लखनऊ: राजधानी में एक पीड़ित को इंसाफ दिलाने के लिए लगभग 24 से अधिक अधिवक्ता आलगबाग थाने पहुंचे. इस दौरान पुलिस और अधिवक्ताओं में जमकर नोकझोंक हुई. एक वाहन चालक को गाड़ी मालिक 5 माह से सैलरी नहीं दे रहा था. वहीं पुलिस इस मामले में मुकदमा भी नहीं लिख रही थी. इसके बाद पीड़ित सोमवार को अधिवक्ताओं को लेकर आलमबाग थाने पहुंचा.
लखनऊ के बंथरा निवासी रिंकू रावत के मुताबिक वह बीते फरवरी माह से 15 हजार रुपये प्रतिमाह के वेतन पर आलमबाग थाना क्षेत्र के कैलाश पुरी निवासी अंजनी खरे के यहां चार पहिया वाहन चला रहा था. वाहन स्वामी बीते 5 माह से लॉकडाउन का हवाला देकर उसे वेतन नहीं दे रहा था. बीते शनिवार की रात अचानक रिंकू की पत्नी की तबीयत खराब हुई तो वह अपना बकाया वेतन लेने वाहन स्वामी अंजनी खरे के पास पहुंच गया.
अपने एक अन्य साथी के साथ मौजूद अंजनी खरे ने वेतन देने के बजाय रिंकू के साथ अभद्रता शुरू कर दी. साथ ही जातिसूचक गालियां देकर घर से भगा दिया. इस व्यवहार से परेशान चालक ने आलमबाग थाना पहुंचकर मालिक और मालकिन के खिलाफ लिखित शिकायत की. पीड़ित का आरोप था कि स्थानीय थाने की पुलिस शिकायत पर मुकदमा दर्ज करने के बजाये टालमटोल कर उसे सुबह शाम दौड़ाती थी, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया.
सोमवार को रिंकू लगभग 24 से अधिक वकीलों संघ थाना आलमबाग पहुंचा. अधिवक्ताओं के थाने पर पहुंचते ही पुलिस और अधिवक्ताओं में तीखी नोकझोंक शुरू हो गई. थोड़ी देर बाद मौके पर पहुंचे थाना प्रभारी प्रदीप कुमार सिंह ने पीड़ित की तहरीर पर मुकदमा दर्ज करने का आश्वासन दिया. साथ ही मामले को शांत कराया. वही अधिवक्ताओं के हंगामे को लेकर मीडियाकर्मियों ने थाना प्रभारी से जानकारी मांगी. थाना प्रभारी ने किसी भी हंगामे की जानकारी देने से मना कर दिया.