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नारी सशक्तीकरण की मिसाल हैं महिलाओं को 'आत्मनिर्भर' बना रहीं रेखा खंडेलवाल

नारी सशक्तीकरण की मिसाल पेश करते हुए रेखा खंडेलवाल सैकड़ों महिलाओं को प्रशिक्षण देने का काम कर रही हैं. 'आत्मनिर्भर स्कूटी ट्रेनिंग सेंटर' चलाकर रेखा महिलाओं को स्कूटी चलाने का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना रही हैं.

स्कूटी चलाना.
स्कूटी चलाना.
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Published : Oct 28, 2021, 9:59 AM IST

Updated : Oct 28, 2021, 10:48 AM IST

लखनऊ: करने की ठान लें तो कुछ भी मुश्किल नहीं है. इस बात का सटीक उदाहरण हैं रेखा खंडेलवाल. उन्होंने अपना उद्यम शुरू करने की ठानी, तो किस्मत ने उनका साथ दिया. आज वह सिर्फ महिलाओं के दम पर 'आत्मनिर्भर' नाम की कंपनी चला रही हैं. इस कंपनी से सैकड़ों महिलाओं को रोजगार मिल रहा है. जिससे वे खुशहाल जिंदगी जी रही है. रेखा को विचार आया कि महिलाओं को दोपहिया वाहन सिखाने की समाज में कोई व्यवस्था नहीं है. इसलिए अक्सर लड़कियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसलिए उन्होंने इसी क्षेत्र में आगे बढ़ने का निर्णय किया. एक-एक कर अब 10 शहरों में उनके 'आत्मनिर्भर स्कूटी ट्रेनिंग सेंटर' चल रहे हैं. हालांकि वह यहीं तक रुकने वाली नहीं हैं. वह देश के हर शहर और कस्बे तक अपनी पहुंच बनाने के लिए प्रयासरत हैं. उनकी सफलता से जुड़ी पूरी कहानी, जो अन्य महिलाओं के लिए प्रेरक हो सकती है.

सीईओ रेखा खंडेलवाल का कहना है कि एक महिला मैं भी हूं. आज से कुछ साल पहले मुझे स्कूटी चलाना सीखना था. पति के पास समय नहीं होता था कि वह मुझे सीखा पाते. स्कूटी सीखने में काफी समस्या हुई. उन्होंने बताया कि जब इतनी मुश्किल के बाद मैंने स्कूटी चलाना सीखा तो मानों मुझे पंख ही लग गए हो. स्कूटी चलाना सीखना एक चुनौती बन गई थी. एक दिन ऐसे ही विचार आया कि अगर स्कूटी चलाना सीखने में मुझे इतनी समस्या हो रही है तो अन्य महिलाओं को भी स्कूटी सीखने में इतनी ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा. वहीं, महिलाएं पुरूषों से स्कूटी सीखने में हिचकती है. उन्होंने बताया कि जब ट्रेनिंग सेंटर में शुरू करने का विचार आया. उसी समय यह तय किया था कि महिलाओं को स्कूटी चलाना सीखाने के लिए स्पेशल महिला ट्रेनर रखा जाए. ताकि महिलाओं को स्कूटी सीखने में कोई समस्या परेशानी न हो.

जानकारी देती रेखा खंडेलवाल.

रेखा बतातीं है कि स्कूटी सीखने के बाद मेरी पर्सनालिटी में बहुत बदलाव आया है. कॉन्फिडेंस बढ़ा हुआ है. अब मैं स्वयं अपना काम कर सकती हूं. हमने 10 हजार से ज्यादा महिलाओं को स्कूटी चलाना सीखाया है. लगभग 200 से अधिक ट्रेनर हमारे पास है. हमारा लक्ष्य है कि आने वाले दिनों में हर छोटे-बड़े गांव कस्बे और शहर में पहुंचना चाहते हैं ताकि हर महिला तक आसानी से हम पहुंचकर उन्हें प्रशिक्षित कर सकें. तो आप भी आपनी किस्मत की चाभी अपने हाथ में लीजिए. मैं चाहती हूं हर महिला वो खुशी महसूस कर सकें जो मैंने महसूस किया है और देश की हर महिला आत्मनिर्भर हो. यही हमारा उद्देश्य है.

आत्मनिर्भर स्कूटी ट्रेनिंग सेंटर की मैनेजर दीपिका बताती हैं कि इस समय में लखनऊ शहर में उनके पास 19 ट्रेनर हैं. पिछले 3 सालों में 3 हजार से ज्यादा महिलाओं को स्कूटी चलाना सीखा कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है. इसके जरिए हम हजारों महिलाओं को रोजगार के साथ प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बना रहे हैं.

आत्मनिर्भर स्कूटी ट्रेनिंग सेंटर की महिला ट्रेनर अनुजा ने बताया कि पिछले 8 महीने से वह इस संस्था से जुड़ी हुई हैं. बहुत अच्छा लगता है जब स्कूटी सीखने के बाद महिलाओं के चेहरे पर एक अलग सी खुशी देखने को मिलती है. उनकी दुआएं मिलती हैं जिसे पाकर हमारी हिम्मत बढ़ती है. आत्मनिर्भर ने मुझे खुद आत्मनिर्भर बना दिया है बहुत अच्छा लगता है जब महिलाएं बोलती हैं कि उनके घर पर पति को स्कूटी सिखाने का समय नहीं मिलता है.

अनुजा ने बताया कि कई बार महिलाएं स्कूटी छूने में डर जाती हैं. उन्हें एकदम हौसला नहीं रहता है कि वह स्कूटी को संभाल सकती हैं लेकिन मात्र 10 दिन की ट्रेनिंग का असर है कि महिला स्कूटी चलाना बहुत अच्छी तरीके से सीख जाती हैं और उनके अंदर का डर कम हो जाता है.

इसे भी पढ़ें- महिला सशक्तीकरण की फिल्में करना चाहती हूं : वाणी कपूर

लखनऊ: करने की ठान लें तो कुछ भी मुश्किल नहीं है. इस बात का सटीक उदाहरण हैं रेखा खंडेलवाल. उन्होंने अपना उद्यम शुरू करने की ठानी, तो किस्मत ने उनका साथ दिया. आज वह सिर्फ महिलाओं के दम पर 'आत्मनिर्भर' नाम की कंपनी चला रही हैं. इस कंपनी से सैकड़ों महिलाओं को रोजगार मिल रहा है. जिससे वे खुशहाल जिंदगी जी रही है. रेखा को विचार आया कि महिलाओं को दोपहिया वाहन सिखाने की समाज में कोई व्यवस्था नहीं है. इसलिए अक्सर लड़कियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसलिए उन्होंने इसी क्षेत्र में आगे बढ़ने का निर्णय किया. एक-एक कर अब 10 शहरों में उनके 'आत्मनिर्भर स्कूटी ट्रेनिंग सेंटर' चल रहे हैं. हालांकि वह यहीं तक रुकने वाली नहीं हैं. वह देश के हर शहर और कस्बे तक अपनी पहुंच बनाने के लिए प्रयासरत हैं. उनकी सफलता से जुड़ी पूरी कहानी, जो अन्य महिलाओं के लिए प्रेरक हो सकती है.

सीईओ रेखा खंडेलवाल का कहना है कि एक महिला मैं भी हूं. आज से कुछ साल पहले मुझे स्कूटी चलाना सीखना था. पति के पास समय नहीं होता था कि वह मुझे सीखा पाते. स्कूटी सीखने में काफी समस्या हुई. उन्होंने बताया कि जब इतनी मुश्किल के बाद मैंने स्कूटी चलाना सीखा तो मानों मुझे पंख ही लग गए हो. स्कूटी चलाना सीखना एक चुनौती बन गई थी. एक दिन ऐसे ही विचार आया कि अगर स्कूटी चलाना सीखने में मुझे इतनी समस्या हो रही है तो अन्य महिलाओं को भी स्कूटी सीखने में इतनी ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा. वहीं, महिलाएं पुरूषों से स्कूटी सीखने में हिचकती है. उन्होंने बताया कि जब ट्रेनिंग सेंटर में शुरू करने का विचार आया. उसी समय यह तय किया था कि महिलाओं को स्कूटी चलाना सीखाने के लिए स्पेशल महिला ट्रेनर रखा जाए. ताकि महिलाओं को स्कूटी सीखने में कोई समस्या परेशानी न हो.

जानकारी देती रेखा खंडेलवाल.

रेखा बतातीं है कि स्कूटी सीखने के बाद मेरी पर्सनालिटी में बहुत बदलाव आया है. कॉन्फिडेंस बढ़ा हुआ है. अब मैं स्वयं अपना काम कर सकती हूं. हमने 10 हजार से ज्यादा महिलाओं को स्कूटी चलाना सीखाया है. लगभग 200 से अधिक ट्रेनर हमारे पास है. हमारा लक्ष्य है कि आने वाले दिनों में हर छोटे-बड़े गांव कस्बे और शहर में पहुंचना चाहते हैं ताकि हर महिला तक आसानी से हम पहुंचकर उन्हें प्रशिक्षित कर सकें. तो आप भी आपनी किस्मत की चाभी अपने हाथ में लीजिए. मैं चाहती हूं हर महिला वो खुशी महसूस कर सकें जो मैंने महसूस किया है और देश की हर महिला आत्मनिर्भर हो. यही हमारा उद्देश्य है.

आत्मनिर्भर स्कूटी ट्रेनिंग सेंटर की मैनेजर दीपिका बताती हैं कि इस समय में लखनऊ शहर में उनके पास 19 ट्रेनर हैं. पिछले 3 सालों में 3 हजार से ज्यादा महिलाओं को स्कूटी चलाना सीखा कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है. इसके जरिए हम हजारों महिलाओं को रोजगार के साथ प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बना रहे हैं.

आत्मनिर्भर स्कूटी ट्रेनिंग सेंटर की महिला ट्रेनर अनुजा ने बताया कि पिछले 8 महीने से वह इस संस्था से जुड़ी हुई हैं. बहुत अच्छा लगता है जब स्कूटी सीखने के बाद महिलाओं के चेहरे पर एक अलग सी खुशी देखने को मिलती है. उनकी दुआएं मिलती हैं जिसे पाकर हमारी हिम्मत बढ़ती है. आत्मनिर्भर ने मुझे खुद आत्मनिर्भर बना दिया है बहुत अच्छा लगता है जब महिलाएं बोलती हैं कि उनके घर पर पति को स्कूटी सिखाने का समय नहीं मिलता है.

अनुजा ने बताया कि कई बार महिलाएं स्कूटी छूने में डर जाती हैं. उन्हें एकदम हौसला नहीं रहता है कि वह स्कूटी को संभाल सकती हैं लेकिन मात्र 10 दिन की ट्रेनिंग का असर है कि महिला स्कूटी चलाना बहुत अच्छी तरीके से सीख जाती हैं और उनके अंदर का डर कम हो जाता है.

इसे भी पढ़ें- महिला सशक्तीकरण की फिल्में करना चाहती हूं : वाणी कपूर

Last Updated : Oct 28, 2021, 10:48 AM IST
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