लखनऊ : बीते दिनों लखनऊ के महानगर थाने में आरबीआई के सहायक प्रबंधक ने एफआईआर दर्ज कराई थी कि करेंसी चेस्ट में नोट की गिनती करते वक्त नकली नोट मिले हैं. इनमें 20 की 242, 50 रुपये के 133 नोट, 100 रुपये के 101, 200 रुपये का एक और 2000 रुपये के 4 नोट मिले हैं. यह पहली बार नहीं है जब आरबीआई में नकली नोट पहुंचे हों. इसके पहले भी आरबीआई की ओर से फेक करेंसी मिलने की एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी हैं. इससे पहले वर्ष 2018 में 1, वर्ष 2019 में 8, वर्ष 2020 में 3, वर्ष 2021 में 7, वर्ष 2022 में 11 और वर्ष 2023 में अब तक 6 बार एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं.
छोटी फेक करेंसी मार्केट में चलाना आसान : सवाल उठ रहा है कि जब यह शंका पैदा होती है कि फेक करेंसी का व्यापार बड़ी नोटों का होता है तो आरबीआई तक सबसे अधिक छोटे नोट कैसे पहुंच रहे हैं. इतना ही नहीं आखिर बैंक कर्मी इन छोटे नोट को क्यों पहचान नहीं पा रहे हैं. इसके लिए एनसीआरबी के आंकड़ों पर नजर डालनी होगी. राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो (एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 से 2021 तक देश में 10, 20, 50 व 100 की नकली नोट सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में बरामद किए गए हैं.
500 और 2000 की नोट की बरामदगी छोटे नोटों की अपेक्षा काफी कम हुई है. एनसीआरबी के मुताबिक वर्ष 2020 में यूपी में 10 रुपये के 931 नोट, 20 के 35 नोट, 50 के 944 नोट और 100 के 5484 नकली नोट बरामद किए गए थे. वर्ष 2021 में 10 के 136 नोट, 20 के 183 नोट, 50 के 518 नोट और 100 के 15137 नकली नोट बरामद किए गए थे. यूपी में वर्ष 2020 में कुल 18,449 रुपये और 2021 में 21,014 रुपये के नोट बरामद हुए थे.
उम्रकैद तक सजा का प्रावधान : हाईकोर्ट के अधिवक्ता प्रिंस लेनिन बताते हैं कि नकली नोटों का व्यापार करने वाले आरोपियों पर पुलिस आईपीसी की धारा 489-बी के तहत एफआईआर दर्ज करती है. यह एक गैर जमानती धारा है. यानी की गिरफ्तारी के बाद सीधे जेल भेज दिया जाता है. उनके मुताबिक यदि आरोप साबित होते हैं तो दोषी को 10 साल से लेकर उम्रकैद तक सजा का प्रावधान है.
यह भी पढ़ें : यूपी कैबिनेट : निजी क्षेत्र को मिले पर्यटन विभाग के होटल और हेरिटेज किले, शिक्षा भर्ती आयोग के गठन को हरी झंडी