी संगठनों की मांग को देखते हुए पिछली सरकार में भी इनके वेतन पुनरीक्षण कराने का प्रस्ताव तैयार किया गया था. अब तक इस पर कोई प्रगति नहीं हुई है. भाजपा सरकार में भी इसे दूर करने की बात हुई थी.

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राज्य कर्मचारियों की तरह होना था सैलरी स्ट्रक्चर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव को दिशा निर्देश दिए थे. वेतन समिति गठित की गई थी. इसके बावजूद अभी तक यह मामला फाइलों तक ही सीमित है. यह प्रस्ताव बनाया गया था कि आशु लिपिक और वैयक्तिक सहायकों का वेतन स्ट्रक्चर राज्य कर्मचारियों की तरह किया जाएगा. इससे उन्हें भी वेतन वृद्धि और प्रमोशन का लाभ समय-समय पर मिलता रहेगा. लेकिन, इस पर कोई नीतिगत निर्णय अभी तक नहीं लिया जा सका है.

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कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों ने की थी मुख्यमंत्री से मुलाकात
उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा का कहना है कि कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों से मुख्यमंत्री की मुलाकात हुई थी. इस पर मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि राज्य वेतन समिति में लंबित कर्मचारियों के वेतन से संबंधित सभी मामलों का निस्तारण शीघ्र कराया जाए. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में वेतन समिति गठित करने के निर्देश दिए थे. इसके बाद भी मामले का निस्तारण अभी तक नहीं हो पाया है. ऐसे में कर्मचारियों में इसको लेकर काफी नाराजगी है.

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