लखनऊ: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 25 जून को दिल्ली से प्रेसिडेंशियल ट्रेन से कानपुर पहुंच रहे हैं. इसके बाद वह 28 जून को प्रेसीडेंशियल ट्रेन से कानपुर से लखनऊ आएंगे. 72 किलोमीटर की यह यात्रा एक घंटा 20 मिनट में तय होगी. ट्रैक पर किसी तरह की कोई खामियां न रहें, इसे लेकर रेलवे अधिकारी सतर्कता बरत रहे हैं. गुरुवार को स्पेशल ट्रेन से पूरे ट्रैक का अधिकारियों ने निरीक्षण किया. राष्ट्रपति के आगमन को लेकर रेलवे कितना सतर्क है और रेलवे क्या-क्या व्यवस्थाएं कर रहा है, इसका ईटीवी भारत ने चारबाग स्टेशन पर जायजा लिया.
चारबाग रेलवे स्टेशन पर राष्ट्रपति के आगमन से पहले जोर-शोर से साफ सफाई का काम चल रहा है. स्टेशन का रंग-रोगन किया जा रहा है, साथ ही डेंटिंग पेंटिंग का भी काम तेजी से हो रहा है. इतना ही नहीं बिजली आपूर्ति भी किसी तरह बाधित न होने पाए, स्टेशन पर यात्रियों को शीतल जल और शुद्ध हवा मिल सके, इसे लेकर बिजली व्यवस्था भी दुरुस्त की जा रही है. स्टेशन की दीवारों को भी साफ किया जा रहा है. फर्श को भी ठीक से चमकाया जा रहा है. रेलवे स्टेशन के शेड पर जो भी कूड़ा जमा हुआ है उसे भी साफ किया जा रहा है. जहां तक सुरक्षा की बात है तो यहां पर जीआरपी और आरपीएफ के पुलिसकर्मी लगातार पूरे स्टेशन पर गश्त कर रहे हैं. सतर्कता के लिहाज से स्टेशन पर आने वाले यात्रियों की जांच की जा रही है. जिस पर भी जवानों को शक हो रहा है उस यात्री के सामान की जांच की जा रही है. यात्री से पूछताछ भी की जा रही है. गुरुवार को स्पेशल अधिकारियों की टीम स्पेशल इंस्पेक्शन करने स्पेशल ट्रेन से लखनऊ से कानपुर पहुंची. वापस कानपुर से लखनऊ का दौरा किया. लखनऊ वापस आने पर 'ईटीवी भारत' ने अधिकारियों से जाना की ट्रैक पर किस-किस तरह की जांच की जा रही है और क्या सतर्कता बरती जा रही है.
महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के 25 जून को दिल्ली से प्रेसीडेंशियल ट्रेन द्वारा अलीगढ़ जिले की सीमा से होकर कानपुर पहुंच रहे हैं. महामहिम के आगमन को लेकर गभाना रेलवे ट्रक से लेकर मडराक रेलवे ट्रैक तक 8 सेक्टरों में डिवाइड किया गया है, जिसपर डॉग स्कॉट के साथ आरपीएफ और जीआरपी पुलिस फोर्स के साथ स्थानीय पुलिस का कड़ा पहरा रहेगा. कल राष्ट्रपति की स्पेशल ट्रेन अलीगढ़ जंक्शन से होकर गुजरेगी, जिसको लेकर पुलिस और जिला प्रशासन पूरी सतर्कता बरत रहा है. जिसके चलते अलीगढ़ से लेकर मेहरावल स्टेशन तक खुफिया एजेंसीयों ने अपनी पैनी नजर बनाए रखी है. आरपीएफ और जीआरपी के साथ स्थानीय पुलिस व डॉग स्क्वायड की टीम अलर्ट पर है. गुरुवार को एडीएम सिटी राकेश मालपाणी के नेतृत्व में पुलिस फोर्स ने पूरे ट्रैक का निरीक्षण किया है.
15 साल बाद दौड़ेगी द रॉयल प्रेसिडेंशियल सैलून
करीब 15 साल बाद राष्ट्रपति की दि रॉयल प्रेसिडेंशियल सैलून ( the Royal Presidential Saloon) पटरियों पर दौड़ेगी. भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 25 जून को दि रॉयल प्रेसिडेंशियल सैलून (ट्रेन) से कानपुर आएंगे. इससे पहले 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम ने इस विशेष ट्रेन से दिल्ली से देहरादून (उत्तराखंड) की यात्रा की थी. तब डॉ. कलाम इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) के पासिंग आउट परेड में शामिल होने देहरादून ( Dehradun) गए थे. बता दें राष्ट्रपति जिस ट्रेन में यात्रा करते हैं, उसे प्रेसिडेंशियल सैलून कहते हैं. इस विशेष ट्रेन में सिर्फ वही सफर कर सकते हैं.
रामनाथ कोविंद से पहले भी राष्ट्रपति कर चुके हैं सफर
डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम दि रॉयल प्रेसिडेंशियल सैलून के मुरीद थे. 2003 उन्होंने इस विशेष ट्रेन से बिहार में हरनौत से पटना तक यात्रा पहली बार यात्रा की थी. तब भी दि रॉयल प्रेसिडेंशियल सैलून 25 साल बाद पटरियों पर उतरी था. उससे पहले अक्टूबर 1978 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. नीलम संजीव रेड्डी प्रेसिडेंशियल सैलून से अपने पैतृक गांव अलूर जाने के लिए आंध्रप्रदेश के अनंतपुर तक गए थे. इससे पहले देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने छपरा से जीरादेई के बीच प्रेसिडेंशियल सैलून से सफर किया था. 1954 में वह इस स्पेशल ट्रेन से ही कुंभ में शिरकत करने गए थे. डॉ. राजेंद्र प्रसाद अपनी यात्राओं के लिए अक्सर इस ट्रेन का इस्तेमाल करते थे. अपने कार्यकाल में उन्होंने दि रॉयल प्रेसिडेंशियल सैलून से ही कच्छ, जलपाईगुड़ी और उस समय की मुंबई तक की यात्रा की थी.
सुरक्षा तकनीक से लैस है राष्ट्रपति की यह विशेष ट्रेन
राष्ट्रपति के लिए डिजाइन की गई इस विशेष ट्रेन में सारी तकनीकी सुविधाएं होती हैं. जीपीएस, जीपीआरएस, सेटेलाइट एंटिना, टेलीफोन एक्सचेंज, मॉड्यूलर किचन, पब्लिक एड्रेस सिस्टम से लैस दि रॉयल प्रेसिडेंशियल सैलून में सुरक्षा के सभी इंतजाम हैं. इसके शीशे पूरी तरह से बुलेट प्रूफ होते है. इसमें एनएसजी के कमांडो भी तैनात होते हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सुरक्षा के मद्देनजर इस ट्रेन के आगे एक इंजन भी दौड़ेगा. इंजन यह चेक करेगा कि यात्रा के दौरान पटरियां सुरक्षित रहें.