लखनऊ: कोरोना संकट ने पूरी दुनिया को अपना शिकार बनाया था. इस दौरान जेलों में सैकड़ों बंदियों में कोरोना का संक्रमण फैला था. इसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जेल से कैदियों को पैरोल पर रिहा करने का निर्देश दिया था. पहले साल 2020 को यूपी की 71 जेल से लगभग 10 हजार बंदी रिहा किये गए थे, जिनकी वापसी हो चुकी है. इसके बाद दूसरी चरण में 2715 बंदी रिहा किये गए थे. अब जेल प्रशासन उनकी वापसी की अभियान में जुट गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए साल 2020 में आदेश दिया था कि पहले जीवन जरूरी है न कि बंदियों को अंदर रखना. उन्होंने राज्य सरकारों को कमेटी बनाकर पात्र बंदियों को रिहा करने का निर्देश दिया था. यूपी सरकार की हाई पावर कमेटी जिसमें हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, अपर मुख्य सचिव गृह व जेल महानिदेशक शामिल थे.
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जेल महानिदेशक आनंद कुमार ने बताया कि 15 मार्च को पैरोल की मियाद खत्म हो चुकी है. 18 मार्च को होली थी इसलिए जेल प्रशासन होली के बाद सभी 2715 बंदियों को नोटिस भेजेगा और जल्द से जल्द उनकी जेल में वापसी कराएगा. उन्होंने कहा कि जो भी बंदी जेल में वापसी नहीं करेगा उससे निपटने के लिए जिला प्रशासन को सूचित किया जाएगा, जिससे उस पर कार्रवाई की जा सके.
कोरोना की पहली और दूसरी लहर में यूपी की जेलों में बंद करीब 16 हजार कैदी कोरोना संक्रमित हुए थे. कोरोना की पहली लहर में 14 हजार से ज्यादा कैदियों को कोरोना हुआ था, जबकि दूसरी लहर में 1800 कैदी कोरोना की चपेट में आए थे.
NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, जेल में सबसे ज्यादा भीड़ यूपी में है. सभी राज्यों की तुलना में यूपी में सबसे ज्यादा जेल की क्षमता है. यहां कुल 73 जेलें हैं, जिनमें 60685 कैदी रह सकते हैं. 2020 की अंत में यहां 107,395 कैदी थे. यूपी की जेलों में क्षमता से 177 फीसदी ज्यादा कैदी हैं. यही नहीं साल 2020 में यूपी में सबसे ज्यादा 319402 कैदी जेलों में कैद हुए हैं. इसमें 7721 महिला कैदी और 311656 पुरुष कैदी थे.
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