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लखनऊ: पीएम को पत्र लिखकर इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल वापस लेने की अपील - लखनऊ समाचार

ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने पीएम को पंत्र लिखकर इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 को वापस लेने की मांग की है. उन्होंने इस बिल के कई प्रवधानों पर सवाल खड़ा किया है.

शक्ति भवन
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Published : Jun 16, 2020, 12:43 AM IST

लखनऊ: ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र भेजा है. फेडरेशन ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजकर बिल वापसी के लिए प्रभावी भूमिका निभाने की अपील की है. फेडरेशन ने पत्र में कहा है कि संविधान में बिजली समवर्ती सूची में है, जिसका अर्थ है कि बिजली के मामले में राज्यों का बराबर का अधिकार है. ऐसे में देश के कई प्रान्तों की सरकारों ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के कई प्राविधानों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. अब जरूरी है कि बिल वापस लिया जाए.

ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भेजकर की गई अपील में कहा है कि बिजली का टैरिफ, श्रेणी विशेष के उपभोक्ताओं को टैरिफ में सब्सिडी देने, राज्य नियामक आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का चयन करने, उपभोक्ता के हित में महंगी बिजली के क्रय करारों को रद्द करने और निजीकरण के बजाय सार्वजानिक क्षेत्र में बिजली वितरण बनाये रखने जैसे कई बुनियादी सवाल हैं.

कई राज्यों की सरकारें कर चुकी हैं विरोध
उन्होंने कहा है कि यह राज्यों के अपने अधिकार क्षेत्र में आते हैं, लेकिन इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के जरिए इसमें केंद्र सरकार का सीधा हस्तक्षेप हो जाएगा, जो संविधान प्रदत्त संघीय ढांचे का उल्लंघन है. तामिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, पुडुचेरी, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखण्ड की सरकारें इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 पर गहरी आपत्ति व्यक्त कर चुकी हैं. छह प्रांतों के मुख्यमंत्रियों ने सीधे प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर आपत्ति दर्ज की है, जबकि अन्य प्रांतों के ऊर्जा मंत्रियों ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को पत्र भेजकर विरोध किया है.

बिजली किसानों और गरीबों की पहुंच से दूर हो जाएगी
ऐसे में जल्दबाजी में बिल पारित कराने के बजाय बिल पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए और इसे संसद की बिजली मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेज देना चाहिए. स्टैंडिंग कमेटी राज्य सरकारों के साथ-साथ बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों के फेडेरशनों से इस बिल पर विस्तृत विचार-विमर्श करें, उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाना चाहिए. ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा है कि बिल में कई दूरगामी परिवर्तन किये जा रहे हैं, जिसमें बिजली का निजीकरण और सब्सिडी समाप्त करना भी है. इससे बिजली किसानों और गरीबों की पहुंच से दूर हो जाएगी.

लखनऊ: ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र भेजा है. फेडरेशन ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजकर बिल वापसी के लिए प्रभावी भूमिका निभाने की अपील की है. फेडरेशन ने पत्र में कहा है कि संविधान में बिजली समवर्ती सूची में है, जिसका अर्थ है कि बिजली के मामले में राज्यों का बराबर का अधिकार है. ऐसे में देश के कई प्रान्तों की सरकारों ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के कई प्राविधानों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. अब जरूरी है कि बिल वापस लिया जाए.

ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भेजकर की गई अपील में कहा है कि बिजली का टैरिफ, श्रेणी विशेष के उपभोक्ताओं को टैरिफ में सब्सिडी देने, राज्य नियामक आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का चयन करने, उपभोक्ता के हित में महंगी बिजली के क्रय करारों को रद्द करने और निजीकरण के बजाय सार्वजानिक क्षेत्र में बिजली वितरण बनाये रखने जैसे कई बुनियादी सवाल हैं.

कई राज्यों की सरकारें कर चुकी हैं विरोध
उन्होंने कहा है कि यह राज्यों के अपने अधिकार क्षेत्र में आते हैं, लेकिन इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के जरिए इसमें केंद्र सरकार का सीधा हस्तक्षेप हो जाएगा, जो संविधान प्रदत्त संघीय ढांचे का उल्लंघन है. तामिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, पुडुचेरी, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखण्ड की सरकारें इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 पर गहरी आपत्ति व्यक्त कर चुकी हैं. छह प्रांतों के मुख्यमंत्रियों ने सीधे प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर आपत्ति दर्ज की है, जबकि अन्य प्रांतों के ऊर्जा मंत्रियों ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को पत्र भेजकर विरोध किया है.

बिजली किसानों और गरीबों की पहुंच से दूर हो जाएगी
ऐसे में जल्दबाजी में बिल पारित कराने के बजाय बिल पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए और इसे संसद की बिजली मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेज देना चाहिए. स्टैंडिंग कमेटी राज्य सरकारों के साथ-साथ बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों के फेडेरशनों से इस बिल पर विस्तृत विचार-विमर्श करें, उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाना चाहिए. ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा है कि बिल में कई दूरगामी परिवर्तन किये जा रहे हैं, जिसमें बिजली का निजीकरण और सब्सिडी समाप्त करना भी है. इससे बिजली किसानों और गरीबों की पहुंच से दूर हो जाएगी.

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