लखनऊ: कोविड-19 संक्रमण की शुरुआत के दौर में ही डीजी जेल आनंद कुमार ने सभी जिलों को निर्देशित किया था कि वह कोविड-19 संक्रमण से कैदियों को बचाने के लिए प्रबंध करें. इसके बाद लगातार विभिन्न जिलों के जेल प्रशासन की ओर से दावे किए जा रहे हैं कि कैदियों को कोविड-19 संक्रमण से बचाने के लिए प्रबंध किए गए हैं.
इन तमाम दावों के बीच उत्तर प्रदेश की कई जेल में 23 कैदियों को कोविड-19 से संक्रमित पाया गया है. ऐसे में हमने प्रदेश की राजधानी लखनऊ की जिला जेल पहुंच कर वहां पर कोविड-19 संक्रमण से कैदियों को बचाने के लिए किए गए प्रबंध के बारे में जाना. शहर के अन्य जिलों में भले ही कुछ कैदी संक्रमित पाए गए हों, लेकिन राजधानी लखनऊ की जिला जेल पूरी तरह से महफूज है. यहां कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है.
जेल प्रशासन बरत रहा सावधानियां
प्रदेश की राजधानी लखनऊ की जिला जेल के 3200 कैदियों को कोविड-19 संक्रमण से बचाने के लिए जेल प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं. जेल में कोविड-19 संक्रमण न फैलने पाए इसके लिए जेल में आने वाले कैदियों का कोविड-19 टेस्ट कराया जाता है.
जेल प्रशासन नए कैदियों के जेल में पहुंचने को लेकर सावधानियां बरत रहा है. कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए बेहतर इंतजाम किए गए हैं.
जेल प्रशासन रख रहा कैदियों का ख्याल
कैदी अपने आपको कोविड-19 संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार कर सकें. इसके लिए उन्हें एक खास आयुर्वेदिक दवा दी जाती है. साथ ही उन्हें आयुर्वेदिक काढ़ा व हर्बल टी उपलब्ध कराई जाती है, जिससे कि कैदियों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके और वह कोरोना वायरस से खुद को सुरक्षित रख सकें.
कोविड-19 संक्रमण के दौरान जेल में बेहतर चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है. जेल में कोविड-19 संक्रमण के दौरान ओपीडी की संख्या में बढ़ोतरी की गई है. ऐसे में जो लोग ओपीडी में बुखार या जुखाम की शिकायत लेकर पहुंचते हैं. उन्हें इलाज के साथ ही अस्पताल में बने आइसोलेशन सेंटर में रखा जाता है. जब यह मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं. तभी उन्हें जेल में वापस भेजा जाता है. इलाज के बाद भी इन कैदियों को 14 दिन क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाता है.
इसे भी पढ़ें:- चीन के तेवर पड़े नरम, बोला- सीमा पर हालात नियंत्रण योग्य
हम लगातार कोविड-19 संक्रमण से अपने कैदियों को बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. जेल में नए कैदियों को लाने से पहले उनका कोविड-19 टेस्ट कराया जाता है. टेस्ट निगेटिव आने के बाद ही उन्हें जेल में दाखिल किया जाता है. दाखिल करते समय भी उनके हाथों को सैनिटाइज किया जाता है और उनकी थर्मल स्क्रीनिंग कराई जाती है.
पीएन पांडेय,जेल अधीक्षक
जेल में बंद कैदियों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है. हमने क्वारंटाइन सेंटर बनाए हैं, जिन कैदियों को बुखार या जुखाम की समस्या होती है, उन्हें इलाज के दौरान क्वारंटाइन किया जाता है. इलाज के बाद 14 दिन क्वारंटाइन रखने के बाद ही उन्हें जेल में वापस भेजा जाता है.
डॉ. एनके वर्मा, चिकित्सा अधिकारी जिला कारागार