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राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का हो सकता है BJP से गठबंधन - लखनऊ की न्यूज़

आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को आगे बढ़ा रहे हैं. वहीं गठबंधन को लेकर भी रणनीती बनाई जा रही है. इसी को लेकर राजा भैया की पार्टी का बीजेपी से गठबंधन हो सकता है.

राजा भैया की पार्टी का बीजेपी से गठबंधन!
राजा भैया की पार्टी का बीजेपी से गठबंधन!
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Published : Aug 20, 2021, 4:24 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश की सियासत में एक अलग पहचान रखने वाले प्रतापगढ़ से विधायक कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का भारतीय जनता पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव 2022 में गठजोड़ हो सकता है.सूत्रों का दावा है कि राजा भैया बीजेपी के साथ कुछ सीटों पर चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं.

विधानसभा चुनाव 2022 में गठबंधन के लिए बीजेपी समान विचारधारा वाले दलों पर नजर रखे हुए है. ऐसे में राजनीतिक हलकों में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी के साथ भाजपा के गठबंधन की चर्चाएं तेज हो गई हैं. बीजेपी के सूत्र और राजा भैया के करीबियों का दावा है कि बीजेपी और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के बीच गठबंधन को लेकर सियासी खिचड़ी पक रही है. आने वाले समय में इस पर मुहर लगाई जा सकती है. विश्लेषक कहते हैं कि निश्चित रूप से राजा भैया और भाजपा के इस गठजोड़ से जनसत्ता पार्टी को मजबूती मिलेगी. इसके साथ ही बीजेपी को भी फायदा होगा.

बीजेपी और राजा भैया का हो सकता है गठजोड़

2019 के लोकसभा चुनाव में नहीं मिला था अपेक्षित परिणाम

राजा भैया की जनसत्ता पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रतापगढ़ और कौशांबी सहित इलाहाबाद मंडल की कई लोकसभा सीटों से प्रत्याशियों को उतारा था. लेकिन मोदी लहर में जनसत्ता दल के प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए. ऐसे में जनसत्ता दल के सामने अपना वजूद बचाने का संकट मंडरा रहा है. हालांकि पंचायत चुनाव में प्रतापगढ़ में जनसत्ता दल का ही अध्यक्ष विजयी हुआ था.

राजा भैया, विधायक
राजा भैया, विधायक

बसपा छोड़ सभी दलों के आंखों के तारे रहे हैं राजा भैया

भदरी रियासत से ताल्लुक रखने वाले बाहुबली राजा भैया कुंडा के निर्दलीय विधायक हैं. उनके पूर्व मुख्यमंत्रियों कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव से अच्छे संबंध रहे हैं. यही कारण है कि सभी सरकारों में उन्हें मंत्री पद मिला. 2002 के बीजेपी-बसपा गठबंधन के बाद बनी सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने राजा भैया पर पोटा लगाकर उनके रसूख को कम करने का प्रयास किया था.

यह रहा है राजा भैया का इतिहास

राजा भैया ने 1993 में हुए विधानसभा चुनाव से कुंडा की राजनीति में कदम रखा था. तब से वह लगातार अजेय बने हुए हैं. राजा भैया 1993, 1996 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी समर्थित, तो 2002, 2007, 2012 के चुनाव में एसपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गए. राजा भैया, बीजेपी की कल्याण सिंह सरकार और समाजवादी की मुलायम सिंह और अखिलेश यादव सरकार में भी मंत्री भी रहे हैं. राजा भैया को 1997 में भारतीय जनता पार्टी के कल्याण सिंह के मंत्रीमंडल में मंत्री, वर्ष 1999 और 2000 में राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह के कैबिनेट में खेल कूद एवं युवा कल्याण मंत्री बनाया गया था. साल 2004 में समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव की सरकार में रघुराज प्रताप खाद्य एवं रसद विभाग के मंत्री बने. इसके बाद 15 मार्च 2012 को राजा भैया पुनः उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट में कारागार एवं खाद्य एवं रसद मंत्री बने. लेकिन 2 मार्च 2013 में डीएसपी जियाउल हक की हत्या मामले में राजा भैया का नाम आने पर 4 मार्च 2013 को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि बाद में सीबीआई की प्रारंभिक जांच में ही राजा भैया निर्दोष पाए गए और क्लोजर रिपोर्ट में इन्हें क्लीन चिट मिली.

नवंबर 2018 में कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी का गठन किया और पूरी तरह से चुनाव मैदान में उतर गए. 2022 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, तो अपना सियासी भविष्य सुरक्षित रखने को लेकर राजा भैया भारतीय जनता पार्टी के संपर्क में हैं और वह गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. बीजेपी और राजा भैया के करीबी लोगों का कहना है कि राजा भैया प्रतापगढ़ और आसपास की करीब आधा दर्जन सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं. देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय जनता पार्टी के साथ राजा भैया की पार्टी का गठबंधन होता है तो कितनी सीटों पर बात बन पाती है.

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के नेता और एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह ने ईटीवी भारत से फोन पर कहा कि किसके साथ चुनाव में गठबंधन होना है या नहीं होना है. इसको लेकर फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा भैया के स्तर पर होना है. अभी हम लोगों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.

इसे भी पढ़ें- यूपी में ब्राह्मण वोटों की सियासत गर्म, जानें क्या कहते हैं काशी के ब्राह्मण

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी में व्यक्तिगत रूप में अगर कोई आना चाहता है या राजनीतिक दल के रूप में कोई गठबंधन करना चाहता है तो उसकी एक प्रक्रिया है. संबंधित व्यक्ति प्रस्ताव करते हैं और उस पर पार्टी नेतृत्व के स्तर पर बातचीत होती है और फिर गठबंधन पर फैसला होता है.

लखनऊः उत्तर प्रदेश की सियासत में एक अलग पहचान रखने वाले प्रतापगढ़ से विधायक कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का भारतीय जनता पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव 2022 में गठजोड़ हो सकता है.सूत्रों का दावा है कि राजा भैया बीजेपी के साथ कुछ सीटों पर चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं.

विधानसभा चुनाव 2022 में गठबंधन के लिए बीजेपी समान विचारधारा वाले दलों पर नजर रखे हुए है. ऐसे में राजनीतिक हलकों में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी के साथ भाजपा के गठबंधन की चर्चाएं तेज हो गई हैं. बीजेपी के सूत्र और राजा भैया के करीबियों का दावा है कि बीजेपी और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के बीच गठबंधन को लेकर सियासी खिचड़ी पक रही है. आने वाले समय में इस पर मुहर लगाई जा सकती है. विश्लेषक कहते हैं कि निश्चित रूप से राजा भैया और भाजपा के इस गठजोड़ से जनसत्ता पार्टी को मजबूती मिलेगी. इसके साथ ही बीजेपी को भी फायदा होगा.

बीजेपी और राजा भैया का हो सकता है गठजोड़

2019 के लोकसभा चुनाव में नहीं मिला था अपेक्षित परिणाम

राजा भैया की जनसत्ता पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रतापगढ़ और कौशांबी सहित इलाहाबाद मंडल की कई लोकसभा सीटों से प्रत्याशियों को उतारा था. लेकिन मोदी लहर में जनसत्ता दल के प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए. ऐसे में जनसत्ता दल के सामने अपना वजूद बचाने का संकट मंडरा रहा है. हालांकि पंचायत चुनाव में प्रतापगढ़ में जनसत्ता दल का ही अध्यक्ष विजयी हुआ था.

राजा भैया, विधायक
राजा भैया, विधायक

बसपा छोड़ सभी दलों के आंखों के तारे रहे हैं राजा भैया

भदरी रियासत से ताल्लुक रखने वाले बाहुबली राजा भैया कुंडा के निर्दलीय विधायक हैं. उनके पूर्व मुख्यमंत्रियों कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव से अच्छे संबंध रहे हैं. यही कारण है कि सभी सरकारों में उन्हें मंत्री पद मिला. 2002 के बीजेपी-बसपा गठबंधन के बाद बनी सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने राजा भैया पर पोटा लगाकर उनके रसूख को कम करने का प्रयास किया था.

यह रहा है राजा भैया का इतिहास

राजा भैया ने 1993 में हुए विधानसभा चुनाव से कुंडा की राजनीति में कदम रखा था. तब से वह लगातार अजेय बने हुए हैं. राजा भैया 1993, 1996 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी समर्थित, तो 2002, 2007, 2012 के चुनाव में एसपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गए. राजा भैया, बीजेपी की कल्याण सिंह सरकार और समाजवादी की मुलायम सिंह और अखिलेश यादव सरकार में भी मंत्री भी रहे हैं. राजा भैया को 1997 में भारतीय जनता पार्टी के कल्याण सिंह के मंत्रीमंडल में मंत्री, वर्ष 1999 और 2000 में राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह के कैबिनेट में खेल कूद एवं युवा कल्याण मंत्री बनाया गया था. साल 2004 में समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव की सरकार में रघुराज प्रताप खाद्य एवं रसद विभाग के मंत्री बने. इसके बाद 15 मार्च 2012 को राजा भैया पुनः उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट में कारागार एवं खाद्य एवं रसद मंत्री बने. लेकिन 2 मार्च 2013 में डीएसपी जियाउल हक की हत्या मामले में राजा भैया का नाम आने पर 4 मार्च 2013 को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि बाद में सीबीआई की प्रारंभिक जांच में ही राजा भैया निर्दोष पाए गए और क्लोजर रिपोर्ट में इन्हें क्लीन चिट मिली.

नवंबर 2018 में कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी का गठन किया और पूरी तरह से चुनाव मैदान में उतर गए. 2022 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, तो अपना सियासी भविष्य सुरक्षित रखने को लेकर राजा भैया भारतीय जनता पार्टी के संपर्क में हैं और वह गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. बीजेपी और राजा भैया के करीबी लोगों का कहना है कि राजा भैया प्रतापगढ़ और आसपास की करीब आधा दर्जन सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं. देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय जनता पार्टी के साथ राजा भैया की पार्टी का गठबंधन होता है तो कितनी सीटों पर बात बन पाती है.

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के नेता और एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह ने ईटीवी भारत से फोन पर कहा कि किसके साथ चुनाव में गठबंधन होना है या नहीं होना है. इसको लेकर फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा भैया के स्तर पर होना है. अभी हम लोगों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.

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भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी में व्यक्तिगत रूप में अगर कोई आना चाहता है या राजनीतिक दल के रूप में कोई गठबंधन करना चाहता है तो उसकी एक प्रक्रिया है. संबंधित व्यक्ति प्रस्ताव करते हैं और उस पर पार्टी नेतृत्व के स्तर पर बातचीत होती है और फिर गठबंधन पर फैसला होता है.

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