लखनऊ: राजधानी स्थित ऐशबाग की रामलीला देश भर में मशहूर है, जो कि 500 साल पुरानी है. ऐसी मान्यता है कि इसकी शुरुआत गोस्वामी तुलसीदास ने की थी. यहां आयोजित होने वाली रामलीला में कुल ढाई सौ कलाकार भाग लेते हैं, जिनमें 60 कलाकार बाहर से आते हैं. रविवार को विजय दशमी के दिन रावण दहन का कार्यक्रम होगा, जबकि रावण दहन के साथ कोरोना का भी दहन किया जाएगा. रामलीला समिति के लोगों का ऐसा विश्वास है कि रावण दहन के बाद कोरोना समाप्त हो जाएगा.
ऐशबाग की ऐतिहासिक रामलीला 500 साल से आयोजित की जा रही है. ऐसा माना जाता है कि इस रामलीला की शुरुआत गोस्वामी तुलसीदास ने की थी. वहीं 500 सालों में पहली बार रामलीला वर्चुअल तरीके से आयोजित की गई, जहां रविवार को विजयदशमी के दिन रावण का दहन होगा. अब तक रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाथ भी जलाए जाते रहे, लेकिन इस बार अकेला रावण ही दहन होगा. इस बार रावण के पुतले पर कोरोनावायरस का चित्र भी बनाया गया है. समिति के लोगों का मानना है कि इस बार रावण दहन के साथ-साथ कोरोनावायरस का भी दहन होगा, जिससे इसका खात्मा हो जाएगा.
श्री रामलीला समिति के 500 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब रावण का पुतला अकेले जलाया जाएगा. हर बार दशहरे के दिन रावण की लंबाई बढ़ती जा रही थी. पिछले साल 121 फीट का रावण जलाया गया था, लेकिन इस बार कोविड के संक्रमण के चलते केवल 71 फीट का ही रावण बनाया गया है.
श्री रामलीला समिति ऐशबाग के अध्यक्ष हरिश्चंद्र अग्रवाल ने बताया कि इस बार रावण 71 फीट का होगा. वहीं रावण के साथ-साथ कोरोनावायरस का दहन किया जा रहा है. इस बार रावण दहन का पूरा कार्यक्रम वर्चुअल होगा तो वहीं मैदान में जनता का प्रवेश वर्जित रहेगा.