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EOW ने 59 करोड़ गबन के आरोपी मसऊद अख्तर को किया गिरफ्तार

59 करोड़ गबन के आरोपी और अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम के बर्खास्त महाप्रबंधक मसऊद अख्तर9masood Akhtar) को आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (economic offences wing ) की टीम ने गिरफ्तार कर लिया है.मसऊद अख्तर ने अल्पसंख्यक वर्ग से संबंधित विभिन्न योजनाओं में ऋण विवरण हेतु प्रदेश एवं केंद्र सरकार से प्राप्त शासकीय धनराशि 72.4 करोड़ में से 58,73,44,568 रुपये का दुरुपयोग कर गबन किया. इस मामले की विवेचना ईओडब्ल्यू को ट्रांसफर हुई थी. जांच में सभी तथ्य सही पाए गए. इसके बाद अभियोजन स्वीकृति लेकर गिरफ्तारी की गई.

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Published : Sep 23, 2021, 1:28 AM IST

लखनऊ: आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW) की टीम ने बुधवार को 59 करोड़ रुपये के गबन के आरोपी और अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम (Minorities Finance and Development Corporation) के बर्खास्त महाप्रबंधक मसऊद अख्तर को दबोच लिया. बता दें कि साल 2006 में मसऊद के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में FIR दर्ज की गई थी. साल 2007 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था. अफसरों की मानें तो बर्खास्तगी के करीब 14 साल बाद मसऊद अख्तर की गिरफ्तारी हुई है.

जानकारी के मुताबिक, मसऊद अख्तर ठाकुरगंज क्षेत्र के शीशमहल कॉलोनी में रहता है. बुधवार को ईओडब्ल्यू की टीम मसऊद के घर पहुची और गिरफ्तार कर लिया. ईओडब्ल्यू ने उसे हज़रतगंज पुलिस को सौंप दिया है. SP ईओडब्ल्यू डीपीएन पांडेय ने बताया कि विवेचना के दौरान मसऊद अख्तर से जब पूछताछ की गई तो वह खर्च की गई धनराशि का ब्योरा भी नहीं दे पाए थे. मामले की विवेचना इंस्पेक्टर गोविंद सिंह द्वारा की जा रही थी.

SP ईओडब्ल्यू ने बताया कि मसऊद अख्तर साल 1999 से 2006 तक महाप्रबंधक के पद पर तैनात रहे थे. उन्होंने अल्पसंख्यक वर्ग से संबंधित विभिन्न योजनाओं में ऋण विवरण हेतु प्रदेश एवं केंद्र सरकार से प्राप्त शासकीय धनराशि 72.4 करोड़ में से 58,73,44,568 रुपये का दुरुपयोग कर गबन किया. इस मामले में हजरतगंज थाने में केस दर्ज हुआ था. इसके बाद विवेचना ईओडब्ल्यू को ट्रांसफर हुई थी. जांच में सभी तथ्य सही पाए गए. इसके बाद अभियोजन स्वीकृति लेकर गिरफ्तारी की गई.

सूत्रों की मानें तो मसऊद अख्तर की गिरफ्तारी को लेकर ठाकुरगंज पुलिस ने खूब खेल किए. वर्ष 2020 से अब तक ईओडब्ल्यू ने मसऊद की गिरफ्तारी को लेकर ठाकुरगंज पुलिस को पांच बार वारंट भेजा, लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया, जबकि वह शीश महल स्थित घर में ही रहते थे. इसकी शिकायत ईओडब्ल्यू ने गृह विभाग से की, इसके बाद ईओडब्ल्यू की ओर से गिरफ्तारी के लिए टीम गठित की गई और मसऊद की गिरफ्तारी हो सकी.

इसे भी पढ़ें- योगी सरकार ने की महन्त नरेन्द्र गिरि की मौत की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति

लखनऊ: आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW) की टीम ने बुधवार को 59 करोड़ रुपये के गबन के आरोपी और अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम (Minorities Finance and Development Corporation) के बर्खास्त महाप्रबंधक मसऊद अख्तर को दबोच लिया. बता दें कि साल 2006 में मसऊद के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में FIR दर्ज की गई थी. साल 2007 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था. अफसरों की मानें तो बर्खास्तगी के करीब 14 साल बाद मसऊद अख्तर की गिरफ्तारी हुई है.

जानकारी के मुताबिक, मसऊद अख्तर ठाकुरगंज क्षेत्र के शीशमहल कॉलोनी में रहता है. बुधवार को ईओडब्ल्यू की टीम मसऊद के घर पहुची और गिरफ्तार कर लिया. ईओडब्ल्यू ने उसे हज़रतगंज पुलिस को सौंप दिया है. SP ईओडब्ल्यू डीपीएन पांडेय ने बताया कि विवेचना के दौरान मसऊद अख्तर से जब पूछताछ की गई तो वह खर्च की गई धनराशि का ब्योरा भी नहीं दे पाए थे. मामले की विवेचना इंस्पेक्टर गोविंद सिंह द्वारा की जा रही थी.

SP ईओडब्ल्यू ने बताया कि मसऊद अख्तर साल 1999 से 2006 तक महाप्रबंधक के पद पर तैनात रहे थे. उन्होंने अल्पसंख्यक वर्ग से संबंधित विभिन्न योजनाओं में ऋण विवरण हेतु प्रदेश एवं केंद्र सरकार से प्राप्त शासकीय धनराशि 72.4 करोड़ में से 58,73,44,568 रुपये का दुरुपयोग कर गबन किया. इस मामले में हजरतगंज थाने में केस दर्ज हुआ था. इसके बाद विवेचना ईओडब्ल्यू को ट्रांसफर हुई थी. जांच में सभी तथ्य सही पाए गए. इसके बाद अभियोजन स्वीकृति लेकर गिरफ्तारी की गई.

सूत्रों की मानें तो मसऊद अख्तर की गिरफ्तारी को लेकर ठाकुरगंज पुलिस ने खूब खेल किए. वर्ष 2020 से अब तक ईओडब्ल्यू ने मसऊद की गिरफ्तारी को लेकर ठाकुरगंज पुलिस को पांच बार वारंट भेजा, लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया, जबकि वह शीश महल स्थित घर में ही रहते थे. इसकी शिकायत ईओडब्ल्यू ने गृह विभाग से की, इसके बाद ईओडब्ल्यू की ओर से गिरफ्तारी के लिए टीम गठित की गई और मसऊद की गिरफ्तारी हो सकी.

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