लखनऊ : पिछले दिनों राजधानी और आसपास के जिलों में हुई जोरदार बारिश ज्यादातर रबी की फसलों के लिए लाभकारी है. हां एक-दो फसलों पर बारिश का प्रतिकूल प्रभाव जरूर पड़ेगा, लेकिन इस मौसम की सबसे महत्वपूर्ण फसल गेहूं के लिए यह पानी वरदान जैसा है. प्रदेश के जाने-माने प्रगतिशील किसान पद्मश्री रामशरण वर्मा कहते हैं कि नवंबर के पहले सप्ताह में गेहूं की बोवाई होती है, ऐसे में यह पानी देने का सही वक्त था. अब किसानों को कुछ दिन गेहूं में पानी लगाने की जरूरत नहीं होगी. इससे उनका सिंचाई का खर्चा भी बच गया है.
प्रगतिशील किसान पद्मश्री रामशरण वर्मा कहते हैं कि यह बरसात मटर की फसल के लिए थोड़ा नुकसानदायक जरूर है. इससे फूल और फलियों में रोग लग जाता है. पौधे भी खराब होने का डर बना रहता है. वहीं जिन स्थानों पर पानी ज्यादा गिर गया है, वहां टमाटर की फसल को भी नुकसान हो सकता है. रामशरण वर्मा बताते हैं कि कुछ लोग कह रहे हैं कि इस बारिश से आलू की फसल को भी नुकसान हुआ, यह बिल्कुल गलत है. जब तक नालियों में पानी नहीं भर जाता तब तक इस फसल को किसी प्रकार का कोई भी नुकसान नहीं है. हाल में हुई बारिश इतनी ज्यादा नहीं थी कि आलू की नालियां भर जाएं. जहां नालियों में पानी नहीं भरा है, वहां आलू की फसल के लिए भी या पानी लाभकारी ही है. हां, यदि बारिश के साथ ओलावृष्ट हुई होती तो आलू सहित कई अन्य फैसले भी बर्बाद हो सकती थीं.
गौरतलब है कि रबी की फसलों में प्रमुख रूप से गेहूं, चना, राई, सरसों, मसूर, अलसू, आलू, जौ, मटर आदि की खेती होती है. यह फसल अमूमन नवंबर में बोई जाती है. पहले अक्टूबर में ही इसकी बुवाई शुरू हो जाती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण ठंड देर से शुरू हो रही है, किस कारण इन फसलों की बुवाई भी थोड़ी देर से की जाने लगी है. रबी की फसल की बुवाई ठंड के मौसम में और कटाई गर्म वातावरण में की जाती है. जलवायु परिवर्तन के कारण फसल चक्र में थोड़ा बदलाव दिखाई देने लगा है. इस कारण पैदावार पर भी असर पड़ता है.
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