लखनऊ: लखनऊ के नाका थाना क्षेत्र के होटल एसएसजे में आग लगने से कई लोगों की मौत हो गयी थी. उस अग्निकांड की एलडीए ने जांच की थी, जिसमें प्राधिकरण के कई अधिकारी और कर्मचारी दोषी पाए गए थे. मगर 2 वर्ष तक चली इस जांच में एलडीए के उच्च अधिकारियों ने एक ऐसे अभियंता का भी नाम उसमे शामिल कर दिया जो कि मात्र 24 दिन तक ही एलडीए में तैनात था. 24 दिनों के लिए तैनात अभियंता को कोई कार्य भी आवंटित नहीं किया गया था. उसके बावजूद उस अभियंता को अग्निकांड का अरोपी बना दिया गया.
LDA कर रहा है शासन को गुमराह
सेवनिर्वित्त हो चुके बुजुर्ग ओमप्रकाश गुप्ता एलडीए दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर हैं. दरअसल ओमप्रकाश 24 दिनों के लिए ही तैनात हुए और अग्निकांड होने के एक वर्ष पूर्व ही रिटायर हो चुके है फिरभी उनको दोषी करार दिया जा रहा है. वहीं, ओमप्रकाश ने एलडीए पर आरोप लगाते हुए कहा कि एलडीए दोषी व्यक्ति को बचाने के लिए और शासन को गुमराह करने की साजिश रच रहा है. जबकि मेरा इन सबसे अब कोई सरोकार ही नही राह गया है.
उन्होंने कहा कि मैं यहां मात्र 24 दिन तैनात रहा हूं और उन 24 दिनों में मुझे कोई कार्य भी नहीं दिया गया. जिसके बाद मैं वाराणसी तैनात कर दिया गया था. यही नहीं, मैं अग्निकांड होने के कई महीने पहले ही रिटायर भी हो चुका हूं.
कितने लोगों को बनाया गया है दोषी
चारबाग होटल अग्निकांड में तत्कालीन अधिशासी अभियंता डीसी यादव, अधिशासी अभियंता मामचंद, अधिशासी अभियंता प्रदीप कुमार, सहायक अभियंता राजेंद्र कुमार, सहायक अभियंता अजीत कुमार, अवर अभियंता जनार्दन सिंह, अवर अभियंता गजराज सिंह, अवर अभियंता पीके वर्मा, अवर अभियंता अब्दुल राव, अवर अभियंता शिव शंकर सिंह, अवर अभियंता अनिल कुमार द्वितीय, लाल जी शुक्ला, धनीराम, पीएन पांडे, सतीश चंद्र और अवर अभियंता मोहन चंद्र सती दोषी पाए गए हैं. इनमें से कुछ इंजीनियर रिटायर हो चुके हैं और 1 से 2 का निधन भी हो चुका है.
वहीं, ओमप्रकाश गुप्ता के मामले पर लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश की तरफ जांच कर, संसोधन का आश्वाशन दिया गया है.