लखनऊ : राजधानी के करीब 104 साल पुराने पक्के पुल को अगले 3 दिन के लिए बंद कर दिया गया है. इस पुल का फुल हेल्थ एसेसमेंट होगा. लोक निर्माण विभाग और आईआईटी रुड़की की टीम (Team of Public Works Department and IIT Roorkee) ने यह एसेसमेंट शुरू किया है. पीडब्ल्यूडी इस निष्कर्ष पर पहुंचेगा कि आखिर पुल कितनी मरम्मत की जरूरत है और कितना ट्रैफिक इस पर मरम्मत के दौरान संचालित किया जा सकता है.
बता दें, फिलवक्त ऐतिहासिक पक्का पुल (Historic Causeway Bridge) बदहाली के आंसू बहा रहा है. 108 वर्षों पहले नवाब आसिफुद्दौला (Nawab Asifuddaulah) द्वारा बनाए गए शाही पुल को कमजोर बताकर अंग्रेजों ने उसे गिरकर लाल पुल (पक्का पुल) का निर्माण कराया था, लेकिन पिछले कई वर्षों में सिर्फ रंग रोगन तक सीमित हुए काम के चलते अब पुल बदहाली की स्थिति में पहुंच गया है. हाल ही में गुजरात में हुए मोरबी पुल हादसे के बाद कई पुलों की जांच की गई थी. जिसमें पक्का पुल में कई कमियां पाई गई हैं. लोक निर्माण विभाग ने आननफानन कमेटी गठित कर कमियों की जांच करानी शुरू कर दी है.
ईटीवी भारत ने हाल ही में ऐतिहासिक पक्का पुल का जायजा लिया तो कई जगह से पुल में दरारें, कई जगह से ईंटें गायब, पुल की दरकती दीवारें बदहाली और प्रशासनिक अनदेखी की कहानी कह रही थीं. पुल के साथ लगे पाइपों में कई जगह से पानी रिस रहा है, जो पुल को लगातार कमजोर बना रहा है. स्थानीय लोगों ने 20 वर्षों से पुल पर कोई काम नहीं होने की बात कही है. पुल के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि पिछली सरकार में सिर्फ लाइटें लगाकर इसको रौशन किया गया था. इसके बाद कभी मरम्मत होती नहीं देखी. लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता मनीष वर्मा (Manish Verma, Executive Engineer, Public Works Department) ने बताया कि आईआईटी रुड़की की टीम ने पुल का फुल हेल्थ एसेसमेंट (Full health assessment of the bridge) शुरू किया है. इसलिए इसको 3 दिन के लिए बंद कर दिया गया है. 3 दिन बाद यह तय किया जाएगा कि कितना ट्रैफिक स्कूल पर चला कर इसकी मरम्मत की जा सकती है.
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