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पीजीआई में रोबोटिक सर्जरी प्रक्रिया से किए गए 500 से अधिक ऑपरेशन, जानिए निदेशक ने क्या कहा - Robot doing surgery in PGI

एसजीपीजीआई संस्थान में रोबोट की मदद से 500 से अधिक सफल ऑपरेशन किए गए हैं. एसजीपीजीआई संस्थान गुर्दा प्रत्यारोपण करने वाला देश का पहला सरकारी चिकित्सा केंद्र भी है. पीजीआई के निदेशक इन उपलब्धियों से काफी संतुष्ट हैं.

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Published : Dec 21, 2022, 8:06 PM IST

जानकारी देते पीजीआई के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान.

लखनऊ : एसजीपीजीआई संस्थान में रोबोट की मदद से 500 से अधिक सफल ऑपरेशन किए गए हैं. एसजीपीजीआई संस्थान गुर्दा प्रत्यारोपण करने वाला देश का पहला सरकारी चिकित्सा केंद्र भी है. एसजीपीजीआई में रोबोटिक प्रक्रिया से ऑपरेशन करने की सुविधा सबसे पहले उपलब्ध कराई गई. संस्थान में रोबोटिक विधि से न सिर्फ यूरोलॉजी और गुर्दा प्रत्यारोपण विभाग बल्कि गैस्ट्रो सर्जरी, कार्डियोथोरेसिक, वैस्कुलर सर्जरी समेत कई विभागों के ऑपरेशन भी किए जा रहे हैं.

एसजीपीजीआई के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान (Professor RK Dhiman, Director, SGPGI) ने बताया कि वर्ष 2019 में एसजीपीजीआई संस्थान में दा विंची रोबोट की स्थापना की गई थी. कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण विभाग में रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत जनवरी 2021 से हुई. इसके बाद एसजीपीजीआई ने अब तक 500 से अधिक सफल ऑपरेशन किए हैं. कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग (Department of Cardiothoracic and Vascular Surgery) की ओर से अब तक लगभग 46 सर्जरी की गई हैं. जिनमें कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी (coronary artery bypass surgery) रोबोट की सहायता से की गई. कोरोना वायरस सर्जरी में 2 इंच का एक छोटा चीरा लगाकर रोबोट की सहायता से बेहद कम समय में सर्जरी की जाती है. रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से ही विभाग ने ट्यूमर निकालने, फेफड़े के सिस्ट को निकालने से जुड़े हुए कई ऑपरेशन किए जाते हैं. फेफड़े के हिस्से को निकालने की प्रक्रिया बेहद कठिन होती है, लेकिन रोबोटिक विधि से इसे बेहद सफलतापूर्वक संपन्न किया जाता है.


एसजीपीजीआई के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान (Professor RK Dhiman, Director, SGPGI) के अनुसार रोबोटिक सर्जरी को रोबोट असिस्टेड सर्जरी भी कहा जाता है. इसमें सर्जनों को लेप्रोस्कोपी या ओपन सर्जरी की अपेक्षा अधिक सटीक और लचीलापन के साथ कई प्रकार की जटिल सर्जरी को बेहद आसानी से करने की सुविधा मिलती है. रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम में एक कैमरा आर्म और तीन से चार मैकेनिक आर्म के साथ इक्विपमेंट्स जुड़े होते हैं. ऑपरेटिंग टेबल के पास एक कंप्यूटर पर बैठे हुए सर्जन इस आर्म को नियंत्रित करते हैं. सर्जन टीम के सदस्यों को कमांड देता है, जो ऑपरेशन के दौरान सहायता करते हैं.

रोबोटिक सर्जरी के लाभ : रोबोटिक सर्जरी से छोटे चीरों की मदद से बड़े से बड़े जटिल ऑपरेशन को बेहद सफलतापूर्वक किया जाता है. रोबोटिक सर्जरी से मरीजों को बेहद कम दर्द और कम रक्तस्राव के साथ अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है. प्रोफेसर धीमान के मुताबिक मौजूदा समय में एक ही रोबोटिक सिस्टम की मदद से ऑपरेशन किए जा रहे हैं. जिसके चलते अस्पताल में मरीजों को ऑपरेशन के लिए महीनों का इंतजार करना पड़ रहा है. शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है, जिसमें एक और रोबोट की मांग की गई है. संस्थान में एक और रोबोटिक सिस्टम्स आने के बाद मरीजों को ऑपरेशन के लिए महीनों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

यह भी पढ़ें : युवक के पेट में चाकू मारने वाले 3 दोषियों को 10-10 साल की सजा

जानकारी देते पीजीआई के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान.

लखनऊ : एसजीपीजीआई संस्थान में रोबोट की मदद से 500 से अधिक सफल ऑपरेशन किए गए हैं. एसजीपीजीआई संस्थान गुर्दा प्रत्यारोपण करने वाला देश का पहला सरकारी चिकित्सा केंद्र भी है. एसजीपीजीआई में रोबोटिक प्रक्रिया से ऑपरेशन करने की सुविधा सबसे पहले उपलब्ध कराई गई. संस्थान में रोबोटिक विधि से न सिर्फ यूरोलॉजी और गुर्दा प्रत्यारोपण विभाग बल्कि गैस्ट्रो सर्जरी, कार्डियोथोरेसिक, वैस्कुलर सर्जरी समेत कई विभागों के ऑपरेशन भी किए जा रहे हैं.

एसजीपीजीआई के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान (Professor RK Dhiman, Director, SGPGI) ने बताया कि वर्ष 2019 में एसजीपीजीआई संस्थान में दा विंची रोबोट की स्थापना की गई थी. कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण विभाग में रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत जनवरी 2021 से हुई. इसके बाद एसजीपीजीआई ने अब तक 500 से अधिक सफल ऑपरेशन किए हैं. कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग (Department of Cardiothoracic and Vascular Surgery) की ओर से अब तक लगभग 46 सर्जरी की गई हैं. जिनमें कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी (coronary artery bypass surgery) रोबोट की सहायता से की गई. कोरोना वायरस सर्जरी में 2 इंच का एक छोटा चीरा लगाकर रोबोट की सहायता से बेहद कम समय में सर्जरी की जाती है. रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से ही विभाग ने ट्यूमर निकालने, फेफड़े के सिस्ट को निकालने से जुड़े हुए कई ऑपरेशन किए जाते हैं. फेफड़े के हिस्से को निकालने की प्रक्रिया बेहद कठिन होती है, लेकिन रोबोटिक विधि से इसे बेहद सफलतापूर्वक संपन्न किया जाता है.


एसजीपीजीआई के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान (Professor RK Dhiman, Director, SGPGI) के अनुसार रोबोटिक सर्जरी को रोबोट असिस्टेड सर्जरी भी कहा जाता है. इसमें सर्जनों को लेप्रोस्कोपी या ओपन सर्जरी की अपेक्षा अधिक सटीक और लचीलापन के साथ कई प्रकार की जटिल सर्जरी को बेहद आसानी से करने की सुविधा मिलती है. रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम में एक कैमरा आर्म और तीन से चार मैकेनिक आर्म के साथ इक्विपमेंट्स जुड़े होते हैं. ऑपरेटिंग टेबल के पास एक कंप्यूटर पर बैठे हुए सर्जन इस आर्म को नियंत्रित करते हैं. सर्जन टीम के सदस्यों को कमांड देता है, जो ऑपरेशन के दौरान सहायता करते हैं.

रोबोटिक सर्जरी के लाभ : रोबोटिक सर्जरी से छोटे चीरों की मदद से बड़े से बड़े जटिल ऑपरेशन को बेहद सफलतापूर्वक किया जाता है. रोबोटिक सर्जरी से मरीजों को बेहद कम दर्द और कम रक्तस्राव के साथ अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है. प्रोफेसर धीमान के मुताबिक मौजूदा समय में एक ही रोबोटिक सिस्टम की मदद से ऑपरेशन किए जा रहे हैं. जिसके चलते अस्पताल में मरीजों को ऑपरेशन के लिए महीनों का इंतजार करना पड़ रहा है. शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है, जिसमें एक और रोबोट की मांग की गई है. संस्थान में एक और रोबोटिक सिस्टम्स आने के बाद मरीजों को ऑपरेशन के लिए महीनों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

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