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शोध के क्षेत्र में यूपी के विश्‍वविद्यालयों ने रचा इतिहास

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Published : Jan 9, 2021, 3:12 AM IST

देश में शोध के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों ने इतिहास रच दिया है. जौनपुर में स्थित वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि देश में तीसरे जबकि प्रदेश में पहले स्थान पर आ गया है. विवि की ओर से शोध गंगा पोर्टल पर अब तक 8 हजार 211 थिसिस अपलोड की जा चुकी है.

veer bahadur singh purvanchal university jaunpur
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि जौनपुर.

लखनऊ : शोध को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) के सहयोग से शोध गंगा पोर्टल बनाया गया है. इसमें 6 महीने पहले देश में 5वां स्‍थान रखने वाला वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि अब देश में तीसरे और प्रदेश में अव्‍वल नंबर पर आ गया है. विवि की ओर से शोध गंगा पोर्टल पर अब तक 8 हजार 211 थिसिस अपलोड की गई है. वहीं कानपुर का छत्रपति साहू जी महाराज विवि भी टॉप टेन में अपनी जगह बनाए हुए है.

देश भर में शोध की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए शिक्षा मंत्रालय व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी के सहयोग से शोध गंगा पोर्टल तैयार किया गया है. यूजीसी की ओर से सभी विश्वविद्यालय को इस पोर्टल पर अपनी थीसिस अपलोड करने के निर्देश भी दिए हैं. इससे थीसिस के कंटेंट चोरी पर लगाम लगी है. साथ ही किसी शोधार्थी के किए गए शोध कार्य दुनिया के अन्य शोधार्थी भी देखकर उसका फायदा उठा सकते हैं.

टॉप तीन विश्वविद्यालय
बता दें कि प्रदेश में 17 राज्य विश्वविद्यालय हैं. इसमें 8 हजार 211 थीसिस के साथ वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि जौनपुर देश भर में तीसरे नंबर पर है, जबकि कानपुर का छत्रपति साहू जी महाराज विवि देश भर के विश्‍वविद्यालयों में 6वें स्‍थान पर है. इसके अलावा 4 हजार 598 थीसिस के साथ डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विवि अयोध्या भी टॉप विश्‍वविद्यालयों में अपनी जगह बनाए हुए है. यहां पिछले छह महीने में काफी तेजी से काम हुआ है. आचार्य नरेन्‍द्र देव कृषि विश्‍वविद्यालय की ओर से 186, लखनऊ विश्‍वविद्यालय की ओर से 1047, इलाहाबाद विवि की ओर से 1356 और चौधरी चरण सिं‍ह विवि की ओर से 2122 थिसिस (शोध कार्य) गंगा पोर्टल पर अपलोड किए गए हैं. इसके अलावा सरकार के सहयोग से प्रदेश के निजी विश्वविद्यालय भी शोध के क्षेत्र में उत्‍कृ‍ष्‍ट कार्य कर रहे हैं.

यह है शोध गंगा एप

कुछ साल पहले तक शोधार्थियों द्वारा कॉपी-पेस्ट करके शोध प्रस्तुत किया जाता रहा. इसमें न मौलिकता होती थी, न गुणवत्ता पर काम किया जा रहा था. शिक्षा मंत्रालय (एमएचआरडी) ने शोध में मौलिकता लाने और गुणवत्‍ता बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की मदद से नए सॉफ्टवेयर शोध गंगा एप की शुरूआत की. इसमें विश्‍वविद्यालयों को अपने यहां हुए शोध की सीडी पोर्टल पर अपलोड करनी होती है. अब तक पूरे देश के 476 विश्‍वविद्यालयों द्वारा 2,91,848 थिसिस पोर्टल पर अपलोड की जा चुकी है.

शिक्षा को ऊंचाइयों तक ले जाने का श्रेय सीएम को

पूर्व अध्‍यक्ष लुआक्‍टा डॉ. मौलिन्‍दु मिश्र के मुताबिक, यूजीसी की ओर से तैयार किए गए शोध गंगा एप से शोध क्षेत्र में गुणवत्‍ता बढ़ी है. खासकर यूपी के विश्‍वविद्यालयों में शोध पर काफी तेजी से काम हो रहा है. यूपी में उच्‍च शिक्षा को ऊंचाइयों तक ले जाने का पूरा श्रेय मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को जाता है, जिनके प्रयासों से प्रदेश में उच्‍च शिक्षा की नई तस्‍वीर सामने आ रही है.

लखनऊ : शोध को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) के सहयोग से शोध गंगा पोर्टल बनाया गया है. इसमें 6 महीने पहले देश में 5वां स्‍थान रखने वाला वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि अब देश में तीसरे और प्रदेश में अव्‍वल नंबर पर आ गया है. विवि की ओर से शोध गंगा पोर्टल पर अब तक 8 हजार 211 थिसिस अपलोड की गई है. वहीं कानपुर का छत्रपति साहू जी महाराज विवि भी टॉप टेन में अपनी जगह बनाए हुए है.

देश भर में शोध की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए शिक्षा मंत्रालय व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी के सहयोग से शोध गंगा पोर्टल तैयार किया गया है. यूजीसी की ओर से सभी विश्वविद्यालय को इस पोर्टल पर अपनी थीसिस अपलोड करने के निर्देश भी दिए हैं. इससे थीसिस के कंटेंट चोरी पर लगाम लगी है. साथ ही किसी शोधार्थी के किए गए शोध कार्य दुनिया के अन्य शोधार्थी भी देखकर उसका फायदा उठा सकते हैं.

टॉप तीन विश्वविद्यालय
बता दें कि प्रदेश में 17 राज्य विश्वविद्यालय हैं. इसमें 8 हजार 211 थीसिस के साथ वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विवि जौनपुर देश भर में तीसरे नंबर पर है, जबकि कानपुर का छत्रपति साहू जी महाराज विवि देश भर के विश्‍वविद्यालयों में 6वें स्‍थान पर है. इसके अलावा 4 हजार 598 थीसिस के साथ डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विवि अयोध्या भी टॉप विश्‍वविद्यालयों में अपनी जगह बनाए हुए है. यहां पिछले छह महीने में काफी तेजी से काम हुआ है. आचार्य नरेन्‍द्र देव कृषि विश्‍वविद्यालय की ओर से 186, लखनऊ विश्‍वविद्यालय की ओर से 1047, इलाहाबाद विवि की ओर से 1356 और चौधरी चरण सिं‍ह विवि की ओर से 2122 थिसिस (शोध कार्य) गंगा पोर्टल पर अपलोड किए गए हैं. इसके अलावा सरकार के सहयोग से प्रदेश के निजी विश्वविद्यालय भी शोध के क्षेत्र में उत्‍कृ‍ष्‍ट कार्य कर रहे हैं.

यह है शोध गंगा एप

कुछ साल पहले तक शोधार्थियों द्वारा कॉपी-पेस्ट करके शोध प्रस्तुत किया जाता रहा. इसमें न मौलिकता होती थी, न गुणवत्ता पर काम किया जा रहा था. शिक्षा मंत्रालय (एमएचआरडी) ने शोध में मौलिकता लाने और गुणवत्‍ता बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की मदद से नए सॉफ्टवेयर शोध गंगा एप की शुरूआत की. इसमें विश्‍वविद्यालयों को अपने यहां हुए शोध की सीडी पोर्टल पर अपलोड करनी होती है. अब तक पूरे देश के 476 विश्‍वविद्यालयों द्वारा 2,91,848 थिसिस पोर्टल पर अपलोड की जा चुकी है.

शिक्षा को ऊंचाइयों तक ले जाने का श्रेय सीएम को

पूर्व अध्‍यक्ष लुआक्‍टा डॉ. मौलिन्‍दु मिश्र के मुताबिक, यूजीसी की ओर से तैयार किए गए शोध गंगा एप से शोध क्षेत्र में गुणवत्‍ता बढ़ी है. खासकर यूपी के विश्‍वविद्यालयों में शोध पर काफी तेजी से काम हो रहा है. यूपी में उच्‍च शिक्षा को ऊंचाइयों तक ले जाने का पूरा श्रेय मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को जाता है, जिनके प्रयासों से प्रदेश में उच्‍च शिक्षा की नई तस्‍वीर सामने आ रही है.

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