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लखनऊ: निजी शिक्षण संस्थानों में छात्रवृत्ति रोके जाने पर भड़के आरक्षण वर्ग के विद्यार्थी

उत्तर प्रदेश सरकार ने निजी शिक्षण संस्थानों में शुल्क प्रतिपूर्ति रोकने का फैसला लेकर आरक्षिण वर्ग के छात्र-छात्राओं को भड़का दिया है. सरकार के इस फैसले को विद्यार्थी उच्च शिक्षा से वंचित करने की साजिश मान रहे हैं. विद्यार्थी पूरे मामले पर प्रदेशव्यापी आंदोलन की तैयारी में जुट गये हैं.

डॉ. भीमराव अंबेडकर छात्रावास के कुछ वरिष्ठ छात्र
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Published : Sep 12, 2019, 7:10 PM IST

लखनऊ: यूपी सरकार ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति रोके जाने का फैसला पिछले महीने लिया है. सरकार की ओर से जारी आदेश अब निजी शिक्षण संस्थानों तक भी पहुंच गया है. सरकार ने आरक्षित वर्ग के छात्र-छात्राओं को फीस जमा किये बगैर प्रवेश देने से मना कर दिया है. सरकार के इस फैसले को विद्यार्थी उच्च शिक्षा से वंचित करने की साजिश मान रहे हैं और प्रदेशव्यापी आंदोलन की तैयारी में जुट गये हैं. छात्रों ने कहा कि इस मामले में जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कहेंगे.

निजी शिक्षण संस्थानों में नि:शुल्क प्रवेश की प्रक्रिया समाप्ति पर भड़के विद्यार्थी.
इसे भी पढ़ें- हाथरस: 41 स्कूलों के नाम पर 24.92 करोड़ की छात्रवृत्ति का घोटाला

निजी शिक्षण संस्थानों में नि:शुल्क प्रवेश की प्रक्रिया समाप्ति पर भड़के विद्यार्थी

  • 20 अगस्त 2019 को प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग निदेशक की ओर से पत्र जारी हुआ था.
  • पत्र में साफ कहा गया है कि भारत सरकार की गाइडलाइन के क्रम में निजी शिक्षण संस्थानों में नि:शुल्क प्रवेश की प्रक्रिया समाप्त की जा रही है.
  • नियमावली के नए प्रावधान नियम 12 (1)( क) में कहा गया है कि राजकीय अनुदानित शिक्षण संस्थानों में अनुमोदित पाठ्यक्रम में पात्र एवं सही डाटा वाले छात्रों को नि:शुल्क प्रवेश की सुविधा अनुमान्य होगी.
  • नि:शुल्क प्रवेश की सुविधा निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में अनुमान्य नहीं होगी.
  • निदेशक समाज कल्याण की ओर से यह पत्र प्रदेश के सभी जिला अधिकारी को भेजा गया है.
  • उनसे अपेक्षा की गई है कि वह नि:शुल्क प्रवेश का दावा करने वाले निजी शिक्षण संस्थानों पर रोक लगायें.
  • सरकारी आदेश का असर निजी शिक्षण संस्थानों के प्रवेश पर पड़ा है.
  • अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है, इससे इस वर्ग से जुड़े छात्रों में खासा आक्रोश है.
  • डॉ. भीमराव अंबेडकर छात्रावास के कुछ वरिष्ठ छात्रों का कहना है कि शुल्क प्रतिपूर्ति की व्यवस्था, आरक्षित वर्ग के शैक्षिक उत्थान के लिये आवश्यक है.
  • इस पर रोक लगाने का सीधा दुष्प्रभाव शोषित, वंचित समाज पर पड़ने वाला है.
  • देश के एक बड़े वर्ग को उच्च शिक्षा प्राप्त करने से रोकने की साजिश की जा रही है, समाज के लोग इसका कड़ा विरोध करेंगे.

लखनऊ: यूपी सरकार ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति रोके जाने का फैसला पिछले महीने लिया है. सरकार की ओर से जारी आदेश अब निजी शिक्षण संस्थानों तक भी पहुंच गया है. सरकार ने आरक्षित वर्ग के छात्र-छात्राओं को फीस जमा किये बगैर प्रवेश देने से मना कर दिया है. सरकार के इस फैसले को विद्यार्थी उच्च शिक्षा से वंचित करने की साजिश मान रहे हैं और प्रदेशव्यापी आंदोलन की तैयारी में जुट गये हैं. छात्रों ने कहा कि इस मामले में जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कहेंगे.

निजी शिक्षण संस्थानों में नि:शुल्क प्रवेश की प्रक्रिया समाप्ति पर भड़के विद्यार्थी.
इसे भी पढ़ें- हाथरस: 41 स्कूलों के नाम पर 24.92 करोड़ की छात्रवृत्ति का घोटाला

निजी शिक्षण संस्थानों में नि:शुल्क प्रवेश की प्रक्रिया समाप्ति पर भड़के विद्यार्थी

  • 20 अगस्त 2019 को प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग निदेशक की ओर से पत्र जारी हुआ था.
  • पत्र में साफ कहा गया है कि भारत सरकार की गाइडलाइन के क्रम में निजी शिक्षण संस्थानों में नि:शुल्क प्रवेश की प्रक्रिया समाप्त की जा रही है.
  • नियमावली के नए प्रावधान नियम 12 (1)( क) में कहा गया है कि राजकीय अनुदानित शिक्षण संस्थानों में अनुमोदित पाठ्यक्रम में पात्र एवं सही डाटा वाले छात्रों को नि:शुल्क प्रवेश की सुविधा अनुमान्य होगी.
  • नि:शुल्क प्रवेश की सुविधा निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में अनुमान्य नहीं होगी.
  • निदेशक समाज कल्याण की ओर से यह पत्र प्रदेश के सभी जिला अधिकारी को भेजा गया है.
  • उनसे अपेक्षा की गई है कि वह नि:शुल्क प्रवेश का दावा करने वाले निजी शिक्षण संस्थानों पर रोक लगायें.
  • सरकारी आदेश का असर निजी शिक्षण संस्थानों के प्रवेश पर पड़ा है.
  • अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है, इससे इस वर्ग से जुड़े छात्रों में खासा आक्रोश है.
  • डॉ. भीमराव अंबेडकर छात्रावास के कुछ वरिष्ठ छात्रों का कहना है कि शुल्क प्रतिपूर्ति की व्यवस्था, आरक्षित वर्ग के शैक्षिक उत्थान के लिये आवश्यक है.
  • इस पर रोक लगाने का सीधा दुष्प्रभाव शोषित, वंचित समाज पर पड़ने वाला है.
  • देश के एक बड़े वर्ग को उच्च शिक्षा प्राप्त करने से रोकने की साजिश की जा रही है, समाज के लोग इसका कड़ा विरोध करेंगे.
Intro:लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार ने निजी शिक्षण संस्थानों में शुल्क प्रतिपूर्ति रोकने का फैसला कर आरक्षण वर्ग के छात्र-छात्राओं को भड़का दिया है. सरकार के इस फैसले को आरक्षित वर्ग को उच्च शिक्षा से वंचित करने के साजिश मान रहे विद्यार्थी पूरे मामले पर प्रदेश व्यापी आंदोलन की तैयारी में जुट गए हैं।


Body:उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति के विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति रोके जाने का फैसला पिछले महीने किया है सरकार की ओर से जारी आदेश अब निजी शिक्षण संस्थानों तक भी पहुंच गया है और उन्होंने आरक्षित वर्ग के छात्र छात्राओं को फीस जमा किए बगैर प्रवेश देने से मना करना शुरू कर दिया है। अब तक निजी शिक्षण संस्थानों में इस वर्ग के विद्यार्थियों को फीस प्रतिपूर्ति मिलने की प्रत्याशा में प्रवेश मिल जाया करता था । निजी शिक्षण संस्थान प्रबंधक अपने कॉलेजों में प्रवेश के लिए निशुल्क प्रवेश का विज्ञापन भी जोर शोर से करते रहे हैं . 20 अगस्त 2019 को प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग निदेशक की ओर से जारी पत्र में साफ कहा गया है कि भारत सरकार की गाइडलाइन के क्रम में निजी शिक्षण संस्थानों में निशुल्क प्रवेश की प्रक्रिया समाप्त की जा रही है नियमावली के नए प्रावधान नियम 12 (1)( क) में कहा गया है कि राजकीय अनुदानित शिक्षण संस्थानों में अनुमोदित पाठ्यक्रम में पात्र एवं सही डाटा वाले छात्रों को निशुल्क प्रवेश की सुविधा अनुमन्य होगी किंतु निशुल्क प्रवेश की अनुमति व्यवस्था बाध्यकारी नहीं होगी निशुल्क प्रवेश की सुविधा निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में अनुमन्य नहीं होगी। निदेशक समाज कल्याण की ओर से यह पत्र प्रदेश के सभी जिला अधिकारी को भेजा गया है और उनसे अपेक्षा की गई है कि वह निशुल्क प्रवेश का दावा करने वाले निजी शिक्षण संस्थानों पर रोक लगाएं।

सरकारी आदेश का असर निजी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पर पड़ा है अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है इससे इस वर्ग से जुड़े छात्रों में खासा आक्रोश है । राजधानी लखनऊ में स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर छात्रावास के कुछ वरिष्ठ छात्रों ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा की शुल्क प्रतिपूर्ति की व्यवस्था, आरक्षित वर्ग के शैक्षिक उत्थान के लिए आवश्यक है। इस पर रोक लगाने का सीधा दुष्प्रभाव शोषित वंचित समाज पर पड़ने वाला है देश के एक बड़े वर्ग को उच्च शिक्षा प्राप्त करने से रोकने की साजिश की जा रही है इसका समाज के लोग कड़ा विरोध करेंगे छात्रों ने बताया कि वह लोग इस मामले में जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कहेंगे।

बाइट /डॉक्टर आशीष, पवन व वीरेंद्र कुमार, शोधार्थी छात्र

पीटीसी अखिलेश तिवारी


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