लखनऊ : ट्रेनों के सुगम संचालन के लिए अब फाइबर ऑप्टिक सेंसर लगेंगे. इन्हें लाइन के किनारे लगाया जाएगा. ट्रेनों के गुजरते समय यह उसमें होने वाली खामियों का पता लगाएंगे. इसकी खासियत यह होगी कि ट्रेन के कौन से कोच में कहां समस्या है, यह उसकी जानकारी देगा. इससे ट्रेन के पहिए और रेल में आने वाली दिक्कतों को होने से पहले रोककर दुरुस्त किया जा सकेगा. एलएचबी (लिंके हॉफमैन बुश) वाले थर्ड एसी कोच में सीटों की संख्या बढ़ाने की तैयारी है. इससे रेलवे का राजस्व बढ़ेगा. यह बातें शुक्रवार को अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) के महानिदेशक वीरेंद्र कुमार ने कही.
क्या कहते हैं महानिदेशक
महानिदेशक वीरेंद्र कुमार ने बताया कि इस बार आरडीएसओ के बजट में 22 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. पिछली बार आरडीएसओ को 70 करोड़ रुपये मिले थे, जो बढ़कर इस बार 85.65 करोड़ रुपये हो गए हैं. आरडीएसओ टीकैस (ट्रेन कोलेजन अवॉइडिंग सिस्टम) और ईओटीटी (इंड ऑफ ट्रेन टेलीमीटरी) प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रहा है. दोनों का ही ट्रायल हो रहा है. इसके अलावा आरडीएसओ ने डीपीडब्ल्यूसीएस (डिस्ट्रीब्यूटेड पॉवर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम) डिजाइन किया है. इससे दो इंजन लगाकर चलने वाली मालगाड़ियों के संचालन में तेजी आएगी.
थर्ड एसी कोच में बनेगा एक अतिरिक्त केबिन
आरडीएसओ थर्ड एसी कोचों की क्षमता बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. इसमें थर्ड एसी कोचों में बेडरोल वाले स्थान को ट्रेन के नीचे बनाया जाएगा. इसके स्थान पर एक अतिरिक्त केबिन बनेगा. महानिदेशक ने बताया कि अभी अधिकांश यात्री थर्ड एसी कोचों से यात्रा करते हैं. एलएचबी वाले थर्ड एसी कोच की क्षमता 72 की है. बेडरोल की जगह हटाकर एक केबिन बनने से आठ यात्रियों के अतिरिक्त बैठने की क्षमता बढ़ेगी. इससे रेलवे को भी अधिक राजस्व जुटाने में मदद मिलेगी. आरडीएसओ ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है.
मेट्रो डिजाइनिंग को जल्द मंजूरी मिलेगी
महानिदेशक ने बताया कि मेट्रो डिजाइनिंग के बाद अप्रूवल में अभी तक 20 से 21 दिन का समय लगता था. आरडीएसओ ने इस प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है. डिजाइनिंग आरडीएसओ को अब ऑनलाइन मिलेगी. आरडीएसओ अधिकारी अब उसमें ऑनलाइन बदलाव कर सकेंगे और वापस भेज देंगे. इसके बाद डिजाइन वापस अप्रूवल के लिए आ सकेगी और मंजूरी मिलेगी.
त्रिनेत्र को दोबारा मिली मंजूरी
कोहरे के समय ट्रेन संचालन में काफी दिक्कतें आती हैं. कोहरे से निपटने के लिए अभी कोई डिवाइस नहीं बनी है. फिलहाल, आरडीएसओ कोहरे में ट्रैक पर आने वाली बाधाओं की पहले से पहचान करने के लिए त्रिनेत्र डिवाइस पर काम कर रहा है. इस बार बजट में भी इस प्रोजेक्ट को दोबारा मंजूरी मिल गई है. आरडीएसओ इसी वर्ष इसके लिए टेंडर करेगा. महानिदेशक ने बताया कि त्रिनेत्र ट्रेन ड्राइवर को ट्रैक पर आने वाली बाधाओं की पहले से जानकारी देगा, जिससे चलती ट्रेन के अचानक टकराने वाली घटनाओं पर लगाम लगेगी.