ETV Bharat / state

CPA सम्मेलन में ब्यूरोक्रेसी पर करारा प्रहार, कैग रिपोर्ट से IAS की परफॉर्मेंस जोड़ने की मांग

यूपी के विधानभवन में चल रहे राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत प्रक्षेत्र के सम्मेलन में राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने ब्यूरोक्रेसी पर करारा प्रहार किया. सीपी जोशी ने कैग रिपोर्ट से आईएएस की परफॉर्मेंस को सम्बद्ध करने की मांग की. साथ ही उन्होंने कहा कि बजट का सरलीकरण होना चाहिए, जिससे उसे आसानी से समझा जा सके.

rajasthan assembly speaker, rajasthan assembly speaker cp joshi, cpa conference, cpa conference in lucknow, राष्ट्रमंडल संसदीय संघ,  सीपीए भारत क्षेत्र के सम्मेलन, राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ,बजटीय प्रावधान, ब्यूरोक्रेसी पर करारा प्रहार, कैग रिपोर्ट, बजट लिटरेसी
राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सीपीए सम्मेलन में रखी अपनी राय.
author img

By

Published : Jan 16, 2020, 8:43 PM IST

लखनऊ: राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र के सम्मेलन में राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बजटीय प्रावधान पर चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर फोकस किया. उन्होंने मौजूदा व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया. साथ ही कैग की रिपोर्ट के चार साल विलम्ब से आने पर चिंता व्यक्त की और ब्यूरोक्रेसी की परफॉर्मेंस को कैग रिपोर्ट से सम्बद्ध करने की आवश्यकता बताई. इस दौरान उन्होंने ब्यूरोक्रेसी पर करारा प्रहार किया.

'बजट लिटरेसी पर नहीं होती चर्चा'
राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि सरकारें कोई भी हों. वे प्लान बजट के बारे में जनता को सही जानकारी नहीं देतीं. जनता को मूर्ख बनाया जाता है. उसे बजट की सही जानकारी का पूरा अधिकार है. हम बजट में प्रावधान पर चर्चा करते हैं, लेकिन बजट लिटरेसी के बारे में चर्चा नहीं करते. विधायकों को बजट लिटरेसी के बारे में जानना चाहिए. बजट के बारे में पूरी जानकारी उन्हें होनी चाहिए.

'बजट का हो सरलीकरण'
उन्होंने कहा कि बजट का एक बड़ा सा पुलिंदा दे दिया जाता है. मुझे नहीं लगता कि कोई एमएलए उसे पूरा पड़ता होगा. पढ़ने पर समझ में भी नहीं आता है, इसलिए इसका सरलीकरण किया जाना चाहिए. साफ-साफ लिखा जाना चाहिए.

'ब्यूरोक्रेसी के परफॉर्मेंस कैग से हो सम्बद्ध'
सीपी जोशी ने कहा कि कैग (CAG) की रिपोर्ट हर साल आती है, लेकिन वह कई वर्ष पुरानी होती है. सरकार चली जाती है तब रिपोर्ट आती है. नए विधायकों को इस रिपोर्ट से क्या लेना देना? उन्हें तो अपने क्षेत्र के बारे में सोचना होता है. उनकी रुचि प्लान बजट में होती है. ब्यूरोक्रेसी का यह जाल है. उसी की कमी है. उन्होंने कहा कि हम ब्यूरोक्रेसी की पीठ थपथपाते हैं. अगर कैग की रिपोर्ट हर साल आएगी तो काम की समीक्षा की जा सकेगी. इसलिए जरूरी है कि ब्यूरोक्रेसी के परफॉर्मेंस को सीएजी से सम्बद्ध करना चाहिए. गड़बड़ी करने वाले ब्यूरोक्रेसी के लोग लगातार प्रमोशन पर प्रमोशन ले रहे हैं.

'व्यवस्था परिवर्तन जरूरी'
राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमें नहीं पता है कि कौन बच्चे पढ़ना चाह रहे हैं. पहले अशिक्षित लोगों का एक बड़ा समाज था. अब हम यह कैसा समाज तैयार कर रहे हैं जो 10वीं फेल समाज है. उन्होंने कहा कि कक्षा एक में भी बच्चे फेल हो रहे हैं, लेकिन हम पास कर देते हैं. यह 10वीं फेल समाज कौन लोग हैं. वह सभी गरीब, वंचित और शोषित तबके के हैं. हम किस तरह की शिक्षा दे रहे हैं. इस पर बात होनी चाहिए. व्यवस्था परिवर्तन जरूरी है.

ये भी पढ़ें: संसद में उठे मुद्दे किसी दल के बजाय जनता के होते हैं: रामगोविंद चौधरी

'विधायक जानें अपनी उपयोगिता'
राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमें कुछ ऐसे विधायक चाहिए, जो शिक्षा क्षेत्र में काम विचार विमर्श कर सकें. शिक्षा क्षेत्र में कहां कमी है. आज सभी पार्टियों का अलग-अलग मानक है. विधायक योग्य है या नहीं है. उसके पास जानकारी है या नहीं है, इसकी कोई परवाह नहीं की जाती है. उन्होंने कहा कि पहले हमको यह जानना जरूरी है कि मै एक विधायक हूं और विधायक के नाते मेरी क्या उपयोगिता है. क्या कर सकता हूं. मुझे क्या करना चाहिए. विधायी विषयों का ज्ञान बहुत जरूरी है.

'फाइनेंशियल लिटरेसी शब्द का हो इस्तेमाल'
सीपी जोशी ने कहा कि हम विश्व बैंक के ऊपर निर्भर है. हमें विकास के लिए वर्ल्ड बैंक से लोन लेना है तो हमें उनके नियम और शर्तों को मानना होगा. मेरा 40 साल का अनुभव कहता है कि अगर देश में वित्तीय चीजों को दुरुस्त करनी है तो बजट लिटरेसी के बारे में जानकारी होनी चाहिए. फायनेंसियल लिटरेसी शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए. बजटीय प्रावधान पर चर्चा करने से पहले हमें इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: ईटीवी भारत की खबर पर मुहर, सिर्फ स्वतंत्र देव सिंह ने ही किया नामांकन, निर्विरोध होंगे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष

तकनीकी दक्ष होना जरूरी
उन्होंने कहा कि आज सारी चीजें ऑनलाइन की जा रही है. हमें तकनीकी ज्ञान नहीं होगा तो ऑनलाइन व्यवस्था लेकर क्या करेंगे. हमें तकनीकी दक्ष भी होना पड़ेगा. ब्यूरोक्रेसी की परफारमेंस को सीएजी से सम्बद्ध करके ही उसका प्रमोशन किया जाना चाहिए.

लखनऊ: राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र के सम्मेलन में राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बजटीय प्रावधान पर चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर फोकस किया. उन्होंने मौजूदा व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया. साथ ही कैग की रिपोर्ट के चार साल विलम्ब से आने पर चिंता व्यक्त की और ब्यूरोक्रेसी की परफॉर्मेंस को कैग रिपोर्ट से सम्बद्ध करने की आवश्यकता बताई. इस दौरान उन्होंने ब्यूरोक्रेसी पर करारा प्रहार किया.

'बजट लिटरेसी पर नहीं होती चर्चा'
राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि सरकारें कोई भी हों. वे प्लान बजट के बारे में जनता को सही जानकारी नहीं देतीं. जनता को मूर्ख बनाया जाता है. उसे बजट की सही जानकारी का पूरा अधिकार है. हम बजट में प्रावधान पर चर्चा करते हैं, लेकिन बजट लिटरेसी के बारे में चर्चा नहीं करते. विधायकों को बजट लिटरेसी के बारे में जानना चाहिए. बजट के बारे में पूरी जानकारी उन्हें होनी चाहिए.

'बजट का हो सरलीकरण'
उन्होंने कहा कि बजट का एक बड़ा सा पुलिंदा दे दिया जाता है. मुझे नहीं लगता कि कोई एमएलए उसे पूरा पड़ता होगा. पढ़ने पर समझ में भी नहीं आता है, इसलिए इसका सरलीकरण किया जाना चाहिए. साफ-साफ लिखा जाना चाहिए.

'ब्यूरोक्रेसी के परफॉर्मेंस कैग से हो सम्बद्ध'
सीपी जोशी ने कहा कि कैग (CAG) की रिपोर्ट हर साल आती है, लेकिन वह कई वर्ष पुरानी होती है. सरकार चली जाती है तब रिपोर्ट आती है. नए विधायकों को इस रिपोर्ट से क्या लेना देना? उन्हें तो अपने क्षेत्र के बारे में सोचना होता है. उनकी रुचि प्लान बजट में होती है. ब्यूरोक्रेसी का यह जाल है. उसी की कमी है. उन्होंने कहा कि हम ब्यूरोक्रेसी की पीठ थपथपाते हैं. अगर कैग की रिपोर्ट हर साल आएगी तो काम की समीक्षा की जा सकेगी. इसलिए जरूरी है कि ब्यूरोक्रेसी के परफॉर्मेंस को सीएजी से सम्बद्ध करना चाहिए. गड़बड़ी करने वाले ब्यूरोक्रेसी के लोग लगातार प्रमोशन पर प्रमोशन ले रहे हैं.

'व्यवस्था परिवर्तन जरूरी'
राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमें नहीं पता है कि कौन बच्चे पढ़ना चाह रहे हैं. पहले अशिक्षित लोगों का एक बड़ा समाज था. अब हम यह कैसा समाज तैयार कर रहे हैं जो 10वीं फेल समाज है. उन्होंने कहा कि कक्षा एक में भी बच्चे फेल हो रहे हैं, लेकिन हम पास कर देते हैं. यह 10वीं फेल समाज कौन लोग हैं. वह सभी गरीब, वंचित और शोषित तबके के हैं. हम किस तरह की शिक्षा दे रहे हैं. इस पर बात होनी चाहिए. व्यवस्था परिवर्तन जरूरी है.

ये भी पढ़ें: संसद में उठे मुद्दे किसी दल के बजाय जनता के होते हैं: रामगोविंद चौधरी

'विधायक जानें अपनी उपयोगिता'
राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमें कुछ ऐसे विधायक चाहिए, जो शिक्षा क्षेत्र में काम विचार विमर्श कर सकें. शिक्षा क्षेत्र में कहां कमी है. आज सभी पार्टियों का अलग-अलग मानक है. विधायक योग्य है या नहीं है. उसके पास जानकारी है या नहीं है, इसकी कोई परवाह नहीं की जाती है. उन्होंने कहा कि पहले हमको यह जानना जरूरी है कि मै एक विधायक हूं और विधायक के नाते मेरी क्या उपयोगिता है. क्या कर सकता हूं. मुझे क्या करना चाहिए. विधायी विषयों का ज्ञान बहुत जरूरी है.

'फाइनेंशियल लिटरेसी शब्द का हो इस्तेमाल'
सीपी जोशी ने कहा कि हम विश्व बैंक के ऊपर निर्भर है. हमें विकास के लिए वर्ल्ड बैंक से लोन लेना है तो हमें उनके नियम और शर्तों को मानना होगा. मेरा 40 साल का अनुभव कहता है कि अगर देश में वित्तीय चीजों को दुरुस्त करनी है तो बजट लिटरेसी के बारे में जानकारी होनी चाहिए. फायनेंसियल लिटरेसी शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए. बजटीय प्रावधान पर चर्चा करने से पहले हमें इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: ईटीवी भारत की खबर पर मुहर, सिर्फ स्वतंत्र देव सिंह ने ही किया नामांकन, निर्विरोध होंगे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष

तकनीकी दक्ष होना जरूरी
उन्होंने कहा कि आज सारी चीजें ऑनलाइन की जा रही है. हमें तकनीकी ज्ञान नहीं होगा तो ऑनलाइन व्यवस्था लेकर क्या करेंगे. हमें तकनीकी दक्ष भी होना पड़ेगा. ब्यूरोक्रेसी की परफारमेंस को सीएजी से सम्बद्ध करके ही उसका प्रमोशन किया जाना चाहिए.

Intro:
लखनऊ: सीपीए सम्मेलन में ब्यूरोक्रेसी पर करारा प्रहार, कैग रिपोर्ट से आईएएस की परफारमेंस को सम्बद्ध करने की मांग

लखनऊ। राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत प्रक्षेत्र (सीपीए) के सम्मेलन में राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बजटीय प्रावधान पर चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर फोकस किया। उन्होंने मौजूदा व्यवस्था पर सवाल खड़ा किये। कैग की रिपोर्ट के चार साल विलम्ब से आने पर चिंता व्यक्त की। तो ब्यूरोक्रेसी की परफारमेंस को कैग रिपोर्ट से सम्बद्ध करने की आवश्यकता बताई। इस दौरान उन्होंने ब्यूरोक्रेसी पर करारा प्रहार किया।Body:सीपी जोशी ने कहा कि सरकारें कोई भी हों वे प्लान बजट के बारे में जनता को सही जानकारी नहीं देतीं। जनता को मूर्ख बनाया जाता है। उसे बजट की सही जानकारी का पूरा अधिकार है। हम बजट में प्रावधान पर चर्चा करते हैं लेकिन बजट लिटरेसी के बारे में चर्चा नहीं करते। विधायकों को बजट लिटरेसी के बारे में जानना चाहिए। बजट के बारे में पूरी जानकारी उन्हें होनी चाहिए। बजट का एक बड़ा सा पुलिंदा दे दिया जाता है। मुझे नहीं लगता कि कोई एमएलए उसे पूरा पड़ता होगा। पढ़ने पर समझ में भी नहीं आता है। इसलिए इसका सरलीकरण किया जाना चाहिए। साफ साफ लिखा जाना चाहिए।

सीपी जोशी ने कहा कि सीएजी की रिपोर्ट हर साल आती है। लेकिन वह कई वर्ष पुरानी होती है। सरकार चली जाती है तब रिपोर्ट आती है। नए विधायकों को इस रिपोर्ट से क्या लेना देना ? उन्हें तो अपने क्षेत्र के बारे में सोचना होता है। उनकी रुचि प्लान बजट में होती है। ब्यूरोक्रेसी का यह जाल है। उसकी कमी है। हम ब्यूरोक्रेसी की पीठ थपथपाते हैं। अगर सीएजी की रिपोर्ट हर साल आएगी तो काम की समीक्षा की जा सकेगी। इसलिए जरूरी है कि ब्यूरोक्रेसी के परफॉर्मेंस को सीएजी से सम्बद्ध करना चाहिए। गड़बड़ी करने वाली ब्यूरोक्रेसी के लोग लगातार प्रमोशन पर प्रमोशन ले रहे हैं।

हमें नहीं पता है कि कौन बच्चे पढ़ना चाह रहे हैं। पहले अशिक्षित लोगों का एक बड़ा समाज था। अब हम यह कैसा समाज तैयार कर रहे हैं जो 10वीं फेल समाज है। कक्षा एक में भी बच्चे फेल हो रहे हैं लेकिन हम पास कर देते हैं। यह 10वीं फेल समाज कौन लोग हैं। वह सभी गरीब तबके के हैं। वंचित तबके के हैं। शोषित तबके के हैं। हम किस तरह की शिक्षा दे रहे हैं। इस पर बात होनी चाहिए। व्यवस्था परिवर्तन जरूरी है।

हमें कुछ ऐसे विधायक चाहिए जो शिक्षा क्षेत्र में काम विचार विमर्श कर सकें। शिक्षा क्षेत्र में कहां कमी है। आज सभी पार्टियों का अलग-अलग मानक है। विधायक योग्य है या नहीं है। उसके पास जानकारी है या नहीं है। इसकी कोई परवाह नहीं की जाती है। पहले हमको यह जानना जरूरी है कि मै एक विधायक हूं और विधायक के नाते मेरी क्या उपयोगिता है। क्या कर सकता हूं। मुझे क्या करना चाहिए। विधायी विषयों का ज्ञान बहुत जरूरी है।

इस देश में एक बड़ी समस्या बनी हुई है। हमारी समस्याओं का समाधान विदेश करेगा। वर्ल्ड बैंक तय करेगा कि हमें वह लोन देगा या नहीं। हमारे पास कोई वित्तीय व्यवस्था इस तरह की नहीं है। हम विश्व बैंक के ऊपर निर्भर है। हमें विकास के लिए वर्ल्ड बैंक से लोन लेना है। तो हमें उनके नियम और शर्तों को मानना होगा। मेरा 40 साल का अनुभव कहता है कि अगर देश में वित्तीय चीजों को दुरुस्त करनी है तो बजट लिटरेसी के बारे में जानकारी होनी चाहिए। फाइनेंसियल लिटरेसी शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए। बजटीय प्रावधान पर चर्चा करने से पहले हमें इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए।

सब सारी चीजें ऑनलाइन की जा रही है। हमें तकनीकी ज्ञान नहीं होगा तो ऑनलाइन व्यवस्था लेकर क्या करेंगे। हमें तकनीकी दक्ष भी होना पड़ेगा। इसके अलावा उन्होंने ब्यूरोक्रेसी की परफारमेंस को सीएजी से सम्बद्ध करके ही उसका प्रमोशन किया जाना चाहिए।

दिलीप शुक्ला, 9450663213Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.