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बंद हैं जेल के दरवाजे, होली में भी कैदियों से मुलाकात पर बंदिश - District Jail Lucknow News

राजधानी की जेलों में पिछले 71 दिनों से बंदियों से मुलाकात बंद है. गृह विभाग ने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण जेल में बंद बंदियों से मुलाकात पर रोक लगा दी थी. इससे कैदी और उनके परिजन परेशान हो रहे है. जेल विभाग दो बार गृह विभाग को मुलाकात शुरू करने के लिए पत्र लिख चुका है.

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कैदियों से मुलाकात पर बंदिश
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Published : Mar 17, 2022, 8:30 PM IST

लखनऊ. यूपी सरकार ने कोरोना का हवाला देते हुए एक जनवरी 2020 को जेल के दरवाजे मुलाकात के लिए बंद कर दिए थे लेकिन जब हर सेक्टर से बंदिशें खत्म हो चुकीं हैं. ऐसे में जेल में मुलाकात का दौर न शुरू होने से लोगों में नाराजगी और मायूसी है. जेलों में निरुद्ध बंदियों से की एक झलक पाने को मजबूर उनके परिजन जेलों के बाहर कड़ी धूप में इंतजार करते है. मुलाकात दोबारा शुरू करने के लिए जेल विभाग प्रशासन को पत्र लिख चुका है.

कैदियों से मुलाकात पर बंदिश

जेल प्रशासन ने करीब 3 हफ्ते पहले गृह विभाग को पत्र लिखा था कि राज्य की 73 जेलों में बंद लगभग एक लाख 15 हजार बंदियों की परिजनों से मुलाकात शुरू की जाए. जेल प्रशासन का कहना है कि बंदी परेशान हो रहे हैं. उनकी मानसिक स्थिति को मजबूत रखने के लिए परिजनों से मुलाकात होना आवश्यक है.

जेल महानिदेशक आनंद कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने जेल में बंदियों व परिजनों से मुलाकात को लेकर 3 हफ्ते पहले गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा था. अभी 5 दिन पहले दोबारा गृह विभाग को रिमाइंडर भेज दिया गया है. उम्मीद थी कि होली से पहले मुलाकात शुरू हो जाएगी लेकिन शायद प्रशासन होली के बाद ही मुलाकात शुरू करने की इजाजत दे.

दरअसल, उत्तर प्रदेश गृह विभाग ने एक जनवरी 2022 को बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों व बंदियों की सुरक्षा को देखते हुए जेल में होने वाली मुलाकात पर तत्काल रोक लगाई थी. आदेश को जारी हुए 71 दिन हो चुके हैं और कोरोना के मामलों में भी कमी आ चुकी है. हालांकि जेल में टेलीफोन से उनके परिजनों से बात करने की सुविधा दी जा रही है.

क्या कहता है गृह विभाग विभाग

प्रदेश की 73 जेल में बंद लगभग एक लाख 15 हजार बंदियों की उनके परिजनों से मुलाकात पिछले 71 दिनों से बंद है. बंदियों से उनके परिजनों की मुलाकात होने से उन्हें अवसाद, मानसिक बीमारी व तनाव से बचाया जाता है. जेल में कैदी झगड़ा ना करें व तनावमुक्त रहें. इसे लेकर जेल के अधिकारी हमेशा चिंतित रहते हैं.

अब जब ढाई महीने से मुलाकात बंद है तो जेल अधिकारी भी चिंतित हो चले हैं. इसे लेकर गृह विभाग को पत्र भी लिखा जा चुका है. जेल में मुलाकात शुरू कराए जाने पर जब अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि शासन इस पर विचार कर रहा है. जल्द ही इस पर फैसला किया जाएगा और मुलाकात शुरू हो सकेगी. हालांकि मुलाकात कब शुरू होगी इस पर उन्होंने कुछ नहीं बताया.


कोरोना की पहली लहर में 16 महीने बंद थी मुलाकात

कोरोना का आतंक जेल के अंदर न पहुंचे, इसके लिए राज्य सरकार ने 19 मार्च 2020 को सूबे की सभी जेलों में बंद बंदियों से मुलाकात पर 16 महीनें के लिए रोक लगा दी थी. इसके बाद 16 अगस्त 2021 को मुलाकात शुरू की गई थी. मुलाकात बंद होने के बाद भी कोरोना की पहली लहर में में 14 हजार कैदी व दूसरी लहर में 800 कैदी कोरोना की चपेट में आए थे.



यह भी पढ़ें:शिक्षिका के मर्डर का पुलिस ने किया खुलासा, पति और देवर ही निकले हत्यारे


विशेषज्ञ मुलाकात को मानते हैं जरूरी

मानसिक रोग विशेषज्ञ देवाशीष शुक्ल कहते हैं कि जेल में साइकोलॉजिकल प्रेशर होता है. ऐसे में मुलाकात पर ज्यादा समय से रोक लगे रहने के कारण बंदी अवसाद, डिप्रैशन, एंजायटी व नींद की समस्याओं से ग्रसित हो जाते हैं. इसके चलते ज्यादा समय तक बंदियों की परिजनों से मुलाकात पर रोक लगाना सही नहीं होगा. रक्षाबंधन और होली के त्योहार में हर बंदी को यह आशा होती है तो उसका कोई न कोई पारिवारिक सदस्य उससे मिलने अवश्य आएगा लेकिन मुलाकात बंद होने से उनका परेशान होना लाजमी है.


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लखनऊ. यूपी सरकार ने कोरोना का हवाला देते हुए एक जनवरी 2020 को जेल के दरवाजे मुलाकात के लिए बंद कर दिए थे लेकिन जब हर सेक्टर से बंदिशें खत्म हो चुकीं हैं. ऐसे में जेल में मुलाकात का दौर न शुरू होने से लोगों में नाराजगी और मायूसी है. जेलों में निरुद्ध बंदियों से की एक झलक पाने को मजबूर उनके परिजन जेलों के बाहर कड़ी धूप में इंतजार करते है. मुलाकात दोबारा शुरू करने के लिए जेल विभाग प्रशासन को पत्र लिख चुका है.

कैदियों से मुलाकात पर बंदिश

जेल प्रशासन ने करीब 3 हफ्ते पहले गृह विभाग को पत्र लिखा था कि राज्य की 73 जेलों में बंद लगभग एक लाख 15 हजार बंदियों की परिजनों से मुलाकात शुरू की जाए. जेल प्रशासन का कहना है कि बंदी परेशान हो रहे हैं. उनकी मानसिक स्थिति को मजबूत रखने के लिए परिजनों से मुलाकात होना आवश्यक है.

जेल महानिदेशक आनंद कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने जेल में बंदियों व परिजनों से मुलाकात को लेकर 3 हफ्ते पहले गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा था. अभी 5 दिन पहले दोबारा गृह विभाग को रिमाइंडर भेज दिया गया है. उम्मीद थी कि होली से पहले मुलाकात शुरू हो जाएगी लेकिन शायद प्रशासन होली के बाद ही मुलाकात शुरू करने की इजाजत दे.

दरअसल, उत्तर प्रदेश गृह विभाग ने एक जनवरी 2022 को बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों व बंदियों की सुरक्षा को देखते हुए जेल में होने वाली मुलाकात पर तत्काल रोक लगाई थी. आदेश को जारी हुए 71 दिन हो चुके हैं और कोरोना के मामलों में भी कमी आ चुकी है. हालांकि जेल में टेलीफोन से उनके परिजनों से बात करने की सुविधा दी जा रही है.

क्या कहता है गृह विभाग विभाग

प्रदेश की 73 जेल में बंद लगभग एक लाख 15 हजार बंदियों की उनके परिजनों से मुलाकात पिछले 71 दिनों से बंद है. बंदियों से उनके परिजनों की मुलाकात होने से उन्हें अवसाद, मानसिक बीमारी व तनाव से बचाया जाता है. जेल में कैदी झगड़ा ना करें व तनावमुक्त रहें. इसे लेकर जेल के अधिकारी हमेशा चिंतित रहते हैं.

अब जब ढाई महीने से मुलाकात बंद है तो जेल अधिकारी भी चिंतित हो चले हैं. इसे लेकर गृह विभाग को पत्र भी लिखा जा चुका है. जेल में मुलाकात शुरू कराए जाने पर जब अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि शासन इस पर विचार कर रहा है. जल्द ही इस पर फैसला किया जाएगा और मुलाकात शुरू हो सकेगी. हालांकि मुलाकात कब शुरू होगी इस पर उन्होंने कुछ नहीं बताया.


कोरोना की पहली लहर में 16 महीने बंद थी मुलाकात

कोरोना का आतंक जेल के अंदर न पहुंचे, इसके लिए राज्य सरकार ने 19 मार्च 2020 को सूबे की सभी जेलों में बंद बंदियों से मुलाकात पर 16 महीनें के लिए रोक लगा दी थी. इसके बाद 16 अगस्त 2021 को मुलाकात शुरू की गई थी. मुलाकात बंद होने के बाद भी कोरोना की पहली लहर में में 14 हजार कैदी व दूसरी लहर में 800 कैदी कोरोना की चपेट में आए थे.



यह भी पढ़ें:शिक्षिका के मर्डर का पुलिस ने किया खुलासा, पति और देवर ही निकले हत्यारे


विशेषज्ञ मुलाकात को मानते हैं जरूरी

मानसिक रोग विशेषज्ञ देवाशीष शुक्ल कहते हैं कि जेल में साइकोलॉजिकल प्रेशर होता है. ऐसे में मुलाकात पर ज्यादा समय से रोक लगे रहने के कारण बंदी अवसाद, डिप्रैशन, एंजायटी व नींद की समस्याओं से ग्रसित हो जाते हैं. इसके चलते ज्यादा समय तक बंदियों की परिजनों से मुलाकात पर रोक लगाना सही नहीं होगा. रक्षाबंधन और होली के त्योहार में हर बंदी को यह आशा होती है तो उसका कोई न कोई पारिवारिक सदस्य उससे मिलने अवश्य आएगा लेकिन मुलाकात बंद होने से उनका परेशान होना लाजमी है.


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