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Lucknow News : 50 लाख की लागत से खरीदी जाएगी मशीन, रोटा एबलेशन से दिल की नसों में जमा कैल्शियम होगा साफ - केजीएमयू लारी कॉर्डियोलॉजी विभाग

इन दिनों हार्टअटैक के मरीज काफी बढ़ गए हैं. बीते दिनों हार्टअटैक से कई मौतें (Lucknow News) भी हुई हैं, वहीं दिल को खून पहुंचाने वाली नसों में जमे कैल्सियम का इलाज आसान हो सकेगा. इसके लिए जल्द ही केजीएमयू रोटा एबलेशन मशीन खरीदेगा.

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Published : Jan 31, 2023, 5:16 PM IST

लखनऊ : सर्दियों के मौसम में हार्टअटैक के मरीज बढ़ जाते हैं. यहां तक कि मौजूदा समय में बहुत सारे ऐसे केस देखे गए हैं जिनमें व्यक्ति अचानक जमीन पर गिरता है और उसकी मौत हो जाती है. इसके पीछे कई कारण है, हालांकि दिल को खून पहुंचाने वाली नसों में जमा कैल्शियम का इलाज अब आसान होगा. इसके लिए केजीएमयू लारी कॉर्डियोलॉजी विभाग में आधुनिक रोटा एबलेशन मशीन खरीदेगा. करीब 50 लाख रुपये की लागत से मशीन की खरीद प्रक्रिया अंतिम दौर में है.

लारी के प्रवक्ता डॉ. अक्षय प्रधान के मुताबिक, 'रोटा एबलेशन तकनीक में डायमंड के छर्रे वाली ड्रिल होती है जो तेज रफ्तार से घूमती है जो कैल्शियम को हटा देती है. नसों के लंबे ब्लॉक खुलने के बाद स्टेंट डाला जाता है. बायपास की आशंका भी कम रहती है. दिल को खून पहुंचाने वाली नसों में रूकावट के कारण मरीज को तमाम समस्याएं हो जाती हैं. उस मरीज की हालत भी गंभीर हो जाती है. ऐसे मरीजों को एंजियोग्राफी की जरूरत पड़ती है. ब्लॉकेज की दशा में एंजियोप्लास्टी की जाती है. इसमें स्टेंट डाला जाता है, लेकिन ऐसे मरीज जिनकी नसों में अधिक कैल्शियम जमा होता है उनकी एंजियोप्लास्टी नहीं हो पाती है. खास बात यह है कि ये नसों से कैल्शियम के ब्लॉकेज को निकालकर एंजियोप्लास्टी करने का रास्ता खोलती है. बायापास की आशंका को भी कम करती है.'

उन्होंने बताया कि 'जिन मरीजों की नसों में कैल्शियम जमा होता है या लम्बे ब्लॉकेज होते हैं उनकी एंजियोप्लास्टी की बजाए बायपास सर्जरी की जाती थी, लेकिन रोटा एबलेशन तकनीक आने के बाद से अधिकांश मामलों में बायपास सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है. ऐसे मरीजों में यह तकनीक कारगर है, हालांकि इसके लिए ब्लॉकेज कहां पर है, काफी कुछ इस पर भी निर्भर करता है. सबसे ज्यादा केस 50-60 की उम्र में आते हैं. जो धूम्रपान करते हैं उनकी नसों में कैल्शियम जमा होने की आशंका होती है. बड़े ब्लॉकेज खोलने में रोटा एबलेशन तकनीक कारगर है.'

यह भी पढ़ें : UP Power Corporation : कंपनियों से सस्ता स्मार्ट मीटर खरीदकर उपभोक्ताओं को महंगा देने का प्लान

लखनऊ : सर्दियों के मौसम में हार्टअटैक के मरीज बढ़ जाते हैं. यहां तक कि मौजूदा समय में बहुत सारे ऐसे केस देखे गए हैं जिनमें व्यक्ति अचानक जमीन पर गिरता है और उसकी मौत हो जाती है. इसके पीछे कई कारण है, हालांकि दिल को खून पहुंचाने वाली नसों में जमा कैल्शियम का इलाज अब आसान होगा. इसके लिए केजीएमयू लारी कॉर्डियोलॉजी विभाग में आधुनिक रोटा एबलेशन मशीन खरीदेगा. करीब 50 लाख रुपये की लागत से मशीन की खरीद प्रक्रिया अंतिम दौर में है.

लारी के प्रवक्ता डॉ. अक्षय प्रधान के मुताबिक, 'रोटा एबलेशन तकनीक में डायमंड के छर्रे वाली ड्रिल होती है जो तेज रफ्तार से घूमती है जो कैल्शियम को हटा देती है. नसों के लंबे ब्लॉक खुलने के बाद स्टेंट डाला जाता है. बायपास की आशंका भी कम रहती है. दिल को खून पहुंचाने वाली नसों में रूकावट के कारण मरीज को तमाम समस्याएं हो जाती हैं. उस मरीज की हालत भी गंभीर हो जाती है. ऐसे मरीजों को एंजियोग्राफी की जरूरत पड़ती है. ब्लॉकेज की दशा में एंजियोप्लास्टी की जाती है. इसमें स्टेंट डाला जाता है, लेकिन ऐसे मरीज जिनकी नसों में अधिक कैल्शियम जमा होता है उनकी एंजियोप्लास्टी नहीं हो पाती है. खास बात यह है कि ये नसों से कैल्शियम के ब्लॉकेज को निकालकर एंजियोप्लास्टी करने का रास्ता खोलती है. बायापास की आशंका को भी कम करती है.'

उन्होंने बताया कि 'जिन मरीजों की नसों में कैल्शियम जमा होता है या लम्बे ब्लॉकेज होते हैं उनकी एंजियोप्लास्टी की बजाए बायपास सर्जरी की जाती थी, लेकिन रोटा एबलेशन तकनीक आने के बाद से अधिकांश मामलों में बायपास सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है. ऐसे मरीजों में यह तकनीक कारगर है, हालांकि इसके लिए ब्लॉकेज कहां पर है, काफी कुछ इस पर भी निर्भर करता है. सबसे ज्यादा केस 50-60 की उम्र में आते हैं. जो धूम्रपान करते हैं उनकी नसों में कैल्शियम जमा होने की आशंका होती है. बड़े ब्लॉकेज खोलने में रोटा एबलेशन तकनीक कारगर है.'

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