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आखिर यूपी के इस मुख्यमंत्री का खर्च क्यों उठाते थे राजस्थान के सीएम मोहनलाल सुखाड़िया ?

गोविंद बल्लभ पंत को जब केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया तो यूपी के मुख्यमंत्री की कमान संपूर्णानंद (former UP CM Sampurnanand) के हाथों में सौंपी दी गई. वो 1962 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और बाद में उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बना दिया गया. कहा जाता है कि संपूर्णानंद जी का वृद्धावस्था आर्थिक तंगियों में कटा. हालत इस हद तक खराब थे कि उनके जीवन यापन के लिए राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया हर महीने पैसे भेजा करते थे.

यूपी के मुख्यमंत्री संपूर्णानंद
यूपी के मुख्यमंत्री संपूर्णानंद
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Published : Jan 2, 2022, 9:47 AM IST

Updated : Jan 2, 2022, 2:27 PM IST

हैदराबाद: अगर आज किसी राज्य के मुख्यमंत्री को गरीब कहकर संबोधित किया जाए तो आपको अजीब लगेगा, क्योंकि आज राजनेता सत्ता में आते ही लखपति और करोड़पति बन जाते हैं. आज सियासत पूरी तरह से व्यवसाय हो गया है. लेकिन यूपी की सियासत में एक दौर ऐसा भी था, जब लोग सियासत में जन सेवा के लिए आते थे और पूरी निष्ठा से काम किया करते थे. सूबे में एक ऐसे ही मुख्यमंत्री थे संपूर्णानंद (former UP CM Sampurnanand), जो पहले यूपी के शिक्षा मंत्री, फिर मुख्यमंत्री और उसके बाद राजस्थान के राज्यपाल बने.

लेकिन इन बड़े पदों पर रहने के बावजूद उनका वृद्धावस्था आर्थिक तंगियों में जूझते हुए कटा. हालत इस हद तक खराब थे कि उनके जीवन यापन के लिए राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया (The then Chief Minister Mohanlal Sukhadia) हर माह पैसे भेजते थे. सुखाड़िया संपूर्णानंद जी का सम्मान करते थे.

यूपी के मुख्यमंत्री संपूर्णानंद
यूपी के मुख्यमंत्री संपूर्णानंद

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दरअसल, संपूर्णानंद का जन्म 1 जनवरी, 1890 को बनारस में हुआ था. संपूर्णानंद की सियासी सफर सत्याग्रह आंदोलनों से शुरू हुआ. इसके बाद वो मुख्य धारा की सियासत में सक्रिय हुए. वहीं, साल 1926 में कांग्रेस ने पहली बार उन्हें प्रत्याशी बनाया और वो विजयी होकर विधानसभा पहुंचे. 1937 में कांग्रेस मंत्रिमंडल में तत्कालिक शिक्षा मंत्री प्यारेलाल शर्मा (Former UP Education Minister Pyarelal Sharma) के त्यागपत्र के बाद संपूर्णानंद को यूपी का शिक्षा मंत्री बनाया गया.

1954 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Prime Minister Jawaharlal Nehru) ने यूपी के तत्कालिक मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत को जब केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया तो यूपी के मुख्यमंत्री की कमान संपूर्णानंद को सौंपी गई और वो 1962 तक यूपी के मुख्यमंत्री रहे. बाद में इन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया. राजस्थान के राज्यपाल के तौर पर 1967 में इनका कार्यकाल समाप्त हो गया था. वहीं, कार्यकाल के समाप्त होने के महज दो साल बाद ही 10 जनवरी, 1969 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री संपूर्णानंद और राजस्थान के सीएम मोहनलाल सुखाड़िया
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री संपूर्णानंद और राजस्थान के सीएम मोहनलाल सुखाड़िया

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संपूर्णानंद को भले ही एक राजनेता के रूप में जाना जाता हो, लेकिन वो राजनेता के साथ-साथ एक चिंतक, साहित्यकार, शिक्षक, ज्योतिषविद, तंत्र साधक व संपादक भी थे. योग दर्शन में उनकी काफी रुचि थी. यूपी में ओपन जेल और नैनीताल में वैधशाला बनवाने का श्रेय भी उन्हीं को ही जाता है. हिंदी भाषा को लेकर संपूर्णानंद काफी भावुक थे. उन्होंने लंबे समय तक 'मर्यादा' नामक मैगजीन का संपादन किया.

यूपी के मुख्यमंत्री संपूर्णानंद वअन्य
यूपी के मुख्यमंत्री संपूर्णानंद वअन्य

जब उन्होंने संपादन छोड़ा तो फिर संपादन कार्य प्रेमचंद ने संभाला था. संपूर्णानंद के लिए कहा जाता है कि वो कभी भी वोट मांगने के लिए जनता के बीच नहीं जाते थे. इन्होंने गांधीजी की पहली जीवनी 'कर्मवीर' लिखी. सबसे पहला वैज्ञानिक उपन्यास लिखने का श्रेय भी इन्हीं को जाता है.

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हैदराबाद: अगर आज किसी राज्य के मुख्यमंत्री को गरीब कहकर संबोधित किया जाए तो आपको अजीब लगेगा, क्योंकि आज राजनेता सत्ता में आते ही लखपति और करोड़पति बन जाते हैं. आज सियासत पूरी तरह से व्यवसाय हो गया है. लेकिन यूपी की सियासत में एक दौर ऐसा भी था, जब लोग सियासत में जन सेवा के लिए आते थे और पूरी निष्ठा से काम किया करते थे. सूबे में एक ऐसे ही मुख्यमंत्री थे संपूर्णानंद (former UP CM Sampurnanand), जो पहले यूपी के शिक्षा मंत्री, फिर मुख्यमंत्री और उसके बाद राजस्थान के राज्यपाल बने.

लेकिन इन बड़े पदों पर रहने के बावजूद उनका वृद्धावस्था आर्थिक तंगियों में जूझते हुए कटा. हालत इस हद तक खराब थे कि उनके जीवन यापन के लिए राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया (The then Chief Minister Mohanlal Sukhadia) हर माह पैसे भेजते थे. सुखाड़िया संपूर्णानंद जी का सम्मान करते थे.

यूपी के मुख्यमंत्री संपूर्णानंद
यूपी के मुख्यमंत्री संपूर्णानंद

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दरअसल, संपूर्णानंद का जन्म 1 जनवरी, 1890 को बनारस में हुआ था. संपूर्णानंद की सियासी सफर सत्याग्रह आंदोलनों से शुरू हुआ. इसके बाद वो मुख्य धारा की सियासत में सक्रिय हुए. वहीं, साल 1926 में कांग्रेस ने पहली बार उन्हें प्रत्याशी बनाया और वो विजयी होकर विधानसभा पहुंचे. 1937 में कांग्रेस मंत्रिमंडल में तत्कालिक शिक्षा मंत्री प्यारेलाल शर्मा (Former UP Education Minister Pyarelal Sharma) के त्यागपत्र के बाद संपूर्णानंद को यूपी का शिक्षा मंत्री बनाया गया.

1954 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Prime Minister Jawaharlal Nehru) ने यूपी के तत्कालिक मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत को जब केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया तो यूपी के मुख्यमंत्री की कमान संपूर्णानंद को सौंपी गई और वो 1962 तक यूपी के मुख्यमंत्री रहे. बाद में इन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया. राजस्थान के राज्यपाल के तौर पर 1967 में इनका कार्यकाल समाप्त हो गया था. वहीं, कार्यकाल के समाप्त होने के महज दो साल बाद ही 10 जनवरी, 1969 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री संपूर्णानंद और राजस्थान के सीएम मोहनलाल सुखाड़िया
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री संपूर्णानंद और राजस्थान के सीएम मोहनलाल सुखाड़िया

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संपूर्णानंद को भले ही एक राजनेता के रूप में जाना जाता हो, लेकिन वो राजनेता के साथ-साथ एक चिंतक, साहित्यकार, शिक्षक, ज्योतिषविद, तंत्र साधक व संपादक भी थे. योग दर्शन में उनकी काफी रुचि थी. यूपी में ओपन जेल और नैनीताल में वैधशाला बनवाने का श्रेय भी उन्हीं को ही जाता है. हिंदी भाषा को लेकर संपूर्णानंद काफी भावुक थे. उन्होंने लंबे समय तक 'मर्यादा' नामक मैगजीन का संपादन किया.

यूपी के मुख्यमंत्री संपूर्णानंद वअन्य
यूपी के मुख्यमंत्री संपूर्णानंद वअन्य

जब उन्होंने संपादन छोड़ा तो फिर संपादन कार्य प्रेमचंद ने संभाला था. संपूर्णानंद के लिए कहा जाता है कि वो कभी भी वोट मांगने के लिए जनता के बीच नहीं जाते थे. इन्होंने गांधीजी की पहली जीवनी 'कर्मवीर' लिखी. सबसे पहला वैज्ञानिक उपन्यास लिखने का श्रेय भी इन्हीं को जाता है.

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Last Updated : Jan 2, 2022, 2:27 PM IST
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